जयपुर। राजस्थानी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल
कराने की मांग एक बार फिर दिल्ली में गूंजने वाली है। राजस्थानी भाषा की
मान्यता के लिए संघर्ष करने वाले संगठनों को उम्मीद है कि नरेंद्र मोदी
सरकार इस दिशा में इस बार मजबूत कदम उठाएगी।
क्या होगा दिल्ली में...
- असल में दिल्ली में 7 अक्टूबर को राजस्थानी भाषा के संदर्भ में एक समारोह का आयोजन किया जा रहा है।
- समारोह में राजस्थानी भाषा में लिखी गई किताब रणखार का लोकार्पण होगा।
- यह किताब भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर व राजस्थानी साहित्यकार डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी ने लिखी है।
- इसी समारोह के तहत राजस्थानी भाषा की महत्ता केंद्र सरकार के सामने दर्शायी जानी है।
- अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के अंतरराष्ट्रीय संयोजक प्रेम भंडारी भी इसी सिलसिले में अमेरिका से दिल्ली पहुंच रहे हैं।
- समारोह में केंद्रीय राज्य मंत्री पीपी चौधरी किताब का लोकार्पण करेंगे। साथ ही सोनी की राजस्थानी भाषा में अनुवाद की गई अन्य किताबों का लोकार्पण भी किया जाएगा।
- इस मौके पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व सांसद विनय सहस्त्रबुद्धे, अविनाश राय खन्ना, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी मौजूद रहेंगे।
66 साल से चल रहा है यह आंदोलन- राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए यह संघर्ष 66 साल से चल रहा है।
- संयोजक प्रेम भंडारी ने बताया कि संविधान में मान्यता दिलाने के लिए राज्य विधानसभा ने 25 अगस्त 2003 को बिल पारित करा केंद्र सरकार के पास भिजवा दिया था।
- लेकिन तब से अब तक संघर्ष के अलावा कुछ नहीं मिला।
- यह इसलिए मान्यता नहीं दिलाई जा रही कि संसद में बैठे अन्य राज्यों के सांसदों का मानना है कि राजस्थानी भाषा एक भाषा नहीं है। यहां कई तरह की भाषाएं जैसे मारवाड़ी, ढूंढ़ाड़ी, मेवाती, हाड़ाैती आदि हैं, लेकिन ये राजस्थानी भाषा की बोलियां हैं, जिससे यह सबसे समृद्ध भाषा के रूप में मानी जाती है।
- जिस तरह हिंदी की 43, मराठी की 65, तेलुगु की 36, तमिल की 22 बोलियां हैं, उसी तरह राजस्थानी की 73 बोलियां हैं। उनमें से ही मारवाड़ी, मेवाती, हाड़ौती आदि शामिल हैं।
- दुनिया की 13वीं सबसे बड़ी राजस्थानी भाषा 1000 साल से भी ज्यादा पुरानी भाषा है।
- संघर्ष समिति ने पूर्व में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील समेत कई राजनीतिज्ञों को भी ज्ञापन देकर राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने की गुहार की है।
- प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, मानव संसाधन मंत्री समेत राज्य के सीएम को भी कई बार ज्ञापन दिए जा चुके हैं।
- भंडारी ने बताया कि उनकी इस बार की भारत यात्रा के दौरान भी वे दिल्ली में होने वाले कार्यक्रम के दौरान से लेकर लौटने तक पुरजोर आवाज मान्यता के लिए उठाएंगे।
भाजपा ने किया था घोषणापत्र में शामिल
- उल्लेखनीय है कि राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करा मान्यता दिलाने के लिए भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में भी शामिल किया था।
- ऐसे में उम्मीद है कि 7 अक्टूबर को जब दिल्ली में इस मान्यता की मांग के लिए आवाज उठेगी तो वह अंतिम होगी, इसके बाद संसद में बस फैसला ही होगा।
अमेरीकी संसद भी नौकरी के लिए मान्यता देती है राजस्थानी को
- संघर्ष समिति के अंतरराष्ट्रीय संयोजक भंडारी ने बताया कि अमेरिका में ओबामा सरकार ने भी राजस्थानी भाषा को नौकरी में मान्यता दी हुई है।
- यदि दुनिया के अन्य देशों के लोग नौकरी चाहते हैं तो उनकी भाषाओं में सलेक्शन के क्राइटेरिया में राजस्थानी भाषा को मान्यता दी हुई है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
क्या होगा दिल्ली में...
