बाड़मेर जिले के प्रारंभिक
शिक्षा से जुड़े शिक्षकों के विद्यालयों का परिणाम इतना कमजोर रहा कि
विद्यार्थियों को चालीस प्रतिशत अंक भी नहीं आए। विद्यार्थियों के फेल होने
पर विभाग ने 1187 शिक्षकों को नोटिस जारी कर करीब डेढ़ माह पूर्व कारण
पूछा था।
यह जवाब 15 दिन में विभाग को मिल जाना चाहिए था लेकिन डेढ़ माह में 335 शिक्षकों ने ही जवाब दिया है। जिन्होंने जवाब दिया है उन्होंने भी इतने अजीब तर्क दिए हंै जैसे उनका कोई कसूर नहीं है। किसी ने खुद को बीमार बताया तो किसी ने अपनी बीवी और मां-बाप की बीमारी का रटा रटाया जवाब देकर पल्ला झाडऩे की कोशिश की है। अधिकांश ने बच्चों को ही कमजोर बताते हुए कहा कि इनके मां बाप अनपढ़ है इसलिए नहीं पढ़ रहे हैं। शिक्षा विभाग इनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ है और अब सभी 1187 को सेवा नियम 17 के तहत चार्जशीट थमाई जा रही है। यह कार्रवाई करने के निर्देश जिला शिक्षा अधिकारी को मुख्य सचिव शिक्षा विभाग की ओर से जारी कर दिए गए हंै। इसकी पालना शीघ्र की जाएगी।
शिक्षा में गुणवत्ता की कमजोर स्थिति
जिले में चालीस प्रतिशत से कम अंक लाने वाले इन विद्यालयों में शिक्षण की स्थिति कमजोर है। पांचवीं कक्षा के विद्यार्थी का स्तर तीसरी और सातवीं के विद्यार्थी अभी चौथी के स्तर के ही है। इनके लिए अतिरिक्त मेहनत की जरुरत है जबकि शिक्षक अभी उन पर पूरा ध्यान नहीं दे रहे हंै।
अधिकांश ने कहा है स्टाफ नहीं है
कमजोर परिणाम को लेकर अधिकांश शिक्षकों ने कहा कि विद्यालय में स्टाफ नहीं है। जिले में एक हजार के करीब स्कूलों में एकल शिक्षक ही है। इन शिक्षकों को कहना है कि जब स्टाफ ही नहीं है तो एक शिक्षक पांच-पांच कक्षाओं को कैसे पढ़ाएगा। इस पर भी शिक्षा विभाग संतुष्ट नहीं है। विभाग की ओर से सभी को नोटिस जारी किए गए है।
निर्देश दिए गए है
चार्जशीट जारी करने के निर्देश दिए गए है। अभी तक अधिकांश शिक्षकों ने जवाब भी नहीं दिए जो गलत है। अब ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी।- प्रेमचंद सांखला, जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा
कुछ इस तरह दिए शिक्षकों ने जवाब
- विद्यालय का परिणाम कम रहने का कारण यह है कि मेरी बीवी बहुत बीमार थी और मैं उसकी सेवा में लगा हुआ था। इस कारण विद्यालय में समुचित ध्यान नहीं दे सका। अब पूरी मेहनत के साथ पढ़ाऊंगा।
- बच्चे इतने कमजोर है कि कुछ समझते ही नहीं है। बहुत मेहनत की जाती है लेकिन उनकी समझ में नहीं आ रहा है। प्रयास बहुत किए जा रहे हैं। इसके लिए बच्चों को विशेष डाइट देने की जरूरत है।
- बच्चों के अभिभावक, मां, बाप, भाई बहन सभी अनपढ़ है। इन बच्चों को घर पर पढ़ाया ही नहीं जा रहा है। इस कारण बच्चे पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। इसी के चते बच्चों के कम अंक आ रहे हैं।
