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भूख से ज्यादा क्लास की चिंता, हर साल शानदार रिजल्ट

यहां बच्चों को खाने से अधिक क्लास की चिंता रहती है। तभी तो बड़े-बड़े कोचिंग संस्थानों को चुनौती देते हुए 12वीं के साथ पहली बार में आईआईटी पहुंच गए। जी हां! हम बूंदी के सीतापुरा स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय की बात कर रहे हैं, जिसने सात वर्ष में 205 बच्चे आईआईटी पहुंचा दिए।
इस वर्ष 49 में से 40 बच्चे आईआईटी पहुंचे हैं। यहां दक्षणा फाउंडेशन व रेजोनेंस की मदद से देशभर के बच्चे जवाहर नवोदय विद्यालय में पढ़ाई के साथ-साथ आईआईटी की कोचिंग पा रहे हैं। वर्ष 2009 से हर वर्ष मार्च माह में नवोदय दक्षणा सलेक्शन टेस्ट (एनडीएसटी) होता है। जिसमें देशभर के जवाहर नवोदय विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चे भाग लेते हैं। इसमें रेंक मिलने पर कोचिंग कराई जाती है। स्कूल में अधिकतम बैच 50 बच्चों का रहता है। इससे लाभ यह हो रहा है कि प्रत्येक विद्यार्थी शिक्षक के संपर्क में रहता है। वह पढ़ाई में आ रही परेशानी को तसल्ली से शिक्षक के पास जाकर दूर कर रहा है।

पैसा नहीं, सहारे से आगे बढ़े
प्राचार्य डॉ. जी. सूर्यनारायण की माने तो जवाहर नवोदय विद्यालय में पढऩे वाले बच्चों के पास पैसा नहीं है। वे सहारा देने मात्र से आगे बढ़ रहे हैं। बतौर उदाहरण बताया कि एक बार क्लास बंद करा दी तो कई बच्चे रोने लगे थे। लेकिन जब खाना नहीं मिलता तो कोई बच्चा आकर शिकायत नहीं करता। उन्होंने बताया कि अभावों में जीने वाले बच्चे यहां रहकर मेहनत कर रहे हैं। भीड़-भाड़ और शहरों की मॉल और सिनेमा की जिन्दगी से दूर रहते हैं। यहां पढ़ाई में तनाव नहीं दिखता। एक्स्ट्रा क्लास भी नहीं लगाई जाती।

देश की किसी भी आईआईटी में जाकर बूंदी का नाम लो तो बच्चों का झुंड निकलकर आएगा। इससे बड़ी खुशी हमारे लिए नहीं हो सकती। बच्चे त्योहार भी हमारे बीच मनाते हैं। बिना कहे पढऩे वाले बच्चे हैं। इन्हें रोटी की चिंता नहीं, क्लास की चिंता रहती है।
डॉ. जी. सूर्यनारायण, प्राचार्य

& शिक्षकों ने पूरी मदद की। इसी का परिणाम रहा कि आईआईटी में जाने का सपना साकार हुआ। जो माहौल यहां मिला वह अन्य कोचिंग संस्थानों में नहीं मिल सकता। सौरभ बागरी, सतना, मध्यप्रदेश


& शिक्षकों की मदद से आईआईटीयन होने का सपना सच हो सकेगा। जवाहर नवोदय विद्यालय से अधिक सलेक्शन का प्रमुख कारण शिक्षकों से सीधा आई कॉन्ट्रेक्ट है।
मयंक चित्तौड़ा, कोटा


& सब कुछ फ्री और हम आईआईटीयन हो जाएंगे। सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के लिए इस मदद का कोई जवाब नहीं। जो सिर्फ हमारे लिए सपना था उसे सच कर दिया।
आशीष शर्मा, हरियाणा

रेजोनेंस व दक्षणा गरीब छात्रों की मदद कर रहा है। एनडीएसटी से आने वाले विद्यार्थियों के लिए पूरी कोचिंग फीस देते हैं। बूंदी स्कूल का परिणाम सबसे बेहतर रहता है।
रोहितरंजन वर्मा, कार्यक्रम समन्वयक, दक्षणा
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