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Tuesday 20 February 2018

सुविवि असिस्टेंट रजिस्ट्रार की भर्ती पर बवाल, पहले 166 की लिस्ट जारी की, फिर रातोरात 69 को घोषित कर दिया अपात्र

सुविवि असिस्टेंट रजिस्ट्रार की भर्ती पर बवाल, पहले 166 की लिस्ट जारी की, फिर रातोरात 69 को घोषित कर दिया अपात्र
सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट रजिस्ट्रार के 3 पदों पर नियुक्तियों को लेकर बड़ी गड़बड़ी सामने आई है।...

सुविवि असिस्टेंट रजिस्ट्रार की भर्ती पर बवाल, पहले 166 की लिस्ट जारी की, फिर रातोरात 69 को घोषित कर दिया अपात्र
सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट रजिस्ट्रार के 3 पदों पर नियुक्तियों को लेकर बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट रजिस्ट्रार के पद पर 19 जनवरी को 166 पात्र अभ्यर्थियों की लिस्ट जारी की गई थी। वहीं इसके बाद रविवार को आनन-फानन में एक नई लिस्ट जारी कर दी गई। जिसमें 69 अभ्यर्थियों को अपात्र बताते हुए लिस्ट से बाहर कर दिया गया। नई लिस्ट में इनके गेस्ट फैकल्टी के शैक्षणिक अनुभव को यूनिवर्सिटी ने मान्य नहीं माना जबकि भर्ती को लेकर यूनिवर्सिटी के बनाए नियम में इसे लेकर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं है। इधर नई लिस्ट को लेकर रजिस्ट्रार हिम्मत सिंह भाटी का कहना है कि उनके नाम से जारी यह लिस्ट सरासर गलत है। इसके बारे में उनसे पूछा तक नहीं गया है। इस बारे में जब कुलपति डॉ. जेपी शर्मा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सभी पत्र रजिस्ट्रार के नाम से ही जारी होते हैं। उस दिन वे छुट्टी पर थे। उनकी जगह जो थे उन्होंने जारी की होगी। लिस्टें जारी करने के लिए भी दो अलग-अलग कमेटियां बनाई गईं। पहली कमेटी ने 166 लोगों को भर्तियों के लिए वैध माना वहीं दूसरी कमेटी ने सिर्फ 97 लोगों को ही योग्य माना। अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि कुछ कद्दावर लोगों के परिवार के लोगों को नियुक्ति देने के लिए लिस्ट और प्रक्रिया में रातोरात बदलाव किया गया है।

गेस्ट फैकल्टी का अध्यापन अनुभव नहीं किया मान्य जबकि नियमों में ऐसा स्पष्ट ही नहीं है

प्रभावितों ने किया हंगामा, लगाए आरोप : पूर्व कुलपतियों के बेटे-बेटियों को फायदा पहुंचाने के लिए हमें किया बाहर

कुल पद : 3 असिस्टेंट रजिस्ट्रार के

काबिलियत का पैमाना था : पीजी में 55 प्रतिशत अंक और पांच साल का सैकेंड क्लास अध्यापन अनुभव .....

कमेटी : प्रो. नीरज शर्मा, प्रो. एसके कटारिया और परीक्षा नियंत्रक आरसी कुमावत की कमेटी बनाई गई।

रजिस्ट्रार हिम्मत सिंह ने कहा- मेरी गैरमौजूदगी में मेरे नाम से जारी कर दी लिस्ट, अभ्यर्थियों के साथ गलत किया

मामले में बड़ी चौंकाने वाली बात यह है कि यूनिवर्सिटी की रविवार को जारी हुई लिस्ट को खुद यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार हिम्मत सिंह भाटी ने गलत माना है। रजिस्ट्रार ने कहा है कि उनकी अनुपस्थिति में उनका पक्ष लिए बिना लिस्ट जारी की गई और अभ्यर्थियों के साथ गलत किया गया। रविवार को जारी की गई लिस्ट को लेकर रजिस्ट्रार ने बताया कि वे 10 दिन की छुट्टी पर थे और इस दौरान कुलपति की मर्जी से लिस्ट जारी कर दी गई। भाटी ने कहा कि मेरे नाम पर लिस्ट जारी की गई है पर मैं इससे सहमत नहीं हूं। पहले एक लिस्ट टांगी गई और फिर अचानक दूसरी लिस्ट टांग दी गई। भाटी ने कहा कि इस तरह नहीं होना चाहिए, अगर अभ्यर्थियों को किसी भी आधार पर बाहर किया तो उन्हें यूनिवर्सिटी में आकर अपनी बात रखने का मौका देना चाहिए था। भाटी ने कहा कि कुलपति के हस्ताक्षर से यह लिस्ट जारी हुई मगर यूनिवर्सिटी में किसी के हितों के साथ कुठाराघात नहीं होने दिया जाएगा। भाटी ने कहा कि ना जाने कुलपति इतना तेज क्यों भागना चाहते हैं, जो काम पारदर्शिता से साफ-सुथरा हो वही किया जाना चाहिए।

19 जनवरी को 166 काे 4 फरवरी की परीक्षा के लिए काबिल माना और रजिस्ट्रार के हस्ताक्षरों से सूची चस्पां कर दी गई।

