संवाददाता, अजमेर हाल ही में 13098 पदों के लिए आयोजित स्कूल व्याख्याता परीक्षा 2015 के लिए राजस्थान लोक सेवा आयोग ने उच्च न्यायालय में केविएट दायर कर दी ताकि भर्ती पर आसानी से स्थगन आदेश ना आ सके और राज्य भर में खाली पडे व्याख्याता पदों पर समय पर नियुक्ति दी जा सके।
पूर्व में आयोग अध्यक्ष श्री ललित पंवार ने दावा किया था कि इस परीक्षा के सभी विषयों के परिणाम 31 अगस्त तक घौषित कर दिए जाऐंगे तथा 30 सितम्बर तक सभी को नियुक्तियां प्रदान कर दी जाऐगी, परन्तु ऐसा नहीं हो सका और 31 अगस्त तक एक भी विषय का परिणाम जारी नहीं हुआ । आयोग अध्यक्ष ने एक बार पुनः दावा किया है कि 17 सितम्बर तक सभी परिणाम घौषित कर दिए जाऐंगे।
आखिर क्यों लगानी पडी केविएट
कहने को तो आयोग ने भर्ती प्रक्रिया को जल्दी पूर्ण करने के लिए केविएट याचिका दायर की है परन्तु वास्तविकता कुछ और सामने आ रही है। सूत्रों की माने तो अधिकतर विषयों के प्रश्न-पत्रों में त्रुटियों की भरमार है और अभ्यर्थियों ने भी जमकर आपत्तियाँ भी दर्ज करवाई है। आयोग ने इन आपत्तियों के निस्तारण के लिए कमेटी का भी गठन किया था, लेकिन कईं प्रश्नों पर कमेटी सदस्य भी कोई निर्णय नहीं कर पा रहे है कि उनका क्या किया जाए, विशेषकर सामान्य ज्ञान के प्रश्न-पत्र में, जिसमें विवादित प्रश्नों की संख्या बहुत ज्यादा बताई जा रही है। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर यदि सभी विवादित प्रश्नों को डीलिट कर दिया जाए तो उनकी संख्या बहुत ज्यादा हो जाऐगी और परीक्षा की विश्वसनीयता ही समाप्त हो जाऐगी, और यदि सभी प्रश्नों को डिलिट नहीं किया जाता है तो आयोग को डर है कि अभ्यर्थी न्यायालय की शरण लेंगे और भर्ती पर स्थगन आदेश ले आऐंगे। परीक्षाओं का इतिहास कहता है कि एक बार स्थगन आदेश आ जाने के बाद लम्बे समय तक भर्ती पूर्ण नहीं हो पाती है।
अपनी गलतियों पर परदा डालना चाहता है आयोग
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि किसी परीक्षा में विवादित प्रश्न ज्यादा आए हो। इससे पहले भी कईं परीक्षाओं में ऐसा हो चुका है और कईं बार न्यायालय के दखल के बाद स्वतंत्र कमेटीज का भी गठन किया जा चुका है। राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित अनेक परीक्षाओं के परिणाम को तीन-तीन या चार-चार बार तक संशोधित करना पडा है। अब विचारणीय विषय यह भी है कि आयोग ने कभी भी अपनी गलतियों से सबक नहीं लिया है बल्कि वही गलतियाँ बार-बार दोहराई जा रही है और अपनी गलतियों पर परदा डालने के लिए केविएट का सहारा ले रहा है।
क्या हो सकता है भर्ती का भविष्य
जानकार वकीलों की माने तो केविएट लगने के बाद भी भर्ती पर याचिका दायर की जा सकती है और भर्ती पर स्थगन भी लाया जा सकता है, अब केवल इतना अंतर आ जाऐगा कि किसी भी निर्णय पर पहुँचने से पहले आयोग को पक्षकार बनाया जाऐगा और उसका भी पक्ष सुना जाऐगा। यदि माननीय न्यायालय को लगेगा कि अभ्यर्थियों के साथ गलत हो रहा है तो भर्ती के खिलाफ आदेश पारित किए जा सकते हैं, जैसे भर्ती पर स्थगन, पुनः कमेटी का गठन या स्वतंत्र कमेटी का गठन। अब यदि एक बार ऐसा आदेश पारित हो जाता है तो फिर लम्बे समय तक नियुक्तियाँ अटक सकती है या आयोग को पुनः संसोधित परिणाम भी निकालना पड सकता है।
कब तक आ सकते हैं परिणाम
सूत्रों की माने तो आयोग ने स्कूल व्याख्याता भर्ती के सभी विषयों के परिणाम तैयार कर लिए है और आरएएस का परिणाम तैयार करने में जुट गया है। आयोग केवल केविएट के कारण परिणाम जारी नहीं कर रहा था लेकिन अब केविएट याचिका दायर की जा चुकी है और 17 सितम्बर तक सभी विषयों के परिणाम जारी कर देगा।
