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नियमों के भंवर में तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती... पांच साल में चौथा फार्मूला बनाने की नौबत

वर्ष 2012 और 2013 में तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में आरटेट के बाद परीक्षा का आयोजन किया गया था। जिलेवार मेरिट बनाई गई। दोनों ही भर्तियां काफी विवादों में रही और सवालों के जवाबों को लेकर मामला कोर्ट तक पहुंचा। परिणाम को कई बार बदला गया। अब तक भी कुछ पदों पर नियुक्ति बकाया है।
सरकार ने 2016 में तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती के नियमों में बदलाव कर दिया। इसमें तय किया गया कि शिक्षक भर्ती परीक्षा नहीं होगी। केवल रीट या आरटेट के अंकों की मेरिट के आधार पर ही भर्ती की जाएगी। इन प्रावधानों के तहत विभाग ने 15 हजार पदों के लिए आवेदन भी मांगे, जिसमें 7500 पद लेवल प्रथम और 7500 पद लेवल द्वितीय के थे।
वर्ष 2016 में शुरू हुई भर्ती प्रक्रिया चल ही रही थी कि मामला कोर्ट में पहुंच गया। पिछले साल अप्रैल में कोर्ट ने इस भर्ती के सेकंड लेवल में केवल रीट या आरटेट के अंकों की मेरिट से भर्ती को अनुचित माना और नया फार्मूला तय कर भर्ती करने के निर्देश दिए। इसके बाद विभाग ने रीट या आरटेट के अंकों का 70 फीसदी वेटेज और स्नातक के अंकों का 30 फीसदी वेटेज जोड़कर मेरिट बनाने का नया नियम लागू कर दिया।

अब बनाना होगा चौथा नियम

सरकार कोर्ट का आदेश मानती है तो नए नियम के तहत रीट या आरटेट, स्नातक के साथ बीएड में भी अभ्यर्थी के विषय को देखा जाएगा। नियम कैसे और क्या होंगे, इस बारे में शिक्षा विभाग के अधिकारी अभी कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं। वे केवल इतना कहते हैं कि वरिष्ठ अध्यापक व व्याख्याता भर्ती में बीएड के विषय देखने का प्रावधान नहीं है, इसलिए सरकार सुप्रीम कोर्ट भी जा सकती है। 

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