जनसत्ता विशेष: सरकारी भर्तियों में लग रहे सालों-साल - The Rajasthan Teachers Blog - राजस्थान - शिक्षकों का ब्लॉग

Subscribe Us

ads

Hot

Post Top Ad

Your Ad Spot

Wednesday 19 December 2018

जनसत्ता विशेष: सरकारी भर्तियों में लग रहे सालों-साल

राजस्थान में सरकारी भर्तियां तो निकाली जाती हैं पर बेरोजगारों को तय समय में नौकरी नहीं मिल पाती है। प्रदेश में पिछले सात साल में कोई भी सरकारी भर्ती समय पर पूरी नहीं हो पाई है।
प्रदेश में सरकारी नौकरियों की भर्ती में तीन से पांच साल तक का समय लग रहा है। इसमें कई भर्तियों पर तो अदालती रोक है। बेरोजगारों के गुस्से को देखते हुए ही प्रदेश में विधानसभा चुनाव में दोनों दलों ने अपने घोषणा पत्रों में बेरोजगारी भत्ते का वादा किया था। प्रदेश में अब कांग्रेस की सरकार बनी है और उसने सभी बेरोजगारों को साढ़े तीन हजार रुपए महीने का भत्ता देने का वादा किया था। उसका यह वादा अब कब पूरा होगा, इसकी आस ही बेरोजगार युवाओं को है।

राजस्थान में भर्तियों में देरी का सबसे बड़ा कारण भर्ती परीक्षा में आने वाले प्रश्नों को लेकर उठे विवाद हैं। इसके मामले तो जिला न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचते हैं। विवाद का यह मूल कारण होने के बावजूद सरकार इसका कोई समाधान नहीं निकाल पा रही है। इसके उलट इन मामलों को लेकर सरकार करोड़ों रुपए ही विवाद को लेकर खर्च कर रही है। राजस्थान लोक सेवा आयोग अकेले ने ही तीन साल में न्यायिक प्रकरणों में ढाई करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर दिए। इतनी ही राशि बेरोजगार युवा भी अदालती लड़ाई में खर्च कर रहे हैं। भर्ती चाहें स्कूल व्याख्याता की हो या राजस्थान विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर की, सभी में प्रश्न पत्रों की खामियां ही सामने आई। इनमें पेपर सेटिंग में गलती के कारण आठ से 40 प्रश्न तक अमान्य घोषित किए गए।
प्रदेश में पांच सालों की कई भर्तियों पर निगाहें डालने पर साफ होता है कि ज्यादातर में विवादों के कारण मामले अदालतों में पहुंचे और उनमें खासी देरी हुई। प्रदेश में 2013 की एलडीसी भर्ती परीक्षा में एक प्रश्न पर विवाद अभी तक चल रहा है। इसका मामला सुप्रीम कोर्ट में है। एलडीसी के 7500 पदों की भर्ती अभी तक अटकी हुई है। 2015 की पटवारी भर्ती परीक्षा में गलत विकल्प के कारण आठ प्रश्न हटाए गए। भर्ती 4400 पदों के लिए थी। इसका विवाद हाल में ही सुलझा है और नियुक्तियां अब नई सरकार देगी। साल 2013 की शिक्षक भर्ती परीक्षा में प्रश्नों के विवाद के कारण पंचायत राज विभाग ने दो बार इसका परिणाम जारी किया। इसका विवाद भी अदालतों में पहुंचा हुआ है और भर्ती 20 हजार शिक्षकों के पदों की है जो अटकी हुई है।
2016 की शिक्षकों की भर्ती में अभ्यर्थियों ने 14 प्रश्नों को हाई कोर्ट में चुनौती दे रखी है। विवाद सुलझाने के लिए अदालत ने विशेषज्ञों की समिति बनाई है। इस परीक्षा की 7200 भर्तियां अटकी हुई हैं। प्रदेश में राजस्थान लोक सेवा आयोग और कर्मचारी चयन आयोग विभिन्न स्तरों की परीक्षाएं लेते हैं। इनके अलावा कई विभाग अपने स्तर पर भी भर्ती परीक्षा आयोजित करवाते हैं। राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव का कहना है कि परीक्षा करवाने वाली एजंसियां तो प्रश्न पत्रों में ऐसी खामियां छोड़ देती हैं कि उसका खामियाजा बेरोजगारों को भुगतना पडता है। इसे लेकर ही अभ्यर्थी अदालतों की शरण में चले जाते हैं। प्रश्न पत्रों में खामियां छोड़ने वाले विशेषज्ञों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का कोई प्रावधान ही सरकार ने नहीं बना रखा है। ऐसा नियम जब तक नहीं बनेगा तब तक भर्तियां अटकती रहेंगी।

यादव ने कहा कि अब राजनीतिक दल अपनी सरकार बनाने के लिए युवाओं को लुभाने के लिए उन्हें बेरोजगारी भत्ते का प्रलोभन दे रहे है। भत्ता तो एक नियत समय तक ही मिल पाएगा, इसके इतर सरकारों को अपनी भर्तियों को समयबद्व और पारदर्शी बनाना चाहिए। राज्य कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष बीएल जाटावत का कहना है कि परीक्षाएं हो जाने के बाद कई मामले अदालतों में चले जाते हैं। बोर्ड की कोशिश रहती है कि भर्ती परीक्षाएं नियत समय पर पूरी हो और आवेदकों को भी तय समय पर नियुक्तियां मिल जाए। सरकार को भी भर्ती परीक्षाओं के लिए समयबद्व कैलेंडर बनाना चाहिए ताकि बोर्ड को अपना काम करने में आसानी रहे।

No comments:

Post a Comment

Recent Posts Widget
'; (function() { var dsq = document.createElement('script'); dsq.type = 'text/javascript'; dsq.async = true; dsq.src = '//' + disqus_shortname + '.disqus.com/embed.js'; (document.getElementsByTagName('head')[0] || document.getElementsByTagName('body')[0]).appendChild(dsq); })();

Advertisement

Important News

Popular Posts

Post Top Ad

Your Ad Spot

Copyright © 2019 Tech Location BD. All Right Reserved