लीगल रिपोर्टर. जयपुर | हाईकोर्टने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि
कांस्टेबल के पद पर कार्यरत प्रार्थी को तृतीय श्रेणी शिक्षक के पद पर
नियुक्ति के लिए रिलीव करें।
साथ ही मामले में गृह सचिव, डीजीपी, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक एसपी बूंदी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अदालत ने यह अंतरिम आदेश शंकरलाल गुर्जर की याचिका पर दिया। अधिवक्ता आरपी सैनी ने बताया कि प्रार्थी जुलाई 2015 में बूंदी में कांस्टेबल पद पर नियुक्त हुआ इस दौरान अगस्त 2017 में उसका चयन तृतीय श्रेणी शिक्षक के पद पर हो गया। लेकिन पुलिस विभाग ने उसे दो साल की प्रोबेशन अवधि में दिए वेतन राशि उसकी ट्रेनिंग पर खर्च हुई राशि भुगतान करने के बाद ही रिलीव करने के लिए कहा।
इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि राजस्थान सेवा नियमों के प्रावधानों के अनुसार एक राज्य सेवा से दूसरी राज्य सेवा में जा सकते हैं। प्रार्थी ने प्रोबेशन पीरियड में पुलिस विभाग में काम किया था और उसके बदले ही उसे वेतन दिया था। ऐसे में पुलिस विभाग उससे वेतन ट्रेनिंग पर खर्च हुई राशि की वसूली नहीं कर सकता और यह गलत है।
साथ ही मामले में गृह सचिव, डीजीपी, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक एसपी बूंदी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अदालत ने यह अंतरिम आदेश शंकरलाल गुर्जर की याचिका पर दिया। अधिवक्ता आरपी सैनी ने बताया कि प्रार्थी जुलाई 2015 में बूंदी में कांस्टेबल पद पर नियुक्त हुआ इस दौरान अगस्त 2017 में उसका चयन तृतीय श्रेणी शिक्षक के पद पर हो गया। लेकिन पुलिस विभाग ने उसे दो साल की प्रोबेशन अवधि में दिए वेतन राशि उसकी ट्रेनिंग पर खर्च हुई राशि भुगतान करने के बाद ही रिलीव करने के लिए कहा।
इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि राजस्थान सेवा नियमों के प्रावधानों के अनुसार एक राज्य सेवा से दूसरी राज्य सेवा में जा सकते हैं। प्रार्थी ने प्रोबेशन पीरियड में पुलिस विभाग में काम किया था और उसके बदले ही उसे वेतन दिया था। ऐसे में पुलिस विभाग उससे वेतन ट्रेनिंग पर खर्च हुई राशि की वसूली नहीं कर सकता और यह गलत है।
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