एजुकेशन रिपोर्टर | जोधपुर जेएनवीयू शिक्षक भर्ती में अनियमितता के आरोप में गिरफ्तारी के बाद निलंबित हुए प्रो. डीएस खीची की सेवाओं को विश्वविद्यालय ने बहाल कर दिया है। प्रो. खीची व अन्य निलंबित शिक्षकों व कर्मचारी के आवेदन पर मार्च में सिंडिकेट ने एक कमेटी गठित की थी, जिसकी सिफारिशों के आधार पर प्रो. खीची की सेवाओं को बहाल किया गया है।
निलंबित हुए प्रो. खीची, विवेक, ऋषभ गहलोत, सुरेंद्र कुमार व केशवन को बहाल करने के संबंध में सिंडिकेट में चर्चा हुई थी। इस मामले में नियमानुसार कार्रवाई करने के लिए सिंडिकेट ने विधि संकाय की डीन व सिंडिकेट सदस्य प्रो. चंदनबाला के संयोजन में कमेटी गठित की गई। कमेटी में सिंडिकेट सदस्य प्रो. रवि सक्सेना व वाणिज्य संकाय के डीन प्रो. जसराज बाेहरा भी थे।
नियमों के अनुसार निलंबन के बाद छह महीने में करनी होती है जांच
जेएनवीयू नियमों के हिसाब से किसी भी कर्मचारी अथवा शिक्षक को किसी भी आरोप या दोष में निलंबित किया जाता है, तो उसे अगले छह माह में जांच पूर्ण कर, उसके खिलाफ अंतिम कार्रवाई करना अनिवार्य है। नियमानुसार यदि कार्रवाई नहीं की जाती है तो कर्मचारी अथवा शिक्षक को फिर से सेवाओं में लेना जरूरी है। इसी नियम के आधार पर कमेटी ने बहाली की मोहर लगाई। कमेटी की रिपोर्ट अनुसार कुलपति प्रो. सिंह के निर्देश पर कुलसचिव प्रो. पीके शर्मा ने आदेश जारी कर प्रो. खीची को बहाल कर दिया। इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट के एएजी ने भी बहाल करने की राय दी थी।
9 महीने की देरी से जारी किए आदेश
प्रो. खीची का आरोप है कि निलंबन को 15 माह बीत गए, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने एसीबी व राज्य सरकार के दबाव की वजह से इस आदेश को करीब 9 माह देरी से किया है। नियमानुसार प्रो. खीची तथा अन्य निलंबित शिक्षकों व कर्मचारी को निलंबन की तिथि से सेवाओं में मानते हुए सभी लाभ देने होंगे।
नियमानुसार कार्रवाई की
जेएनवीयू सिंडिकेट की ओर से प्रो. खीची सहित अन्य निलंबित कर्मचारी व शिक्षकों की सेवाओं को बहाल करने के लिए कमेटी गठित की थी। कमेटी की सिफारिशों व हाईकोर्ट के एएजी की विधिक राय के आधार पर ही नियमानुसार प्रो. खीची की सेवाएं बहाल की गई है। इससे पूर्व चार शिक्षकों की बहाली की गई थी। - प्रो. आरपी सिंह, कुलपति, जेएनवीयू
निलंबित हुए प्रो. खीची, विवेक, ऋषभ गहलोत, सुरेंद्र कुमार व केशवन को बहाल करने के संबंध में सिंडिकेट में चर्चा हुई थी। इस मामले में नियमानुसार कार्रवाई करने के लिए सिंडिकेट ने विधि संकाय की डीन व सिंडिकेट सदस्य प्रो. चंदनबाला के संयोजन में कमेटी गठित की गई। कमेटी में सिंडिकेट सदस्य प्रो. रवि सक्सेना व वाणिज्य संकाय के डीन प्रो. जसराज बाेहरा भी थे।
नियमों के अनुसार निलंबन के बाद छह महीने में करनी होती है जांच
जेएनवीयू नियमों के हिसाब से किसी भी कर्मचारी अथवा शिक्षक को किसी भी आरोप या दोष में निलंबित किया जाता है, तो उसे अगले छह माह में जांच पूर्ण कर, उसके खिलाफ अंतिम कार्रवाई करना अनिवार्य है। नियमानुसार यदि कार्रवाई नहीं की जाती है तो कर्मचारी अथवा शिक्षक को फिर से सेवाओं में लेना जरूरी है। इसी नियम के आधार पर कमेटी ने बहाली की मोहर लगाई। कमेटी की रिपोर्ट अनुसार कुलपति प्रो. सिंह के निर्देश पर कुलसचिव प्रो. पीके शर्मा ने आदेश जारी कर प्रो. खीची को बहाल कर दिया। इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट के एएजी ने भी बहाल करने की राय दी थी।
9 महीने की देरी से जारी किए आदेश
प्रो. खीची का आरोप है कि निलंबन को 15 माह बीत गए, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने एसीबी व राज्य सरकार के दबाव की वजह से इस आदेश को करीब 9 माह देरी से किया है। नियमानुसार प्रो. खीची तथा अन्य निलंबित शिक्षकों व कर्मचारी को निलंबन की तिथि से सेवाओं में मानते हुए सभी लाभ देने होंगे।
नियमानुसार कार्रवाई की
जेएनवीयू सिंडिकेट की ओर से प्रो. खीची सहित अन्य निलंबित कर्मचारी व शिक्षकों की सेवाओं को बहाल करने के लिए कमेटी गठित की थी। कमेटी की सिफारिशों व हाईकोर्ट के एएजी की विधिक राय के आधार पर ही नियमानुसार प्रो. खीची की सेवाएं बहाल की गई है। इससे पूर्व चार शिक्षकों की बहाली की गई थी। - प्रो. आरपी सिंह, कुलपति, जेएनवीयू
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