जयनारायणव्यास विश्वविद्यालय शिक्षक भर्ती में चयनित 34 शिक्षकों के
विरुद्ध अनियमितता के मामले उजागर होने के बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए
लगाई अग्रिम जमानत याचिका पर मंगलवार को सुनवाई पूरी हुई। कोर्ट ने सभी
पक्ष सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा।
हालांकि कोर्ट ने गिरफ्तारी पर स्थगन आदेश पहले ही दे रखा था।
अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवकुमार व्यास ने एसीबी की ओर से पक्ष रखते हुए बताया कि याचिकाकर्ता शिक्षक फर्जी तरीके से नियुक्त हुए हैं। प्रारंभिक तौर पर सभी अभ्यर्थियों के पास पूरी योग्यता नहीं थी। लाभार्थी याचिकाकर्ताओं के पास यूजीसी के नियमानुसार नेट स्लेट उत्तीर्ण की पात्रता नहीं थी। भर्ती में जमकर धांधलेबाजी हुई भाई-भतीजावाद चला है। उन्होंने अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि इनसे पूछताछ के लिए गिरफ्तारी आवश्यक है। कुछ लाभार्थियों को तो साक्षात्कार से पूर्व ही साक्षात्कार में पूछे जाने वाले प्रश्नों की जानकारी भी दी गई थी। इसके लिए कस्टोडियल पूछताछ आवश्यक है, जिससे प्रकरण के कई महत्वपूर्ण खुलासे होने की संभावना है। उन्होंने अपने तर्क के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की नजीरें भी पेश की। सरकार का पक्ष सुनने के बाद जस्टिस पीके लोहरा ने फैसला सुरक्षित रख लिया, हालांकि याचिकाकर्ताओं का पक्ष पहले ही सुन चुके हैं।
हालांकि कोर्ट ने गिरफ्तारी पर स्थगन आदेश पहले ही दे रखा था।
अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवकुमार व्यास ने एसीबी की ओर से पक्ष रखते हुए बताया कि याचिकाकर्ता शिक्षक फर्जी तरीके से नियुक्त हुए हैं। प्रारंभिक तौर पर सभी अभ्यर्थियों के पास पूरी योग्यता नहीं थी। लाभार्थी याचिकाकर्ताओं के पास यूजीसी के नियमानुसार नेट स्लेट उत्तीर्ण की पात्रता नहीं थी। भर्ती में जमकर धांधलेबाजी हुई भाई-भतीजावाद चला है। उन्होंने अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि इनसे पूछताछ के लिए गिरफ्तारी आवश्यक है। कुछ लाभार्थियों को तो साक्षात्कार से पूर्व ही साक्षात्कार में पूछे जाने वाले प्रश्नों की जानकारी भी दी गई थी। इसके लिए कस्टोडियल पूछताछ आवश्यक है, जिससे प्रकरण के कई महत्वपूर्ण खुलासे होने की संभावना है। उन्होंने अपने तर्क के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की नजीरें भी पेश की। सरकार का पक्ष सुनने के बाद जस्टिस पीके लोहरा ने फैसला सुरक्षित रख लिया, हालांकि याचिकाकर्ताओं का पक्ष पहले ही सुन चुके हैं।
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