जयपुर। हाईकोर्ट ने 3rd Grade Shikshak Bharti 2017 (Level-2) को लेकर
कहा है कि स्नातक, बीएड व रीट तीनों में जो विषय है, शिक्षक का उसी विषय के
लिए चयन हो सकता है। साथ ही, नियुक्त हो चुके शिक्षकों को स्नातक के तीनों
विषयों में से बीएड में एक विषय नहीं होने पर भी कार्य करते रहने की छूट
दी है।
न्यायाधीश मनीष भण्डारी व न्यायाधीश दिनेश चन्द्र सोमानी की खण्डपीठ ने मनीष मोहन बोहरा व अन्य के मामले में यह आदेश दिया। मामला तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2017 (लेवल-2) के अंग्रेजी विषय के शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर था। इस भर्ती के तहत 4800 पदों में से 3400 पर नियुक्ति हो चुकी है। प्रार्थीपक्ष की ओर से अधिवक्ता विज्ञान शाह ने कहा कि 2016 की तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में विषयाध्यापक के लिए रीट में सम्बन्धित विषय होना अनिवार्य था, स्नातक व बीएड में सम्बन्धित विषय की अनिवार्यता नहीं थी।
हाईकोर्ट ने स्नातक व बीएड में भी सम्बन्धित विषय अनिवार्य करने को कहा। इसके बाद राज्य सरकार ने अगस्त 2017 में स्नातक व रीट में भी सम्बन्धित विषय की अनिवार्यता की शर्त जोड दी। प्रार्थी मदन मोहन बोहरा के पास रीट में अंग्रेजी विषय नहीं था, लेकिन स्नातक व बीएड में अंग्रेजी विषय था। प्रार्थी को रीट में अंग्रेजी विषय नहीं होने के कारण अंग्रेजी के विषयाध्यापक के रूप में नियुक्ति से इनकार कर दिया गया। इस पर प्रार्थीपक्ष का कहना था कि इस आधार पर नियुक्ति से मना नहीं कर सकते। बीएड शिक्षक के लिए आवश्यक पात्रता है, वहां विषय विशेष की अनिवार्यता नहीं है। ऐसे में रीट में विषय विशेष की अनिवार्यता नहीं की सकती।
बीएड में सम्बन्धित विषय होना अनिवार्य
कोर्ट ने कहा कि बीएड शिक्षक बनने की अनिवार्य पात्रता है, ऐसे में बीएड और स्नातक में सम्बन्धित विषय होना अनिवार्य है। जिसके पास बीएड में सम्बन्धित विषय नहीं है, वह उस विषय का शिक्षक बनने के लिए पात्र नहीं है। बीएड व स्नातक में सम्बन्धित विषय होना अनिवार्य है, ऐसे में पात्रता के लिए रीट में भी सम्बन्धित विषय होना चाहिए। इस कारण रीट में सम्बन्धित विषय नहीं रखने वालों को उस विषय के शिक्षक के रूप में नियुक्ति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने अब तक नियुक्ति पा चुके स्नातक के विषयों में से दो विषय बीएड में हैं और बीएड में विषय विशेष नहीं हैं, लेकिन रीट में विषय विशेष था। तो ऐसे अभ्यर्थियों को शिक्षक बने रहने दिया जाए
न्यायाधीश मनीष भण्डारी व न्यायाधीश दिनेश चन्द्र सोमानी की खण्डपीठ ने मनीष मोहन बोहरा व अन्य के मामले में यह आदेश दिया। मामला तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2017 (लेवल-2) के अंग्रेजी विषय के शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर था। इस भर्ती के तहत 4800 पदों में से 3400 पर नियुक्ति हो चुकी है। प्रार्थीपक्ष की ओर से अधिवक्ता विज्ञान शाह ने कहा कि 2016 की तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में विषयाध्यापक के लिए रीट में सम्बन्धित विषय होना अनिवार्य था, स्नातक व बीएड में सम्बन्धित विषय की अनिवार्यता नहीं थी।
हाईकोर्ट ने स्नातक व बीएड में भी सम्बन्धित विषय अनिवार्य करने को कहा। इसके बाद राज्य सरकार ने अगस्त 2017 में स्नातक व रीट में भी सम्बन्धित विषय की अनिवार्यता की शर्त जोड दी। प्रार्थी मदन मोहन बोहरा के पास रीट में अंग्रेजी विषय नहीं था, लेकिन स्नातक व बीएड में अंग्रेजी विषय था। प्रार्थी को रीट में अंग्रेजी विषय नहीं होने के कारण अंग्रेजी के विषयाध्यापक के रूप में नियुक्ति से इनकार कर दिया गया। इस पर प्रार्थीपक्ष का कहना था कि इस आधार पर नियुक्ति से मना नहीं कर सकते। बीएड शिक्षक के लिए आवश्यक पात्रता है, वहां विषय विशेष की अनिवार्यता नहीं है। ऐसे में रीट में विषय विशेष की अनिवार्यता नहीं की सकती।
बीएड में सम्बन्धित विषय होना अनिवार्य
कोर्ट ने कहा कि बीएड शिक्षक बनने की अनिवार्य पात्रता है, ऐसे में बीएड और स्नातक में सम्बन्धित विषय होना अनिवार्य है। जिसके पास बीएड में सम्बन्धित विषय नहीं है, वह उस विषय का शिक्षक बनने के लिए पात्र नहीं है। बीएड व स्नातक में सम्बन्धित विषय होना अनिवार्य है, ऐसे में पात्रता के लिए रीट में भी सम्बन्धित विषय होना चाहिए। इस कारण रीट में सम्बन्धित विषय नहीं रखने वालों को उस विषय के शिक्षक के रूप में नियुक्ति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने अब तक नियुक्ति पा चुके स्नातक के विषयों में से दो विषय बीएड में हैं और बीएड में विषय विशेष नहीं हैं, लेकिन रीट में विषय विशेष था। तो ऐसे अभ्यर्थियों को शिक्षक बने रहने दिया जाए
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