-बच्चे पोषाहार खाने को ही विद्यालय आते हैं। पोषाहार खत्म होते ही भाग जाते हंै। अभिभावक बच्चों पर डांटने भी नहीं देते हंै। इस कारण परिणाम कमजोर रहा है। बच्चों को घर पर भी पढऩा चाहिए।
यह जवाब 15 दिन में विभाग को मिल जाना चाहिए था लेकिन डेढ़ माह में 335 शिक्षकों ने ही जवाब दिया है। जिन्होंने जवाब दिया है उन्होंने भी इतने अजीब तर्क दिए हंै जैसे उनका कोई कसूर नहीं है। किसी ने खुद को बीमार बताया तो किसी ने अपनी बीवी और मां-बाप की बीमारी का रटा रटाया जवाब देकर पल्ला झाडऩे की कोशिश की है। अधिकांश ने बच्चों को ही कमजोर बताते हुए कहा कि इनके मां बाप अनपढ़ है इसलिए नहीं पढ़ रहे हैं। शिक्षा विभाग इनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ है और अब सभी 1187 को सेवा नियम 17 के तहत चार्जशीट थमाई जा रही है। यह कार्रवाई करने के निर्देश जिला शिक्षा अधिकारी को मुख्य सचिव शिक्षा विभाग की ओर से जारी कर दिए गए हंै। इसकी पालना शीघ्र की जाएगी।
शिक्षा में गुणवत्ता की कमजोर स्थिति
जिले में चालीस प्रतिशत से कम अंक लाने वाले इन विद्यालयों में शिक्षण की स्थिति कमजोर है। पांचवीं कक्षा के विद्यार्थी का स्तर तीसरी और सातवीं के विद्यार्थी अभी चौथी के स्तर के ही है। इनके लिए अतिरिक्त मेहनत की जरुरत है जबकि शिक्षक अभी उन पर पूरा ध्यान नहीं दे रहे हंै।
अधिकांश ने कहा है स्टाफ नहीं है
कमजोर परिणाम को लेकर अधिकांश शिक्षकों ने कहा कि विद्यालय में स्टाफ नहीं है। जिले में एक हजार के करीब स्कूलों में एकल शिक्षक ही है। इन शिक्षकों को कहना है कि जब स्टाफ ही नहीं है तो एक शिक्षक पांच-पांच कक्षाओं को कैसे पढ़ाएगा। इस पर भी शिक्षा विभाग संतुष्ट नहीं है। विभाग की ओर से सभी को नोटिस जारी किए गए है।
निर्देश दिए गए है
चार्जशीट जारी करने के निर्देश दिए गए है। अभी तक अधिकांश शिक्षकों ने जवाब भी नहीं दिए जो गलत है। अब ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी।- प्रेमचंद सांखला, जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा
कुछ इस तरह दिए शिक्षकों ने जवाब
- विद्यालय का परिणाम कम रहने का कारण यह है कि मेरी बीवी बहुत बीमार थी और मैं उसकी सेवा में लगा हुआ था। इस कारण विद्यालय में समुचित ध्यान नहीं दे सका। अब पूरी मेहनत के साथ पढ़ाऊंगा।
- बच्चे इतने कमजोर है कि कुछ समझते ही नहीं है। बहुत मेहनत की जाती है लेकिन उनकी समझ में नहीं आ रहा है। प्रयास बहुत किए जा रहे हैं। इसके लिए बच्चों को विशेष डाइट देने की जरूरत है।
- बच्चों के अभिभावक, मां, बाप, भाई बहन सभी अनपढ़ है। इन बच्चों को घर पर पढ़ाया ही नहीं जा रहा है। इस कारण बच्चे पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। इसी के चते बच्चों के कम अंक आ रहे हैं।
-बच्चे पोषाहार खाने को ही विद्यालय आते हैं। पोषाहार खत्म होते ही भाग जाते हंै। अभिभावक बच्चों पर डांटने भी नहीं देते हंै। इस कारण परिणाम कमजोर रहा है। बच्चों को घर पर भी पढऩा चाहिए।
No comments:
Post a Comment