सचिन मुदगल/अजमेर। राजस्थान
लोक सेवा आयोग में अभ्यर्थियों को अब केवल डिग्री का नाम बदलने के कारण
प्रतियोगिता परीक्षा में साक्षात्कार से ऐन पहले अपात्र घोषित होने जैसी
समस्याओं से नहीं जूझना पड़ेगा।
आयोग विभिन्न विषयों और श्रेणियों की समान पाठ्यक्रम वाली डिग्रियों का मास्टर डॉक्यूमेंट तैयार कर रहा है। फिलहाल देश में सिर्फ केरल लोक सेवा आयोग में ही मास्टर डॉक्यूमेंट की व्यवस्था है।
देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों की ओर से नित नए कोर्स लागू किए जाते हैं। लेकिन विश्वविद्यालय उनके समानांतर कोर्स तय नहीं करते। इससे आयोग के अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद साक्षात्कार के समय अपात्र घोषित किया जाता है। उदाहरण के तौर पर गत दिनों आईटी में बी.टैक करने वाले अभ्यर्थियों को व्याख्याता कम्प्यूटर साइंस के लिए ऐन पहले यह कहते हुए अपात्र घोषित कर दिया गया कि वे कम्प्यूटर साइंस में बी.टैक नहीं हैं।
इसी प्रकार बी.टैक इलेक्ट्रोनिक्स एवं इलेक्ट्रिकल्स के अभ्यर्थियों को भी अपात्र घोषित कर दिया गया। आयोग ने ऐसी समस्याओं के समाधान के लिए मास्टर डॉक्यूमेंट तैयार करना तय किया है। इसमें सभी विश्वविद्यालयों के समान पाठ्यक्रम, समान विषय की डिग्रियों को रिकॉर्ड एकजुट किया जाएगा।
साक्षात्कार के समय अभ्यर्थी की डिग्री का मास्टर डॉक्यूमेंट के अनुसार मिलान किया जाएगा। भविष्य में परीक्षा के दौरान अभ्यर्थी यदि समान विषय और पाठ्यक्रम के अनुसार अलग नाम से भी डिग्री प्राप्त होगा तो उसे अपात्र घोषित नहीं किया जाएगा।
कमेटी का गठन
आरसीएससी ने मास्टर डॉक्यूमेंट तैयार करने के लिए आयोग के सदस्य शिव सिंह राठौड़ की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया है।
कमेटी में प्रदेश के सभी छह विश्वविद्यालय के 1-1 प्रोफेसर, आयोग के सचिव, उच्च शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि सदस्य होंगे। कमेटी देश के सभी विश्वविद्यालयों की ओर से जारी की जाने वाली डिग्रियों को विषयवार, विश्वविद्यालय को समान कर एक मास्टर डॉक्यूमेंट तैयार करेगी।
अभ्यर्थियों को समान पाठ्यक्रम के बावजूद डिग्री का नाम अलग होने से हो रही परेशानी के समाधान के लिए मास्टर डॉक्यूमेंट बनवाया जा रहा है।
-ललित के. पंवार, अध्यक्ष आरपीएसस
आयोग विभिन्न विषयों और श्रेणियों की समान पाठ्यक्रम वाली डिग्रियों का मास्टर डॉक्यूमेंट तैयार कर रहा है। फिलहाल देश में सिर्फ केरल लोक सेवा आयोग में ही मास्टर डॉक्यूमेंट की व्यवस्था है।
देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों की ओर से नित नए कोर्स लागू किए जाते हैं। लेकिन विश्वविद्यालय उनके समानांतर कोर्स तय नहीं करते। इससे आयोग के अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद साक्षात्कार के समय अपात्र घोषित किया जाता है। उदाहरण के तौर पर गत दिनों आईटी में बी.टैक करने वाले अभ्यर्थियों को व्याख्याता कम्प्यूटर साइंस के लिए ऐन पहले यह कहते हुए अपात्र घोषित कर दिया गया कि वे कम्प्यूटर साइंस में बी.टैक नहीं हैं।
इसी प्रकार बी.टैक इलेक्ट्रोनिक्स एवं इलेक्ट्रिकल्स के अभ्यर्थियों को भी अपात्र घोषित कर दिया गया। आयोग ने ऐसी समस्याओं के समाधान के लिए मास्टर डॉक्यूमेंट तैयार करना तय किया है। इसमें सभी विश्वविद्यालयों के समान पाठ्यक्रम, समान विषय की डिग्रियों को रिकॉर्ड एकजुट किया जाएगा।
साक्षात्कार के समय अभ्यर्थी की डिग्री का मास्टर डॉक्यूमेंट के अनुसार मिलान किया जाएगा। भविष्य में परीक्षा के दौरान अभ्यर्थी यदि समान विषय और पाठ्यक्रम के अनुसार अलग नाम से भी डिग्री प्राप्त होगा तो उसे अपात्र घोषित नहीं किया जाएगा।
कमेटी का गठन
आरसीएससी ने मास्टर डॉक्यूमेंट तैयार करने के लिए आयोग के सदस्य शिव सिंह राठौड़ की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया है।
कमेटी में प्रदेश के सभी छह विश्वविद्यालय के 1-1 प्रोफेसर, आयोग के सचिव, उच्च शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि सदस्य होंगे। कमेटी देश के सभी विश्वविद्यालयों की ओर से जारी की जाने वाली डिग्रियों को विषयवार, विश्वविद्यालय को समान कर एक मास्टर डॉक्यूमेंट तैयार करेगी।
अभ्यर्थियों को समान पाठ्यक्रम के बावजूद डिग्री का नाम अलग होने से हो रही परेशानी के समाधान के लिए मास्टर डॉक्यूमेंट बनवाया जा रहा है।
-ललित के. पंवार, अध्यक्ष आरपीएसस
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