शिक्षक बंधुओं,आजकल यह देखने में आ रहा हैं कि कई विद्यालयों में संस्था-प्रधान विद्यालय में एल डी सी/यू डी सी के होते हुए भी शालादर्पण का काम शिक्षकों से करवा रहे हैं जो नियम विरुद्ध हैं।
जिस काम में टीसी,कार्मिक सेवा अभिलेख,कार्मिक रिलीविंग,जोइनिंग,पूरा परीक्षा अभिलेख,मिड-डे-मील रिकॉर्ड और एस एम सी/एस डी एम सी का रिकॉर्ड संधारित करना सम्मिलित हो, उस काम की जिम्मेदारी भला एल डी सी/यू डी सी के होते हुए शिक्षक की कंधे पर कैसे डाली जा सकती हैं? शालादर्पण का काम नियमित रूप से वर्ष पर्यन्त चलने वाला काम हैं।इसकी जिम्मेदारी शिक्षकों को देने से शिक्षण की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती हैं। विद्यालय में एल डी सी/यू डी सी का पद रिक्त होने की दशा में संस्था-प्रधान बाजार में मौजूद कंप्यूटर ऑपरेटर्स की सहायता लेवे,भामाशाहों की मदद से स्कूल में कंप्यूटर ऑपरेटर्स लगाये या अन्य किसी फण्ड से व्यवस्था करे।कुछ विद्यालयों में तो एल डी सी/यू डी सी के होते हुए भी कंप्यूटर ऑपरेटर्स की सहायता ली जा रही हैं जबकि कुछ विद्यालयों में इनके पद रिक्त होते हुए भी शिक्षकों को आदेशित कर उनसे से शालादर्पण के नाम पर बाबूगिरी करवाई जा रही हैं, जो शिक्षक और विद्यार्थी दोनों के हित में नहीं हैं।सीधे-साधे शिक्षक इसे अपने जॉब-चार्ट का हिस्सा मानकर अपने मूल और वास्तविक कर्तव्य से भटक रहे हैं।संस्था प्रधान सोचते हैं कि किसी शिक्षक को कंप्यूटर का ज्ञान हैं तो इसका उपयोग कार्यालय कार्य हेतु होना चाहिए जबकि वास्तविकता यह हैं कि कंप्यूटर का ज्ञान शिक्षण-अधिगम की प्रक्रिया को सुगम,सरल,रोचक और प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक हैं।समस्त शिक्षक संघ विद्यार्थी हित में इस समस्या के खिलाफ आवाज उठाये। अगर सरकार और संस्था- प्रधान सुनवाई नहीं करे तो शिक्षक संघ उच्च न्यायलय में जनहित याचिका लगाये। इसे शिक्षक और विद्यार्थी हित में जरूर फॉरवर्ड करे।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
जिस काम में टीसी,कार्मिक सेवा अभिलेख,कार्मिक रिलीविंग,जोइनिंग,पूरा परीक्षा अभिलेख,मिड-डे-मील रिकॉर्ड और एस एम सी/एस डी एम सी का रिकॉर्ड संधारित करना सम्मिलित हो, उस काम की जिम्मेदारी भला एल डी सी/यू डी सी के होते हुए शिक्षक की कंधे पर कैसे डाली जा सकती हैं? शालादर्पण का काम नियमित रूप से वर्ष पर्यन्त चलने वाला काम हैं।इसकी जिम्मेदारी शिक्षकों को देने से शिक्षण की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती हैं। विद्यालय में एल डी सी/यू डी सी का पद रिक्त होने की दशा में संस्था-प्रधान बाजार में मौजूद कंप्यूटर ऑपरेटर्स की सहायता लेवे,भामाशाहों की मदद से स्कूल में कंप्यूटर ऑपरेटर्स लगाये या अन्य किसी फण्ड से व्यवस्था करे।कुछ विद्यालयों में तो एल डी सी/यू डी सी के होते हुए भी कंप्यूटर ऑपरेटर्स की सहायता ली जा रही हैं जबकि कुछ विद्यालयों में इनके पद रिक्त होते हुए भी शिक्षकों को आदेशित कर उनसे से शालादर्पण के नाम पर बाबूगिरी करवाई जा रही हैं, जो शिक्षक और विद्यार्थी दोनों के हित में नहीं हैं।सीधे-साधे शिक्षक इसे अपने जॉब-चार्ट का हिस्सा मानकर अपने मूल और वास्तविक कर्तव्य से भटक रहे हैं।संस्था प्रधान सोचते हैं कि किसी शिक्षक को कंप्यूटर का ज्ञान हैं तो इसका उपयोग कार्यालय कार्य हेतु होना चाहिए जबकि वास्तविकता यह हैं कि कंप्यूटर का ज्ञान शिक्षण-अधिगम की प्रक्रिया को सुगम,सरल,रोचक और प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक हैं।समस्त शिक्षक संघ विद्यार्थी हित में इस समस्या के खिलाफ आवाज उठाये। अगर सरकार और संस्था- प्रधान सुनवाई नहीं करे तो शिक्षक संघ उच्च न्यायलय में जनहित याचिका लगाये। इसे शिक्षक और विद्यार्थी हित में जरूर फॉरवर्ड करे।
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