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Thursday 8 March 2018

इरादे यदि दृढ़ हो तो मंजिल के रोड़े भी दूर होते जाते हैं, फिर सफलता की राह नजर आती है: महिलाएं बोलीं

यदि इरादे दृढ़ हो तो मंजिल की परेशानियां भी सफलता कर राह प्रशस्त करती नजर आती है। राजस्थान के हिंडौन में अवस्थी क्लासेज में हुई संगोष्ठी में प्रतियोगी परीक्षाओं में चयनित हुई युवतियों ने सफलता के सूत्र की विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी कर रही छात्राओं से चर्चा की।


क्लासेज के निदेशक मोनू अवस्थी की अध्यक्षता में हुई संगोष्ठी में छात्राओं ने कहा कि समय बदलने के साथ महिला सशक्तीकरण आंदोलन और मजबूत हुआ है। हिण्डौन जैसे शहर में महानगरों की तरह युवतियां व महिलाएं नौकरीपेशा हो आत्मनिर्भर बनने का प्रयास कर रही है। कोचिंग संस्थानों में तैयारी कर रही आधी दुनिया की संख्या इसकी बानगी है।
वर्ष २०१२ में तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परिणाम में जिले में प्रथम स्थान पर रही शिखा मंगल ने बताया कि वह मजबूत इरादे से वर्ष २००८ से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में जुटी रही।
वर्ष २०१२ की परीक्षा में उसने मंजिल को पा लिया। द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा में चयनित मधुरिमा जैन ने बताया कि विपरीत परिस्थितियों के चलते उसके कई बार निराशा मिली, लेकिन मेहनत की राह कामय रहने से अंत में सफलता मिल गई। इसी प्रकार प्रथम श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा में चयनित सानूका साहू का कहना है कि बेहतर मार्गदर्शन और कड़ी मेहनत से वे सफल हो सकी हैं। पटवारी परीक्षा में सफल रही रीना खंडेलवाल ने बताया कि वह पारिवारिक परिस्थितियों के कारण पांच वर्ष तक पढ़ाई से दूर रही। बाद में उसने पटवारी, ग्रामसेवक और एलडीसी परीक्षा में सफलता प्राप्त की।
महिलाओं ने कहा, सामाजिक स्तर पर अभी भी कई रूढि़वादी परंपराएं समाज में व्याप्त हैं, जिन्हें मिटाने के लिए सभी को मिलकर जतन करने होंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही ऐसा सशक्त माध्यम है, जिसके जरिए महिलाएं अपना सम्मान और हक पा सकती हैं। बेटियों को पढ़ाने से ही समाज की दिशा और दशा बदल सकती है।


परीक्षा परिणामों में आने वाले मेरिट लिस्ट इसकी गवाह हैं कि बेटियां पढऩे में अव्वल हैं। ऐसे में सभी अभिभावकों को बेटे-बेटियों को समान दर्जा देकर पढ़ाना चाहिए। एक बेटी के पढऩे से एक नहीं बल्कि दो घरों में उजियारा होगा। दौसा के गगवाना निवासी उर्मिला मीना वर्तमान में वह जिले में एक मात्र थानाधिकारी है।

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