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Friday 31 May 2019

शिक्षक भर्ती 1998 में चयनित तृतीय श्रेणी शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी

शिक्षक भर्ती 1998 में चयनित तृतीय श्रेणी शिक्षकों को पात्र होते हुए भी पिछले 20 साल से नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। प्रदेश की जिला परिषदों के जरिए वर्ष 1998 में हुई शिक्षक भर्ती के मामले में नियुक्ति से वंचित शिक्षकों के लिए कोर्ट ने फैसला दिया है कि बोनस अंक हटाकर अंकों की पुनर्गणना की जाए।


शिक्षक संघर्ष समिति से जुड़े पदाधिकारियों ने बताया कि कोर्ट ने राज्य सरकार की अपील को निस्तारित करते हुए ये आदेश दिए है। अब न्यूनतम वरियता सूची के हिसाब से नियुक्ति दी जाएगी। उक्त मामले में प्रदेश के 26 जिलों के 1400 से ज्यादा शिक्षक प्रभावित है। इसमें बांसवाड़ा जिले के भी 100 से 150 शिक्षक शामिल हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आए इस फैसले से इन वंचित शिक्षकों में खुशी है। पिछले लंबे समय से ये मांग चल रही थी। लगातार संगठन राज्य सरकार और कोर्ट के चक्कर लगा रहे थे। नियुक्ति प्रक्रिया में गड़बड़ी के कारण पात्र अभ्यर्थी भर्ती से वंचित रह गए थे। पिछले साल जून में भी यह मामला विभागीय अधिकारियों की उच्चस्तरीय बैठक में उठाया गया था। जिसमें अधिकारियों ने माना की नियुक्ति में लापरवाही बरती गई है, हाईकोर्ट के आदेशों की पालना नहीं की गई है। इस भर्ती में प्रदेश के 26 जिला परिषदों में 1400 शिक्षकों की भर्ती की गई थी। लेकिन जिलों की विशेष अंक की प्रक्रिया को अवैध माना गया था। इसके बाद ही कोर्ट ने इस भर्ती को गलत मानते हुए निरस्त करने के आदेश दिए थे।

नौकरी मिलने की फिर बढ़ी उम्मीद : इस भर्ती प्रक्रिया में बांसवाड़ा जिले में 46 अभ्यर्थियों की नियुक्ति हो गई थी और करीब 150 वंचित रह गए थे। बार बार उठ रहे इस मुद्दे पर गत 26 जून को सचिवालय में उच्चस्तरीय बैठक में इस भर्ती प्रक्रिया पर चर्चा की और अधिकारियों ने माना की गड़बड़ी हुई है।

नाैकरी मिली ताे काेई 5 तो कोई 10 साल करेगा नौकरी : करीब 20 सालों से नौकरी का इंतजार कर रहे पात्र अभ्यर्थियों को इस फैसले का लाभ मिलता है तो उनमें 10 अभ्यर्थी तो ऐसे हैं जिनके महज 5 से 10 साल तक की नौकरी का ही अवसर है। हालांकि अभी स्पष्ट नहीं हुहा है कि अभ्यर्थियों को लाभ 20 साल पहले से मिलेगा या नियुक्ति से।

वीजा बनाने के नाम पर सात लाख रुपए की धोखाधड़ी

बांसवाड़ा। वीजा बनाने के नाम पर 7 लाख की धोखाधड़ी के आरोप में नामजद केस दर्ज किया है। खांदू कॉलोनी निवासी अर्जुन पुत्र मनाभाई सोनी ने पुलिस को दी रिपोर्ट में वारदात 3 मार्च की है। इसमें नई दिल्ली के विनोद नगर निवासी मोहम्मद पुत्र अब्दुल्ला पर आरोप लगाया कि उसने वीजा बनाने के नाम पर अर्जुन से 7 लाख रुपए एठ लिए। पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

यह है पूरा मामला

नियुक्ति से वंचित अभ्यर्थी उज्ज्वल जोशी ने बताया कि राज्य सरकार ने साल 1998 में थर्ड ग्रेड की भर्ती पंचायती राज विभाग के माध्यम से निकाली थी। इसमें राजस्थान के निवासियों को 10 अंक, गृह जिलाें के अभ्यर्थियों को 10 अंक, ग्रामीण क्षेत्रों के अभ्यर्थियों को 5 अंक बोनस के देकर वरियता सूची तैयार की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने बोनस अंकों के अाधार पर नियुक्ति देने को गलत बताते, लेकिन राज्य सरकार ने इसकी पालना नहीं की और हजारों अवैध नियुक्तियां दे दी। गड़बड़ी ऐसी हुई की कम अंक वालों को नियुक्ति मिल गई और अधिक अंक वाले आज भी बेरोजगार हैं। 

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