- समारोह में राजस्थानी भाषा में लिखी गई किताब रणखार का लोकार्पण होगा।
- यह किताब भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर व राजस्थानी साहित्यकार डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी ने लिखी है।
- इसी समारोह के तहत राजस्थानी भाषा की महत्ता केंद्र सरकार के सामने दर्शायी जानी है।
- अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के अंतरराष्ट्रीय संयोजक प्रेम भंडारी भी इसी सिलसिले में अमेरिका से दिल्ली पहुंच रहे हैं।
- समारोह में केंद्रीय राज्य मंत्री पीपी चौधरी किताब का लोकार्पण करेंगे। साथ ही सोनी की राजस्थानी भाषा में अनुवाद की गई अन्य किताबों का लोकार्पण भी किया जाएगा।
- इस मौके पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व सांसद विनय सहस्त्रबुद्धे, अविनाश राय खन्ना, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी मौजूद रहेंगे।
- संयोजक प्रेम भंडारी ने बताया कि संविधान में मान्यता दिलाने के लिए राज्य विधानसभा ने 25 अगस्त 2003 को बिल पारित करा केंद्र सरकार के पास भिजवा दिया था।
- लेकिन तब से अब तक संघर्ष के अलावा कुछ नहीं मिला।
- यह इसलिए मान्यता नहीं दिलाई जा रही कि संसद में बैठे अन्य राज्यों के सांसदों का मानना है कि राजस्थानी भाषा एक भाषा नहीं है। यहां कई तरह की भाषाएं जैसे मारवाड़ी, ढूंढ़ाड़ी, मेवाती, हाड़ाैती आदि हैं, लेकिन ये राजस्थानी भाषा की बोलियां हैं, जिससे यह सबसे समृद्ध भाषा के रूप में मानी जाती है।
- जिस तरह हिंदी की 43, मराठी की 65, तेलुगु की 36, तमिल की 22 बोलियां हैं, उसी तरह राजस्थानी की 73 बोलियां हैं। उनमें से ही मारवाड़ी, मेवाती, हाड़ौती आदि शामिल हैं।
- दुनिया की 13वीं सबसे बड़ी राजस्थानी भाषा 1000 साल से भी ज्यादा पुरानी भाषा है।
- संघर्ष समिति ने पूर्व में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील समेत कई राजनीतिज्ञों को भी ज्ञापन देकर राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने की गुहार की है।
- प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, मानव संसाधन मंत्री समेत राज्य के सीएम को भी कई बार ज्ञापन दिए जा चुके हैं।
- भंडारी ने बताया कि उनकी इस बार की भारत यात्रा के दौरान भी वे दिल्ली में होने वाले कार्यक्रम के दौरान से लेकर लौटने तक पुरजोर आवाज मान्यता के लिए उठाएंगे।
- उल्लेखनीय है कि राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करा मान्यता दिलाने के लिए भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में भी शामिल किया था।
- ऐसे में उम्मीद है कि 7 अक्टूबर को जब दिल्ली में इस मान्यता की मांग के लिए आवाज उठेगी तो वह अंतिम होगी, इसके बाद संसद में बस फैसला ही होगा।
- संघर्ष समिति के अंतरराष्ट्रीय संयोजक भंडारी ने बताया कि अमेरिका में ओबामा सरकार ने भी राजस्थानी भाषा को नौकरी में मान्यता दी हुई है।
- यदि दुनिया के अन्य देशों के लोग नौकरी चाहते हैं तो उनकी भाषाओं में सलेक्शन के क्राइटेरिया में राजस्थानी भाषा को मान्यता दी हुई है।
आरएएस मुख्य परीक्षा से राजस्थानी भाषा बाहर, अमेरिका में विरोध
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आरपीएससी की ओर से आरएएस मुख्य परीक्षा से राजस्थानी भाषा को बाहर किए
जाने का देश में ही नहीं अमेरिका में भी विरोध किया जा रहा है।
- अमेरिका में राना के चेयरमैन प्रेम भंडारी ने इसका विरोध किया है।
- भंडारी का कहना है कि जब अमेरीकी प्रशासन राजस्थानी भाषा को आवश्यक भाषा के रूप में मान्यता दे रहा है तो भारत तो हमारा देश है।
- अपने देश में तो इसे मान्यता मिलनी ही चाहिए, राजस्थान में हर परीक्षा के सिलेबस में भी शामिल नहीं होना शर्म की बात होगी।
- अमेरिका में राना के चेयरमैन प्रेम भंडारी ने इसका विरोध किया है।
- भंडारी का कहना है कि जब अमेरीकी प्रशासन राजस्थानी भाषा को आवश्यक भाषा के रूप में मान्यता दे रहा है तो भारत तो हमारा देश है।
- अपने देश में तो इसे मान्यता मिलनी ही चाहिए, राजस्थान में हर परीक्षा के सिलेबस में भी शामिल नहीं होना शर्म की बात होगी।
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