सरकार का फीस एक्ट भले ही सभी निजी स्कूलों पर पूरी तरह लगाम लगाने में नाकाम रहा हो, लेकिन राज्य सरकार ने निजी स्कूलों को काबू में करने के लिए एक और प्रयास शुरू कर दिया है। सरकार अनुदानित शिक्षण संस्थाओं के लिए करीब 30 साल पहले बने कानून को नया रूप देने में जुटी है।
इस कानून में संशोधन के बाद निजी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती, भर्ती के नियम, वेतन तय करने और रिटायरमेंट जैसे मामलों में सीधे सरकार दखल दे सकेगी। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के साथ किसी भी बोर्ड से संबद्धता प्राप्त निजी स्कूल इस कानून के दायरे में होंगे। मान्यता के नियमों के उल्लंघन पर 10 हजार रुपए जुर्माने का भी प्रावधान किया जाएगा। सरकार ने कानून में प्रस्तावित संशोधन का ड्राफ्ट जारी कर लोगों से आपत्तियां भी मांग ली है।
दरअसल, सरकार राजस्थान गैर-सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम-1989 में संशोधन करने वाली है। संशोधन के ड्राफ्ट पर 30 अप्रैल तक सुझाव मांगे हैं। पहले यह अधिनियम अनुदानित संस्थाओं पर लागू था। अनुदानित संस्थाओं के कर्मचारियों को सरकारी सेवा में समायोजित किया जा चुका है। साथ ही सरकार ने इन संस्थाओं को अनुदान देना भी बंद कर दिया है। इसलिए अब इस एक्ट का कोई औचित्य नहीं रहा। इस एक्ट में अनुदानित संस्थाओं के लिए सहायता प्राप्त संस्थाएं शब्द प्रयुक्त किया गया था। सरकार इस एक्ट में संशोधन करते हुए सहायता के स्थान पर मान्यता शब्द का प्रयोग करके प्रदेश की मान्यता प्राप्त शैक्षिक संस्थाओं को इस एक्ट के दायरे में लाना चाहती है। शिक्षा विभाग ने ढाई साल पहले नवंबर 2015 में भी इस प्रकार का प्रयास किया था, लेकिन निजी स्कूलों के दबाव में आकर इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।
बिगब्रेकिंग
फीस एक्ट के बाद निजी स्कूलों पर लगाम लगाने के लिए अब एक नए बदलाव की तैयारी, यह लागू हुआ तो सभी मान्यता प्राप्त स्कूलों पर होगी सरकार की मजबूत पकड़
प्रमुख संशोधन और उनसे पड़ने वाले असर
भर्ती नियम और वेतन तय कर सकेगी सरकार- पुराने एक्ट की धारा 16 (1) के अनुसार राज्य सरकार को सहायता प्राप्त संस्थाओं के कर्मचारियों के रूप में नियुक्ति व्यक्तियों की अर्हता, वेतन, बीमा, रिटायरमेंट आयु, छुट्टी के आचरण और अनुशासन से संबंधित शर्तों, भर्ती और सेवा की शर्तों को तय करने का अधिकार है। इस धारा में सहायता के स्थान पर मान्यता शब्द जोड़ा जा रहा है। इसके बाद प्रदेश के सभी मान्यता प्राप्त निजी स्कूल इस एक्ट के दायरे में आ जाएंगे। स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती सहित अन्य मामलों में सरकार दखल दे सकेगी।
भर्ती का पूरा रिकॉर्ड रखना होगा
पुराने एक्ट की धारा-17 में केवल समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर भर्ती की जा सकती थी। अब इस धारा में संशोधन करके यह किया जा रहा है कि मान्यता प्राप्त संस्था में भर्ती किए जाने वाले अध्यापक के लिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा घोषित शैक्षिक प्राधिकारी द्वारा निर्धारित न्यूनतम अर्हता प्राप्त व्यक्ति ही पात्र होंगे। भर्ती किए जाने के तरीके और प्रक्रिया का रिकॉर्ड रखा जाएगा।
सभी बोर्डों से संबद्धता प्राप्त स्कूल दायरे में
पुराने एक्ट की धारा 2 (ग) में केवल सीबीएसई और आरबीएसई से संबद्धता प्राप्त स्कूल ही इस एक्ट के दायरे में आते थे। अब संशोधन के जरिए इसमें विधि द्वारा स्थापित कोई अन्य बोर्ड भी जोड़ा जा रहा है। इससे सभी प्रकार के बोर्डों से संबद्धता प्राप्त स्कूल इस एक्ट के दायरे में रहेंगे।
वेतन का भुगतान बैंक खातों के जरिए
पुराने एक्ट की धारा 31 (1) (2) में अंकित है कि कर्मचारियों को वेतन का भुगतान अकाउंट पेई चैकों से किया जाएगा। नए कानून में मान्यता प्राप्त संस्था के कर्मचारियों को वेतन का भुगतान बैंक खातों के माध्यम से किया जाना प्रस्तावित है।
मान्यता नियमों के उल्लंघन पर 10 हजार जुर्माना
अगर निजी स्कूल ने मान्यता संबंधी नियमों का उल्लंघन किया तो उस पर जुर्माने की राशि एक हजार रुपए से बढ़ाकर 10 हजार रुपए किया जाना प्रस्तावित है।
निजी स्कूलों का दबाव,एक्ट से हटाई जाएगी धारा-29
पुराने एक्ट की प्रमुख धाराओं में से एक धारा-29 को सरकार हटाने जा रही है। इस धारा में लिखा है कि किसी सहायता प्राप्त संस्था के सभी कर्मचारियों के संबंध में वेतनमान और भत्ते सरकारी संस्थाओं से संबंधित कर्मचारियों के लिए विहित वेतनमानों और भत्तों से कम नहीं होंगे। सरकार अगर इस धारा में सहायता के स्थान पर मान्यता शब्द जोड़ दे तो निजी स्कूलों में काम करने वाले हर कर्मचारी को सरकारी वेतनमान और भत्ते मिलने की स्थिति बन सकती है। सरकार इस धारा में संशोधन की बजाय इस धारा को ही हटाने जा रही है। यानी वेतनमान और भत्ते निजी स्कूल संचालक मर्जी से तय कर सकेंगे। लेकिन इसमें एक पेच यह फंसा रहेगा कि एक्ट की धारा-16(1) में वेतन शब्द अंकित है।
यह निजी स्कूलों की स्वायत्तता में सीधा दखल है। स्वायत्तता से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे। सरकार के इस कदम का पुरजोर तरीके से विरोध किया जाएगा। - अनिल शर्मा, प्रदेशाध्यक्ष, स्कूल शिक्षा परिवार
एक्ट में प्रस्तावित संशोधनों का ड्राफ्ट जारी किया गया है। इस पर सुझाव मांगे गए हैं। सुझाव पर चर्चा के बाद ही इस मामले पर कुछ कहा जा सकता है। - वासुदेव देवनानी, शिक्षा राज्यमंत्री
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