यह लो सर कारण भी
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
पूर्व में आयोग अध्यक्ष श्री ललित पंवार ने दावा किया था कि इस परीक्षा के सभी विषयों के परिणाम 31 अगस्त तक घौषित कर दिए जाऐंगे तथा 30 सितम्बर तक सभी को नियुक्तियां प्रदान कर दी जाऐगी, परन्तु ऐसा नहीं हो सका और 31 अगस्त तक एक भी विषय का परिणाम जारी नहीं हुआ । आयोग अध्यक्ष ने एक बार पुनः दावा किया है कि 17 सितम्बर तक सभी परिणाम घौषित कर दिए जाऐंगे।
आखिर क्यों लगानी पडी केविएट
कहने को तो आयोग ने भर्ती प्रक्रिया को जल्दी पूर्ण करने के लिए केविएट याचिका दायर की है परन्तु वास्तविकता कुछ और सामने आ रही है। सूत्रों की माने तो अधिकतर विषयों के प्रश्न-पत्रों में त्रुटियों की भरमार है और अभ्यर्थियों ने भी जमकर आपत्तियाँ भी दर्ज करवाई है। आयोग ने इन आपत्तियों के निस्तारण के लिए कमेटी का भी गठन किया था, लेकिन कईं प्रश्नों पर कमेटी सदस्य भी कोई निर्णय नहीं कर पा रहे है कि उनका क्या किया जाए, विशेषकर सामान्य ज्ञान के प्रश्न-पत्र में, जिसमें विवादित प्रश्नों की संख्या बहुत ज्यादा बताई जा रही है। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर यदि सभी विवादित प्रश्नों को डीलिट कर दिया जाए तो उनकी संख्या बहुत ज्यादा हो जाऐगी और परीक्षा की विश्वसनीयता ही समाप्त हो जाऐगी, और यदि सभी प्रश्नों को डिलिट नहीं किया जाता है तो आयोग को डर है कि अभ्यर्थी न्यायालय की शरण लेंगे और भर्ती पर स्थगन आदेश ले आऐंगे। परीक्षाओं का इतिहास कहता है कि एक बार स्थगन आदेश आ जाने के बाद लम्बे समय तक भर्ती पूर्ण नहीं हो पाती है।
अपनी गलतियों पर परदा डालना चाहता है आयोग
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि किसी परीक्षा में विवादित प्रश्न ज्यादा आए हो। इससे पहले भी कईं परीक्षाओं में ऐसा हो चुका है और कईं बार न्यायालय के दखल के बाद स्वतंत्र कमेटीज का भी गठन किया जा चुका है। राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित अनेक परीक्षाओं के परिणाम को तीन-तीन या चार-चार बार तक संशोधित करना पडा है। अब विचारणीय विषय यह भी है कि आयोग ने कभी भी अपनी गलतियों से सबक नहीं लिया है बल्कि वही गलतियाँ बार-बार दोहराई जा रही है और अपनी गलतियों पर परदा डालने के लिए केविएट का सहारा ले रहा है।
क्या हो सकता है भर्ती का भविष्य
जानकार वकीलों की माने तो केविएट लगने के बाद भी भर्ती पर याचिका दायर की जा सकती है और भर्ती पर स्थगन भी लाया जा सकता है, अब केवल इतना अंतर आ जाऐगा कि किसी भी निर्णय पर पहुँचने से पहले आयोग को पक्षकार बनाया जाऐगा और उसका भी पक्ष सुना जाऐगा। यदि माननीय न्यायालय को लगेगा कि अभ्यर्थियों के साथ गलत हो रहा है तो भर्ती के खिलाफ आदेश पारित किए जा सकते हैं, जैसे भर्ती पर स्थगन, पुनः कमेटी का गठन या स्वतंत्र कमेटी का गठन। अब यदि एक बार ऐसा आदेश पारित हो जाता है तो फिर लम्बे समय तक नियुक्तियाँ अटक सकती है या आयोग को पुनः संसोधित परिणाम भी निकालना पड सकता है।
कब तक आ सकते हैं परिणाम
सूत्रों की माने तो आयोग ने स्कूल व्याख्याता भर्ती के सभी विषयों के परिणाम तैयार कर लिए है और आरएएस का परिणाम तैयार करने में जुट गया है। आयोग केवल केविएट के कारण परिणाम जारी नहीं कर रहा था लेकिन अब केविएट याचिका दायर की जा चुकी है और 17 सितम्बर तक सभी विषयों के परिणाम जारी कर देगा।
यह लो सर कारण भी
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