जागरण संवाददता, जयपुर। राजस्थान में शिक्षकों के तबादलों के लिए सरकार ने नई नीति बनाई है। अब तबादला नीति के अनुसार ही तबादले हो सकेंगे। पिछले एक साल से अपने गृह नगर या आसपास के स्कूलों में तबादला
चाहने वालों को नई नीति से राहत मिलेगी। शिक्षामंत्री डा. बीडी कल्ला ने बताया कि राज्य के 85 हजार शिक्षकों के तबादले अब नीति के अनुसार ही होंगे। सरकार ने पिछले साल अगस्त में शाला दर्पण साइट पर शिक्षकों के तबादलों के लिए आनलाइन आवेदन मांगे थे। इसमें बड़ी संख्या में शिक्षकों ने आवेदन किए थे। शिक्षक लंबे समय से तबादला नीति की मांग कर रहे थे। अब तक विधायकों और सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के नेताओं की सिफारिश के आधार पर ही तबादले किए जा रहे थे।85 हजार शिक्षकों ने तबादले के लिए किया आवेदन
शिक्षकों को उम्मीद है कि अब नीति के अनुसार तबादले होंगे। राज्य में तृतीय श्रेणी के करीब एक लाख 88 हजार शिक्षक हैं। इनमें से 85 हजार ने तबादलों के लिए आवेदन किया हुआ है। अब इन सभी के तबादले हो सकेंगे। एक ही स्कूल में पांच साल या इससे अधिक समय से कार्य करने वाले शिक्षकों को तबादलों में प्राथमिकता दी जाएगी। आदिवासी क्षेत्र में लंबे समय से तैनात शिक्षकों के तबादले गैर आदिवासी क्षेत्र में हो सकेंगे। तबादलों में शिक्षकों के परीक्षा परिणाम को भी देखा जाएगा।
गौरतलब है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यूक्रेन से भारत लौटे छात्रों के लिए मेडिकल कालेजों में सीटों की संख्या में बढ़ोतरी करने का सुझाव दिया है। राजस्थान के भी एक हजार से अधिक छात्र यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे। अब यह वापस लौट रहे हैं। अशोक गहलोत ने एक बयान में कहा कि यूक्रेन संकट के कारण भारत लौटे हजारों छात्रों का भविष्य अनिश्चित हो गया है। ऐसे में इनके भविष्य को ध्यान में रखते हुए एक सकारात्मक फैसला लेना चाहिए। भारत के हजारों छात्र पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैं। इनमें से अधिकांश मेडिकल की पढ़ाई के लिए चीन, यूक्रेन, नेपाल, रूस, कजाखिस्तान, बांग्लादेश आदि देशों में जाते हैं, क्योंकि वहां खर्च कम होता है। गहलोत ने कहा कि छात्र वहां से पढ़कर आते हैं, तो इन्हें फारेन मेडिकल ग्रेजुएट परीक्षा देनी पड़ती है। वहां के भाषाई और पाठक्रम संबंधी बदलावों के कारण अधिकांश इस परीक्षा को पास नहीं कर पाते हैं। वह मेडिकल प्रेक्टस से वंचित रह जाते हैं।
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