अजमेर/सी.पी.जोशी । प्रारंभिक विद्यालयी पाठ्यक्रम में अब विश्व के बजाय
राजस्थान को तवज्जो दी जाएगी। शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने यह
पहल की है। उनका मानना है कि उम्र के लिहाज से पांचवीं कक्षा तक पढऩे वाले
विद्यार्थियों को सबसे पहले राजस्थान का ज्ञान होना आवश्यक है।
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इसके बाद उसे विश्व से संबंधित जानकारी मिलनी चाहिए। देवनानी ने
छात्र-छात्राओं की उम्र एवं कक्षा अनुसार राजस्थान एवं विश्व से संबंधित
जानकारियों का पाठ्यक्रम तैयार करवाने के आदेश जारी किए हैं। अगले शिक्षा
सत्र से यह व्यवस्था शुरू कर दी जाएगी।
देवनानी ने पत्रिका से विशेष बातचीत में बताया कि कक्षा एक से पांचवीं कक्षा तक के पाठ्यक्रम में 75 प्रतिशत राजस्थान से संबंधित विषयों की जानकारी होगी एवं 25 प्रतिशत पाठ्यक्रम भारत का पढ़ाया जाएगा। वहीं कक्षा 6 से 8वीं तक के विद्यार्थियों के लिए 50 प्रतिशत राजस्थान और 50 प्रतिशत भारत का पाठ्यक्रम होगा। इसके बाद की कक्षाओं में 25 प्रतिशत पाठ्यक्रम विश्व से संबंधित जानकारियों का शामिल किया जाएगा।
जानेंगे भारतीय वैज्ञानिकों के बारे में
शिक्षा राज्यमंत्री देवनानी ने भारतीय वैज्ञानिकों से संबंधित पुस्तकें भी तैयार करवाई हैं। यह पुस्तक पाठ्यक्रम में शामिल नहीं बल्कि जानकारी के लिए विद्यार्थियों को वितरित की जाएंगी। इसका उद्देश्य यह है कि भारतीय वैज्ञानिकों ने कई महत्वपूर्ण अनुसंधान एवं आविष्कार किए हैं। इसकी बच्चों को जानकारी होनी चाहिए, साथ ही उनमें वैज्ञानिक सोच भी उत्पन्न होगी
देवनानी ने पत्रिका से विशेष बातचीत में बताया कि कक्षा एक से पांचवीं कक्षा तक के पाठ्यक्रम में 75 प्रतिशत राजस्थान से संबंधित विषयों की जानकारी होगी एवं 25 प्रतिशत पाठ्यक्रम भारत का पढ़ाया जाएगा। वहीं कक्षा 6 से 8वीं तक के विद्यार्थियों के लिए 50 प्रतिशत राजस्थान और 50 प्रतिशत भारत का पाठ्यक्रम होगा। इसके बाद की कक्षाओं में 25 प्रतिशत पाठ्यक्रम विश्व से संबंधित जानकारियों का शामिल किया जाएगा।
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शिक्षा राज्यमंत्री देवनानी ने भारतीय वैज्ञानिकों से संबंधित पुस्तकें भी तैयार करवाई हैं। यह पुस्तक पाठ्यक्रम में शामिल नहीं बल्कि जानकारी के लिए विद्यार्थियों को वितरित की जाएंगी। इसका उद्देश्य यह है कि भारतीय वैज्ञानिकों ने कई महत्वपूर्ण अनुसंधान एवं आविष्कार किए हैं। इसकी बच्चों को जानकारी होनी चाहिए, साथ ही उनमें वैज्ञानिक सोच भी उत्पन्न होगी
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