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स्मार्ट सिटी अजमेर में बनेंगे 41 स्मार्ट स्कूल -प्रो. देवनानी

अजमेर 20 सितम्बर। केन्द्र सरकार द्वारा अजमेर को स्मार्ट सिटी की घोषणा के साथ ही राज्य सरकार ने भी शहर को तोहफा दिया है। अजमेर राज्य का पहला जिला बनेगा जहां शहर के 41 स्कूलों को स्मार्ट स्कूल के रूप में विकसित किया जाएगा।
इन स्कूलों में कम्प्यूटर और वाई-फाई की सुविधा के साथ ही डिजीटल क्लासरूम एवं स्मार्ट क्लासेस की सुविधा विकसित होगी। इसके लिए एक करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे।
केन्द्र सरकार द्वारा अजमेर को स्मार्ट सिटी चुनने के साथ ही शिक्षा राज्य मंत्राी प्रो. वासुदेव देवनानी ने भी राज्य सरकार की ओर से आज यह घोषणा की। उन्होंने तोपदड़ा स्थित ई-लर्निंग सेन्टर में शहर के विभिन्न विद्यालयों के प्रधानाध्यक एवं प्रधानाचार्या से सीधा संवाद कर यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी अजमेर में स्टेट बैंक आॅफ बीकानेर एण्ड जयपुर के सहयोग से स्कूलों को स्मार्ट स्कूल के रूप में विकसित किया जाएगा। इन स्कूलों में डिजीटल क्लासरूम, एयर कंडीशनर, प्रोजेक्टर, फर्नीचर, वाई-फाई एवं अन्य सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इस कार्य पर करीब एक करोड़ रूपए का खर्च आएगा। सभी स्कूलों को उनकी जरूरत के अनुसार राशि का आंवटन कर आगामी 15 अक्टूबर तक यह कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने अजमेर को स्मार्ट सिटी के रूप में चुना है। इस योजना के तहत अजमेर में अरबों रूपए खर्च कर शहर को स्मार्ट बनाने के लिए काम किया जाएगा। ऐसे में यह जरूरी है कि हमारे स्कूल भी स्मार्ट हों। राज्य सरकार ने इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए यह फैसला किया है कि शहर के स्कूलों में डिजीटल क्लासरूम तैयार किए जाएं।
प्रधानाध्यापकों और प्रधानाचार्यो से किया सीधा संवाद
शिक्षा राज्य मंत्राी प्रो. वासुदेव देवनानी ने आज ई-लर्निंग सेन्टर में शहर के विभिन्न विद्यालयों के प्रधानाध्यापक और प्रधानाचार्यों से सीधा संवाद किया। उन्होंने इन सभी को राज्य सरकार की अपेक्षाओं की जानकारी दी और उनकी समस्याओं को सुना।
शिक्षा राज्य मंत्राी ने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास है कि स्मार्ट सिटी के सभी शिक्षक और स्कूल भी स्मार्ट बनें। इसके लिए जरूरी है कि शहर के स्कूलों में भी नामांकन बढ़े। सरकार स्टाफिंग पेटर्न की हर दो साल में समीक्षा करेगी। इस समीक्षा के आधार पर ही स्कूलों से संबंधित निर्णय लिए जाएंगे।
उन्होंने शिक्षकों का आह्वान किया कि पिछले साल के परीक्षा परिणाम से सीख लेकर अगले साल के परिणाम को और बेहतर करने के लिए पूरी मेहनत से जुट जाएं। जहां जरूरी हो वहां रेमेडियल क्लासेस लगायी जाए। शिक्षक प्रयास करें कि उनकी स्कूल से ज्यादा से ज्यादा बालिकाएं गार्गी पुरस्कार प्राप्त करें। शिक्षक समय पर स्कूल आएं और स्कूल को विकसित करने में अपना सहयोग करें। स्कूलों में पैरेन्ट टीचर मीटिंग को नियमित तौर पर शुरू किया जाए ताकि शिक्षक अभिभावक संवाद से शिक्षा की गुणवत्ता बढ़े। इस अवसर पर शिक्षा विभाग के अधिकारी भी उपस्थ्ति थे।
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