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अगले साल से IIT स्टूडेंट्स के लिए हॉस्टल जरूरी नहीं, 2020 तक बढ़ाकर एक लाख सीटें

नई दिल्ली IIT स्टूडेंट्स के लिए अगले साल से हॉस्टल में रहकर ही पढ़ाई करना जरूरी नहीं होगा। IIT में नॉन रेजिडेंट स्टूडेंट्स भी हो सकते हैं। इसे लेकर IIT काउंसिल में सैद्धांतिक सहमति बन गई है। यह इसलिए किया जा रहा है ताकि स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ाई जा सके।
साल 2020 तक IIT में अंडर ग्रैजुएट, पीजी और पीएचडी की सीटें बढ़ाकर 1 लाख तक करने का विजन है। अभी अंडर ग्रैजुएट में करीब 10,500, पीजी में करीब 8 हजार और पीएचडी में करीब 3 हजार स्टूडेंट्स को कई IIT में ऐडमिशन मिल पाता है।
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HRD मिनिस्ट्री के सीनियर अधिकारी के मुताबिक काउंसिल मीटिंग में इस पर सहमति बन गई है। अगले साल से सभी IIT अपने स्तर पर सीटें बढ़ाने की कोशिश करेंगी। लेकिन सीटें बढ़ाने की कोशिश में क्वॉलिटी से समझौता नहीं किया जाएगा। साथ ही फैकल्टी भी जल्द से जल्द भरने की कोशिश होगी ताकि सीटें बढ़ाई जा सकें। अभी IIT में टीचर-स्टूडेंट रेशियो 1:15 का है जबकि यह 1:10 का होना चाहिए। उन्होंने कहा कि IIT में कई मैरिड स्टूडेंट्स भी होते हैं वह हॉस्टल से बाहर रह सकते हैं। वैसे नियम कैसे बनना है यह IIT खुद तय करेंगी।
विश्वजीत फेलोशिप होगी शुरू
HRD मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि यह तय किया गया कि 'ग्लोबल रिसर्च इंटरेक्टिव नेटवर्क' स्थापित किया जाएगा। यानी दुनिया के डिवेलप्ड देशों के साथ हमारा शोध में सहयोग बढ़ेगा। जिसमें वहां की फैकल्टी आकर यहां कुछ कोर्स सिखाएंगी और हमारे छात्र एक टर्म के लिए वहां जाएंगे। उन्हें हाईएंड लैब्स में एक्सपेरिमेंट करने का मौका मिलेगा। इसका फाइनल प्रपोजल तैयार कर फाइनैंस मिनिस्ट्री को भेजा जाएगा। देश के मेधावी छात्र दूसरे देशों में इसलिए जाते हैं क्योंकि उन्हें यहां शोध के अवसर कम मिलते हैं। शोध के लिए साधन भी कम मिलते हैं।
इस कमी को पूरा करने के लिए तय किया गया है कि विश्वजीत नाम से एक 'पीएम रिसर्च फेलोशिप' शुरू की जाएगी। इसमें स्टूडेंट को रिसर्च के लिए पूरी तरह से सहयोग दिया जाएगा और फंड की कोई कमी नहीं रहेगी। इसमें IIT के बीटेक के स्टूडेंट्स पास होने के बाद सीधे पीएचडी के लिए रजिस्टर्ड हो सकते हैं। इसे अगले साल से शुरू किया जा सकता है।
नए स्टूडेंट के लिए इंडक्शन कोर्स
IIT में ऐडमिशन लेने वाले नए स्टूडेंट्स के लिए अब लंबे ,अवधि का इंडक्शन कोर्स करवाया जाएगा। जावड़ेकर ने कहा कि कुछ IIT में इंडक्शन कोर्स का प्रयोग सफल रहा है। IIT बनारस 5 हफ्ते का इंडक्शन कोर्स कर रहा है जो काफी सफल रहा। जो स्टूडेंट टफ कॉम्पिटिशन से आते हैं वे अकेलापन महसूस करते हैं। इंडक्शन कोर्स के जरिए उन्हें बेहतर फील कराया जाएगा। ताकि वह कैंपस से खुद को जोड़ सकें और एक दूसरे के साथ ही फैकल्टी से उनका संपर्क बढ़े। उनका भरोसा बढ़े। IIT काउंसिल की अब साल में दो बार मीटिंग करने पर भी बात हुई। अभी यह मीटिंग साल में एक बार ही होती है।
परसेप्शन सुधारने की कोशिश भी
जावड़ेकर ने कहा कि ग्लोबल रैंकिंग में भारत के IIT की क्वॉलिटी का सही रिफ्लेक्शन नहीं हो पाता है। ग्लोबल रैंकिंग में लोगों के परसेप्शन का भी बहुत महत्व है। इसलिए जो भारतीय विदेशों में हैं, जो IIT के छात्र वहां जाकर रिसर्च कर रहे हैं या जॉब कर रहे हैं, और यहां के छात्रों के सक्रिय योगदान से हम इस परसेप्शन को सुधारने की कोशिश करेंगे।
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