अलवर. प्रदेश में पांचवीं
कक्षा के विद्यार्थियों को सही तरीके से लिखना भी नहीं आता , ऐसे
विद्यार्थियों को अब बोर्ड परीक्षा देनी होगी। ऐसे विद्यार्थी पेंसिल चलाने
में पारंगत नहीं है, जिन्हें अब पेन से परीक्षा देनी होगी।
इस परीक्षा के लिए सभी प्रश्न पत्र समीपवर्ती पुलिस थानों और पुलिस चौकियों में रखे गए हैं। पहली बार हो रही पांचवीं कक्षा के सभी विद्यार्थियों को पास किया जाएगा और उन्हें ग्रेड दी जाएगी।
पांचवीं कक्षा की परीक्षा को बोर्ड बनाने पर सबसे बड़ी विसंगति यह सामने आ रही है कि ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को सही ढंग से लिखना भी नहीं आता है जिन्हें अब पेन से परीक्षा देनी होगी।
पेन से परीक्षा देनी होगी
शिक्षाविदें का मानना है कि पांचवीं कक्षा तक पेंसिल चलाना सिखाया जाता है लेकिन अब उन्हें पेन से परीक्षा देनी होगी।
अलवर जिले की बात करें तो जिले में 39 हजार 586 विद्यार्थी पांचवीं की परीक्षा देंगे जिसके लिए 1093 परीक्षा केन्द्र बनाए गए हैं।
प्रदेश में पांचवीं बोर्ड परीक्षा में सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को परीक्षा देना अनिवार्य किया है जबकि प्राइवेट स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए यह आवश्यक नहीं है।
प्रदेश में यह परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों का मात्र 2 प्रतिशत ही है। पांचवीं बोर्ड के परीक्षार्थियों को परीक्षा केन्द्र तक ले जाने का काम सरकारी स्कूल के एक शिक्षकों को सौंपा गया है। पांचवीं बोर्ड की परीक्षा सरकारी स्कूलों के लिए अब चुनौती बन गया है।
इस परीक्षा के लिए सभी प्रश्न पत्र समीपवर्ती पुलिस थानों और पुलिस चौकियों में रखे गए हैं। पहली बार हो रही पांचवीं कक्षा के सभी विद्यार्थियों को पास किया जाएगा और उन्हें ग्रेड दी जाएगी।
पांचवीं कक्षा की परीक्षा को बोर्ड बनाने पर सबसे बड़ी विसंगति यह सामने आ रही है कि ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को सही ढंग से लिखना भी नहीं आता है जिन्हें अब पेन से परीक्षा देनी होगी।
पेन से परीक्षा देनी होगी
शिक्षाविदें का मानना है कि पांचवीं कक्षा तक पेंसिल चलाना सिखाया जाता है लेकिन अब उन्हें पेन से परीक्षा देनी होगी।
अलवर जिले की बात करें तो जिले में 39 हजार 586 विद्यार्थी पांचवीं की परीक्षा देंगे जिसके लिए 1093 परीक्षा केन्द्र बनाए गए हैं।
प्रदेश में पांचवीं बोर्ड परीक्षा में सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को परीक्षा देना अनिवार्य किया है जबकि प्राइवेट स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए यह आवश्यक नहीं है।
प्रदेश में यह परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों का मात्र 2 प्रतिशत ही है। पांचवीं बोर्ड के परीक्षार्थियों को परीक्षा केन्द्र तक ले जाने का काम सरकारी स्कूल के एक शिक्षकों को सौंपा गया है। पांचवीं बोर्ड की परीक्षा सरकारी स्कूलों के लिए अब चुनौती बन गया है।
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