यूनिवर्सिटी ने 23 जनवरी को नया आदेश निकालकर कहा कि पूर्व में जारी की गई अभ्यर्थियों की लिस्ट में आपत्ति आई है, ऐसे में 4 फरवरी की परीक्षा को निरस्त कर अगली लिस्ट जारी की जाएगी।

इन लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए जारी की लिस्ट

नई लिस्ट में बाहर किए गए गेस्ट फैकल्टी रूप सिंह मीणा ने आरोप लगाया है कि कुछ महत्वपूर्ण लोगों के रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए नई लिस्ट जारी की गई है। इसमें पूर्व कुलपति मधुसूदन शर्मा के बेटे विपुल शर्मा, राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन बीएल चौधरी की बेटी राधा चौधरी और पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रवि शर्मा को भर्ती करने के लिए यह नई लिस्ट जारी की गई है। वहीं एक और अभ्यर्थी डॉ. परमवीर सिंह दूलावत ने आरोप लगाया कि पेसिफिक जैसी यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले शिक्षक जिनकी डिग्री मान्य नहीं है उन्हें योग्य करार दिया जा रहा है जबकि हम सुखाड़िया जैसी ए ग्रेड यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं फिर भी हमें अमान्य घोषित कर दिया गया है।

दोबारा अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जांच के लिए प्रो. सीआर सुथार, प्रो. प्रदीप त्रिखा और कम्प्यूटर विभाग के एन.के. पारीक की नई तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई।

18 फरवरी को नए सिरे से अगली परीक्षा के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी की गई। इस सूची में सिर्फ 97 ही नाम हैं। यानी 69 उम्मीदवारों को अगली परीक्षा की दाैड़ से ही बाहर कर दिया गया।

अारोप : डॉ. परमवीर सिंह दुलावत और डॉ. रूपसिंह मीणा आरोप लगाते हैं, हमें इसलिए इस सूची से बाहर किया गया, क्योंकि परीक्षा में हम लोगों का चयन तय था। दरअसल विवि के दो पूर्व कुलपतियों के, जिनमें से एक अभी बोर्ड चेयरमैन भी हैं, बेटे-बेटी और विवि के एक पूर्व अध्यक्ष का चयन मुश्किल होता। दुलावत और मीणा के अनुसार इसीलिए अचानक प्रक्रिया में यह बदलाव किया गया, जो बहुत ही आपत्तिजनक है आैर पूरे प्रकरण में मनमानेपन की बू आ रही है।

वीसी डॉ. जेपी शर्मा :रजिस्ट्रार छुट्‌टी पर थे, हर पत्र उनके नाम से ही जारी होता है

कुलपति डॉ. जेपी शर्मा बोले- हर पत्र रजिस्ट्रार के नाम से जारी होता है, आपत्ति आई थी, इसलिए दूसरी लिस्ट जारी की

मामले को लेकर सुखाड़िया के कुलपति प्रो. जेपी शर्मा ने कहा कि यूनिवर्सिटी में हर पत्र रजिस्ट्रार के नाम पर जारी होता है। हिम्मत सिंह भाटी छुट्टी पर थे, रजिस्ट्रार नहीं। वे 10 दिन नहीं थे उनकी जगह जो भी रजिस्ट्रार होगा उससे पूछकर लिस्ट जारी की गई होगी। लिस्ट में कुछ भी गलत नहीं है, पहली लिस्ट में जिन्हें चयनित किया था उसपर आपत्तियां आई थी। इसी के चलते दूसरे तरीके से जांच के लिए नई कमेटी बनाई गई। दूसरी कमेटी ने अपने अनुसार पात्र अभ्यर्थियों की लिस्ट जारी की। रजिस्ट्रार के लिस्ट को गलत बताए जाने पर कुलपति ने कहा कि कुछ भी गलत नहीं हुआ है मगर अगर कुछ अभ्यर्थियों को लग रहा है गलत है तो इसपर विचार कर उनकी स्क्रीनिंग करा लेंगे।

नियमों में पांच वर्ष का अध्यापन अनुभव, यूनिवर्सिटी का तर्क- मान्य नहीं गेस्ट फैकल्टी

भर्तियों को लेकर जहां सुखाड़िया ने अपने बनाए नियमों में मल्टी-फैकल्टी कॉलेज, यूनिवर्सिटी या विशिष्ट शैक्षणिक संस्थान में पांच वर्ष का शैक्षणिक अनुभव योग्यतानुसार मान्य माना है। वहीं दूसरी ओर बाहर किए अभ्यर्थियों को लेकर यूनिवर्सिटी तर्क दे रही है कि गेस्ट फैकल्टी के तौर पर जिन्होंने काम किया है उनका अनुभव मान्य नहीं है। हालांकि यूनिवर्सिटी के नियमों में इसको लेकर कोई स्पष्टता नजर नहीं आती है।

सवाल ये भी हैं : एक पूर्व कुलपति की बेटी का अनुभव प्रमाण पत्र ऐसे विवि का है, जो फर्जी डिग्रियों के विवादों से घिरा हुआ है। एक पूर्व कुलपति का बेटा कोटा में पहले से डिप्टी रजिस्ट्रार है, वह इस विवि में एसिस्टेंट रजिस्ट्रार बनना चाहता है। एक पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष भी पद की दौड़ में हैं, जबकि बाकी प्रत्याशी परीक्षा में रहते तो उनका चयन मुश्किल होता।

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