विकासएवं पंचायत मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ का कहना है कि हमने दूसरे प्रदेशों
में पंचायती राज प्रतिनिधियों को दिए अधिकारों की समीक्षा कर ली है।
10 विभाग पंचायत को दिए, अमल नहीं हुआ
हरियाणामें 2004-2005 में पंचायत के साथ 10 सरकारी महकमों को जोड़ा गया था, लेकिन इसे अमल में अभी तक नहीं लाया गया है। जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों को अपने क्षेत्रों के लिए कोई फंड भी नहीं मिलता है।
कई राज्यों में पंचायत प्रतिनिधियों के पास ज्यादा पावर
राजस्थानऔर केरल में जिला परिषद से लेकर पंचायत समिति प्रधानों और सदस्यों के पास कई शक्तियां है। राजस्थान में स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास विभाग, समाज कल्याण और कृषि विभाग पंचायती राज महकमे के अधीन हैं। यहां तक की स्कूलों में ग्रेड थर्ड टीचरों की भर्ती भी जिला परिषद ही करती है। केंद्र और प्रदेश सरकार का पैसा पंचायतों के खातों में आता है तो जिला परिषद और पंचायत समितियों के पास विकास के लिए अलग फंड होता है। यहां जिला परिषदों में महकमों से संबंधित स्टैंडिंग कमेटियां बनी हुई है, संबंधित विभागों की समीक्षा भी करती है। केरल में रेवन्यू, लॉ एंड ऑर्डर और अर्बन डेवलपमेंट डिपार्टमेंट को छोड़कर बाकी पंचायती राज के अधीन है।
मनोज कुमार | पानीपत
अधिकारहीनजिला परिषद, पंचायत समिति और ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों को पावर देने की तैयारी है। सरकार ने अपना खाका तैयार कर लिया है। इसके लिए राजस्थान, केरल आदि में वहां प्रतिनिधियों को दिए अधिकारों पर हरियाणा सरकार और अफसरों ने अध्ययन कर लिया है।
मंगलवार को कैबिनेट की मीटिंग में इस पर चर्चा होने के बाद 20 जनवरी को जिला प्रमुखों और पंचायत समिति प्रधानों से सरकार बातचीत करेगी। इसी क्रम में रविवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पानीपत में जिला पार्षदों से भी बातचीत की। सूत्रों का कहना है कि पार्षदों और प्रधानों से बातचीत के बाद सरकार इनके अधिकारों को लेकर निर्देश जारी करेगी। जिसमें उनके वित्तीय अधिकार बढ़ाए जाने के साथ कुछ महकमे भी पंचायतीराज महकमे से जोड़े जा सकते हैं। प्रदेश सरकार स्टेप वाइज स्टेप अधिकार देने पर विचार कर रही है। पहले जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के अधिकारों में बढ़ोतरी होगी। इसके बाद सरपंचों के अधिकार बढ़ाए जाएंगे।
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10 विभाग पंचायत को दिए, अमल नहीं हुआ
हरियाणामें 2004-2005 में पंचायत के साथ 10 सरकारी महकमों को जोड़ा गया था, लेकिन इसे अमल में अभी तक नहीं लाया गया है। जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों को अपने क्षेत्रों के लिए कोई फंड भी नहीं मिलता है।
कई राज्यों में पंचायत प्रतिनिधियों के पास ज्यादा पावर
राजस्थानऔर केरल में जिला परिषद से लेकर पंचायत समिति प्रधानों और सदस्यों के पास कई शक्तियां है। राजस्थान में स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास विभाग, समाज कल्याण और कृषि विभाग पंचायती राज महकमे के अधीन हैं। यहां तक की स्कूलों में ग्रेड थर्ड टीचरों की भर्ती भी जिला परिषद ही करती है। केंद्र और प्रदेश सरकार का पैसा पंचायतों के खातों में आता है तो जिला परिषद और पंचायत समितियों के पास विकास के लिए अलग फंड होता है। यहां जिला परिषदों में महकमों से संबंधित स्टैंडिंग कमेटियां बनी हुई है, संबंधित विभागों की समीक्षा भी करती है। केरल में रेवन्यू, लॉ एंड ऑर्डर और अर्बन डेवलपमेंट डिपार्टमेंट को छोड़कर बाकी पंचायती राज के अधीन है।
मनोज कुमार | पानीपत
अधिकारहीनजिला परिषद, पंचायत समिति और ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों को पावर देने की तैयारी है। सरकार ने अपना खाका तैयार कर लिया है। इसके लिए राजस्थान, केरल आदि में वहां प्रतिनिधियों को दिए अधिकारों पर हरियाणा सरकार और अफसरों ने अध्ययन कर लिया है।
मंगलवार को कैबिनेट की मीटिंग में इस पर चर्चा होने के बाद 20 जनवरी को जिला प्रमुखों और पंचायत समिति प्रधानों से सरकार बातचीत करेगी। इसी क्रम में रविवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पानीपत में जिला पार्षदों से भी बातचीत की। सूत्रों का कहना है कि पार्षदों और प्रधानों से बातचीत के बाद सरकार इनके अधिकारों को लेकर निर्देश जारी करेगी। जिसमें उनके वित्तीय अधिकार बढ़ाए जाने के साथ कुछ महकमे भी पंचायतीराज महकमे से जोड़े जा सकते हैं। प्रदेश सरकार स्टेप वाइज स्टेप अधिकार देने पर विचार कर रही है। पहले जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के अधिकारों में बढ़ोतरी होगी। इसके बाद सरपंचों के अधिकार बढ़ाए जाएंगे।
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