बीकानेर | प्रारंभिकशिक्षा में सूचना तंत्र गड़बड़ा रहा है। राजस्थान
प्रारंभिक शिक्षा परिषद ने प्रदेश के जिला शिक्षा अधिकारियों के नाम लिखे
पत्र में साफ तौर पर कहा है कि महज 32 फीसदी पीईईओ ने ही नए माड्यूल के तहत
प्रविष्ठियां की हैं। इधर शिक्षकों का कहना है कि विभाग ने पीईईओ को एक के
बाद एक जिम्मेदारियां थोप रखी हैं, ऐसे में सभी काम समय पर होना संभव ही
नहीं है।
परिषद के आयुक्त डॉ. जोगाराम की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि शाला दर्शन पोर्टल पर पीईईओ लॉगिन में स्कूल मेन्यू के तहत किए गए कामों के लिए मॉड्यूल शुरु किया गया है। इसमें पीईईओ के कामों को ऑनलाइन करने के लिए निर्देशित किया गया। आयुक्त ने खेद जताते हुए कहा है कि राज्य के 9894 पीईईओ मेंसे मात्र 32 फीसदी ने ही अपने काम की प्रविष्ठि की है। अफसरों से यह भी कहा गया है कि पीईईओ से समन्वय स्थापित कर यह काम शत फीसदी पूरा किया जाए। इधर प्रदेश के विभिन्न शिक्षक संगठनों का कहना है कि विभाग ने एक के बाद एक नियम-कायदों का तो भारी पुलिंदा तैयार कर निर्देश जारी कर दिए, लेकिन इसका प्रभावी नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। पीईईओ के नाम आए दिन एक के बाद एक सर्कुलर जारी हो रहे हैं। ऐसे में वे खुद ही यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि उन्हें अपने काम को कैसे अंजाम देना है।
विभाग ने एक के बाद एक थोप दी जिम्मेदारी, नहीं संभल रहा काम, अधूरे काम पर विभाग ने जताई नाराजगी
नोडल व्यवस्था खत्म कर दी, फिर भी काम नोडल से: पीईईओ लगाने के साथ ही विभाग की ओर से नोडल व्यवस्था को खत्म कर दिया गया था। ऐसे में सभी जिम्मेदारियां पीईईओ की हैं। इधर राजस्थान शिक्षक पंचायतीराज कर्मचारी संघ के प्रदेश प्रवक्ता नारायणसिंह का कहना है कि आज भी बीईईओ के मार्फत सीधे नोडल के नाम आदेश जारी किए जा रहे हैं। यह दर्शाता है कि विभाग अपनी ही योजना पर काम नहीं कर पा रहा है। उन्होंने संगठन की ओर से इसका भारी विरोध दर्ज कराया है। राजस्थान शिक्षक संघ प्रगतिशील के कार्यकारी उपाध्यक्ष गिरिश कुमार शर्मा का कहना है कि पीईईओ पर जरूरत से ज्यादा जिम्मेदारियां लादी जा रही हैं। ऐसे में इसके रिजल्ट भी खराब आने का खतरा है।
परिषद के आयुक्त डॉ. जोगाराम की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि शाला दर्शन पोर्टल पर पीईईओ लॉगिन में स्कूल मेन्यू के तहत किए गए कामों के लिए मॉड्यूल शुरु किया गया है। इसमें पीईईओ के कामों को ऑनलाइन करने के लिए निर्देशित किया गया। आयुक्त ने खेद जताते हुए कहा है कि राज्य के 9894 पीईईओ मेंसे मात्र 32 फीसदी ने ही अपने काम की प्रविष्ठि की है। अफसरों से यह भी कहा गया है कि पीईईओ से समन्वय स्थापित कर यह काम शत फीसदी पूरा किया जाए। इधर प्रदेश के विभिन्न शिक्षक संगठनों का कहना है कि विभाग ने एक के बाद एक नियम-कायदों का तो भारी पुलिंदा तैयार कर निर्देश जारी कर दिए, लेकिन इसका प्रभावी नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। पीईईओ के नाम आए दिन एक के बाद एक सर्कुलर जारी हो रहे हैं। ऐसे में वे खुद ही यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि उन्हें अपने काम को कैसे अंजाम देना है।
विभाग ने एक के बाद एक थोप दी जिम्मेदारी, नहीं संभल रहा काम, अधूरे काम पर विभाग ने जताई नाराजगी
नोडल व्यवस्था खत्म कर दी, फिर भी काम नोडल से: पीईईओ लगाने के साथ ही विभाग की ओर से नोडल व्यवस्था को खत्म कर दिया गया था। ऐसे में सभी जिम्मेदारियां पीईईओ की हैं। इधर राजस्थान शिक्षक पंचायतीराज कर्मचारी संघ के प्रदेश प्रवक्ता नारायणसिंह का कहना है कि आज भी बीईईओ के मार्फत सीधे नोडल के नाम आदेश जारी किए जा रहे हैं। यह दर्शाता है कि विभाग अपनी ही योजना पर काम नहीं कर पा रहा है। उन्होंने संगठन की ओर से इसका भारी विरोध दर्ज कराया है। राजस्थान शिक्षक संघ प्रगतिशील के कार्यकारी उपाध्यक्ष गिरिश कुमार शर्मा का कहना है कि पीईईओ पर जरूरत से ज्यादा जिम्मेदारियां लादी जा रही हैं। ऐसे में इसके रिजल्ट भी खराब आने का खतरा है।
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