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शिक्षा विभाग ट्रांसफर के आदेश जारी करते समय नहीं करते बुद्धि का इस्तेमाल

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने आनन—फानन में शिक्षकों के ट्रांसफर में प्रमुख माध्यमिक शिक्षा सचिव को 4 दिसंबर को तलब किया है। न्यायाधीश मनीष भंडारी की एकलपीठ ने यह आदेश चंपा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने कहा कि विभाग बिना तथ्यात्मक स्थिति देखे ट्रांसफर आदेश जारी कर रहे हैं। जिससे अदालतों में भी मुकदमों की बाढ़ आ रही है। ऐसे में विभाग की कार्यप्रणाली पर क्यों न रिमॉर्क लगाया जाए।


अदालत ने कहा कि विभाग आदेश जारी करते समय अपने विवेक का इस्तेमाल ही नहीं करता, क्योंकि एक पद पर दो—दो व्यक्ति लगाने के मामले भी सामने आ रहे हैं। जबकि कई मामलों में पद के अस्तित्व में नहीं होने के बावजूद भी ट्रांसफर कर दिया गया।

याचिका में कहा गया कि उसे गत वर्ष 2 दिसंबर को भीलवाड़ा जिले में द्वितीय श्रेणी अध्यापक पद पर नियुक्त किया गया। इस पर याचिकाकर्ता ने विभाग में आपत्ति पेश कर कहा कि उससे कम मेरिट वालों को गृह जिले में नियुक्ति दी गई है। जिसे स्वीकार करते हुए विभाग ने गत 20 फरवरी को उसका ट्रांसफर नागौर कर दिया, लेकिन साथ ही यह शर्त लगा दी यदि पूर्व में पद ग्रहण कर लिया है तो यह आदेश प्रभावी नहीं रहेगा। जिसे अदालत में चुनौती दी गई।

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