जोधपुर । 2012-13 में जेएनवीयू में हुए शिक्षक भर्ती घोटाले के आरोपियों को राहत देते हुए राजस्थान हाई कोर्ट ने सबकी सशर्त जमानत अर्जी मंजूर कर ली। विवि में शिक्षक भर्ती में हुए घोटाले के आरोपी पूर्व विधायक व पूर्व सिंटीकेट सदस्य जुगल काबरा सहित पांच आरोपियों की शुक्रवार को सशर्त जमानत मंजूर कर रिहा करने के आदेश दिए हैं।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पी के लोहरा ने हाल ही 25 जनवरी को दोनो पक्षों को सुना और फैसला सुनाते हुए आरोपियों को सशर्त जमानत प्रदान की। साथ ही जेल से रिहा करने के आदेश भी दिए हैं। गौश्रतलब है कि साल 2012 में जेएनवीयू में सहायक प्रोफेसर पद पर नियुक्ति में धांधली हुई थी। इस धांधली में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गत दिनों पूर्व कुलपति भंवर सिंह राजपुरोहित, सिंडीकेट सदस्य व पूर्व विधायक जुगल काबरा, डूंगर सिंह खींची, विधिक सलाहकार श्यामसुन्दर शर्मा, भर्ती में सरकारी सदस्य डी एस चूडांवत तथा लिपिक केशवन को गिरफ्तार किया था। इनमें बीएस राजपुरोहित सुप्रीम कोर्ट से पहले ही जामनत पर रिहा हो गए हैं। अन्य पांचों आरोपियों को भी हाई कोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया है।
पांचों पर विश्वविद्यालय में हुई भर्ती में यूजीसी के नियम 2010 का पालन नहीं करने तथा इस पद के लिए अभ्यार्थी की योग्यता संबंधी विश्वविद्यालय अध्यादेश 317 में किए गए संशोधन से राज्य सरकार एवं राजभवन को अंधेरे में रखते हुए अपने रिश्तेदारों एवं चहेतों को नियुक्ति प्रदान करने के आरोप हैं। इस भर्ती का विरोध होने पर सरकार ने इसकी जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को सौंपी थी।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पी के लोहरा ने हाल ही 25 जनवरी को दोनो पक्षों को सुना और फैसला सुनाते हुए आरोपियों को सशर्त जमानत प्रदान की। साथ ही जेल से रिहा करने के आदेश भी दिए हैं। गौश्रतलब है कि साल 2012 में जेएनवीयू में सहायक प्रोफेसर पद पर नियुक्ति में धांधली हुई थी। इस धांधली में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गत दिनों पूर्व कुलपति भंवर सिंह राजपुरोहित, सिंडीकेट सदस्य व पूर्व विधायक जुगल काबरा, डूंगर सिंह खींची, विधिक सलाहकार श्यामसुन्दर शर्मा, भर्ती में सरकारी सदस्य डी एस चूडांवत तथा लिपिक केशवन को गिरफ्तार किया था। इनमें बीएस राजपुरोहित सुप्रीम कोर्ट से पहले ही जामनत पर रिहा हो गए हैं। अन्य पांचों आरोपियों को भी हाई कोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया है।
पांचों पर विश्वविद्यालय में हुई भर्ती में यूजीसी के नियम 2010 का पालन नहीं करने तथा इस पद के लिए अभ्यार्थी की योग्यता संबंधी विश्वविद्यालय अध्यादेश 317 में किए गए संशोधन से राज्य सरकार एवं राजभवन को अंधेरे में रखते हुए अपने रिश्तेदारों एवं चहेतों को नियुक्ति प्रदान करने के आरोप हैं। इस भर्ती का विरोध होने पर सरकार ने इसकी जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को सौंपी थी।
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