हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2017 (लेवल दो) के मामले में उन
अभ्यर्थियों को ही पात्र माना है, जिन्होंने स्नातक के साथ बीएड व रीट भी
उन विषयों से पास की हो, जिस विषय के शिक्षक के लिए उन्होंने आवेदन किया
था। वहीं कोर्ट ने राज्य सरकार को नियुक्ति देते समय उन अभ्यर्थियों को
नियुक्ति नहीं देने को कहा है जिनके पास रीट, स्नातक व बीएड में संबंधित
विषय नहीं रहा हो।
अदालत ने कहा कि बीएड शिक्षक बनने की अनिवार्य पात्रता है। बीएड में संबंधित विषय वही हो सकता है जो स्नातक में पढ़ा गया हो। यदि बीएड में वह विषय नहीं पढ़ा गया है तो शिक्षक उस विषय का विशेषज्ञ नहीं बन सकता। चूंकि बीएड व स्नातक में भी वे विषय होने चाहिए। ऐसे में रीट में भी वही विषय होना चाहिए।
न्यायाधीश एम.एन.भंडारी व डीसी सोमानी की खंडपीठ ने यह आदेश मनीष मोहन बोहरा की अपील का निपटारा करते हुए दिया। हालांकि खंडपीठ ने भर्ती में नियुक्त हो चुके उन शिक्षकों को नौकरी से नहीं हटाने को कहा है जिनके पास बीएड में वे 2 विषय रहे हों जो स्नातक में रहे थे। याचिका में कहा कि राज्य सरकार ने अंग्रेजी विषय के 4800 पदों पर 2017 में भर्ती निकाली थी। इन पदों में से 3500 पदों पर राज्य सरकार ने नियुक्ति दे दी। इससे पहले राज्य सरकार ने 2016 की तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में रीट में वह विषय मांगा था, जिसके लिए उन्होंने आवेदन किया था। लेकिन स्नातक व बीएड में उसे अनिवार्य नहीं माना था। मामला कोर्ट में पहुंचने पर अदालत ने स्नातक व बीएड में भी वह विषय होना माना। लेकिन राज्य सरकार ने 29 अगस्त 2017 को स्नातक व रीट में संंबंधित विषय मान लिया, लेकिन बीएड में वह विषय नहीं रखा। जिस पर प्रार्थी ने हाईकोर्ट में कहा कि स्नातक व रीट में अंग्रेजी विषय है लेकिन बीएड में नहीं है। जबकि लेवल-2 में विषय विशेषज्ञ होना जरूरी है आैर बीएड अनिवार्य है और उसमें संबंधित विषय नहीं मान रहे। इस पर कोर्ट ने कहा कि शिक्षक बनने की अनिवार्य पात्रता बीएड है और बीएड में वही विषय हो सकता है जो स्नातक में पढ़ा हो। यदि बीएड में वह विषय नहीं पढ़ा तो शिक्षक उसका विशेषज्ञ नहीं बन सकता।
अदालत ने कहा कि बीएड शिक्षक बनने की अनिवार्य पात्रता है। बीएड में संबंधित विषय वही हो सकता है जो स्नातक में पढ़ा गया हो। यदि बीएड में वह विषय नहीं पढ़ा गया है तो शिक्षक उस विषय का विशेषज्ञ नहीं बन सकता। चूंकि बीएड व स्नातक में भी वे विषय होने चाहिए। ऐसे में रीट में भी वही विषय होना चाहिए।
न्यायाधीश एम.एन.भंडारी व डीसी सोमानी की खंडपीठ ने यह आदेश मनीष मोहन बोहरा की अपील का निपटारा करते हुए दिया। हालांकि खंडपीठ ने भर्ती में नियुक्त हो चुके उन शिक्षकों को नौकरी से नहीं हटाने को कहा है जिनके पास बीएड में वे 2 विषय रहे हों जो स्नातक में रहे थे। याचिका में कहा कि राज्य सरकार ने अंग्रेजी विषय के 4800 पदों पर 2017 में भर्ती निकाली थी। इन पदों में से 3500 पदों पर राज्य सरकार ने नियुक्ति दे दी। इससे पहले राज्य सरकार ने 2016 की तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में रीट में वह विषय मांगा था, जिसके लिए उन्होंने आवेदन किया था। लेकिन स्नातक व बीएड में उसे अनिवार्य नहीं माना था। मामला कोर्ट में पहुंचने पर अदालत ने स्नातक व बीएड में भी वह विषय होना माना। लेकिन राज्य सरकार ने 29 अगस्त 2017 को स्नातक व रीट में संंबंधित विषय मान लिया, लेकिन बीएड में वह विषय नहीं रखा। जिस पर प्रार्थी ने हाईकोर्ट में कहा कि स्नातक व रीट में अंग्रेजी विषय है लेकिन बीएड में नहीं है। जबकि लेवल-2 में विषय विशेषज्ञ होना जरूरी है आैर बीएड अनिवार्य है और उसमें संबंधित विषय नहीं मान रहे। इस पर कोर्ट ने कहा कि शिक्षक बनने की अनिवार्य पात्रता बीएड है और बीएड में वही विषय हो सकता है जो स्नातक में पढ़ा हो। यदि बीएड में वह विषय नहीं पढ़ा तो शिक्षक उसका विशेषज्ञ नहीं बन सकता।
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