राजसमंद/आईडाणा. तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती के लिए
होने जा रही राजस्थान अध्यापक पात्रता परीक्षा ‘रीट‘सिर्फ तीन साल ही वैध
होगी। रीट के माध्यम से सरकार 35 हजार तृतीय श्रेणी शिक्षकों की भर्ती करने
जा रही है।
लेकिन, वैधता अवधि कम होने से अभ्यर्थियों को तीन वर्ष बाद फिर से शिक्षक भर्ती के लिए रीट की परीक्षा देनी होगी। इससे अभ्यर्थियों को बार- बार परीक्षा की तैयारी के साथ ही समय और धन दोनों का नुकसान उठाना पड़ेगा।
सात वर्ष थी आरटेट की वैधता
वर्ष 2011 एवं 2012 में हुई आरटेट की वैधता अवधि प्रमाण पत्र जारी होने की तिथि से सात वर्ष तक मान्य थी। इससे अभ्यर्थी एक से अधिक शिक्षक भर्ती परीक्षाओं के लिए पात्र होता था। अब रीट की वैद्यता अवधि कम करने से अच्छे अंक प्राप्त करने के बाद भी शिक्षक भर्ती में चयन नहीं होने पर फिर से रीट की परीक्षा देनी होगी।
युवाओं को ज्यादा नुकसान
रीट की वैद्यता अवधि कम होने का सबसे ज्यादा नुकसान युवाओं को होगा। बीएड या एसटीसी प्रशिक्षित युवाओं का कहना है कि पात्रता परीक्षा की वैधता बहुत कम है और आवश्यक नहीं है कि पहली बार अच्छे अंक आने के बाद अगली बार भी अच्छे अंक ही आएं। स्नातक के साथ ही बीएड या एसटीसी करने वाले युवाओं के उम्र सीमा पार करने से पूर्व कई बार भर्ती परीक्षाएं देने का मौका मिलता है। ऐसे में रीट की वैधता अवधि अधिक होनी चाहिए।
शिक्षक भर्ती में महत्वपूर्ण
रीट तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में मुख्य भूमिका निभाएगी। शिक्षक भर्ती के लेवल दो के लिए रीट के 70 प्रतिशत एवं स्नातक के 30 प्रतिशत तथा लेवल एक के लिए रीट के 70 प्रतिशत एवं कक्षा 12 के 30 प्रतिशत अंक जुड़ेंगे।
पाठ्यक्रम व अंक भार समान
रीट का पाठ्यक्रम एवं अंक भार के साथ ही अन्य नियम भी आरटेट के सामान ही हैं। ऐसे में तीन वर्ष तक बेरोजगारों के साथ खेल खेला गया। बरोजगारों को एक बार फिर से सारी परेशानी उठाकर परीक्षा की तैयारी करनी पड़ेगी।
पांच वर्ष तो हो वैधता
रीट की वैधता अवधि बहुत कम है। इससे बरोजगारों को बार-बार तैयारी करनी पड़ेगी। कम से कम एक सरकार के कार्यकाल के बराबर इसकी वैधता अवधि होनी चाहिए।
राजेश गहलोत रीट अभ्यर्थी, आमेट
रीट की बाध्यता खत्म हो
रीट की वैधता अवधि की बाध्यता खत्म होनी चाहिए। किसी को अंक सुधारने हो, तो वे ही पुन: परीक्षा दें, ऐसा प्रावधान होना चाहिए।
प्रहलाद सिंह राव, रीट अभ्यर्थी, गुगली आमेट
लेकिन, वैधता अवधि कम होने से अभ्यर्थियों को तीन वर्ष बाद फिर से शिक्षक भर्ती के लिए रीट की परीक्षा देनी होगी। इससे अभ्यर्थियों को बार- बार परीक्षा की तैयारी के साथ ही समय और धन दोनों का नुकसान उठाना पड़ेगा।
सात वर्ष थी आरटेट की वैधता
वर्ष 2011 एवं 2012 में हुई आरटेट की वैधता अवधि प्रमाण पत्र जारी होने की तिथि से सात वर्ष तक मान्य थी। इससे अभ्यर्थी एक से अधिक शिक्षक भर्ती परीक्षाओं के लिए पात्र होता था। अब रीट की वैद्यता अवधि कम करने से अच्छे अंक प्राप्त करने के बाद भी शिक्षक भर्ती में चयन नहीं होने पर फिर से रीट की परीक्षा देनी होगी।
युवाओं को ज्यादा नुकसान
रीट की वैद्यता अवधि कम होने का सबसे ज्यादा नुकसान युवाओं को होगा। बीएड या एसटीसी प्रशिक्षित युवाओं का कहना है कि पात्रता परीक्षा की वैधता बहुत कम है और आवश्यक नहीं है कि पहली बार अच्छे अंक आने के बाद अगली बार भी अच्छे अंक ही आएं। स्नातक के साथ ही बीएड या एसटीसी करने वाले युवाओं के उम्र सीमा पार करने से पूर्व कई बार भर्ती परीक्षाएं देने का मौका मिलता है। ऐसे में रीट की वैधता अवधि अधिक होनी चाहिए।
शिक्षक भर्ती में महत्वपूर्ण
रीट तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में मुख्य भूमिका निभाएगी। शिक्षक भर्ती के लेवल दो के लिए रीट के 70 प्रतिशत एवं स्नातक के 30 प्रतिशत तथा लेवल एक के लिए रीट के 70 प्रतिशत एवं कक्षा 12 के 30 प्रतिशत अंक जुड़ेंगे।
पाठ्यक्रम व अंक भार समान
रीट का पाठ्यक्रम एवं अंक भार के साथ ही अन्य नियम भी आरटेट के सामान ही हैं। ऐसे में तीन वर्ष तक बेरोजगारों के साथ खेल खेला गया। बरोजगारों को एक बार फिर से सारी परेशानी उठाकर परीक्षा की तैयारी करनी पड़ेगी।
पांच वर्ष तो हो वैधता
रीट की वैधता अवधि बहुत कम है। इससे बरोजगारों को बार-बार तैयारी करनी पड़ेगी। कम से कम एक सरकार के कार्यकाल के बराबर इसकी वैधता अवधि होनी चाहिए।
राजेश गहलोत रीट अभ्यर्थी, आमेट
रीट की बाध्यता खत्म हो
रीट की वैधता अवधि की बाध्यता खत्म होनी चाहिए। किसी को अंक सुधारने हो, तो वे ही पुन: परीक्षा दें, ऐसा प्रावधान होना चाहिए।
प्रहलाद सिंह राव, रीट अभ्यर्थी, गुगली आमेट
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