जोधपुर ।जिम्मेदारों में इच्छा शक्ति हो तो सरकारी को भी प्रतिष्ठित निजी स्कूलों को टक्कर देने वाला मॉडल स्कूल बनाया जा सकता है। जोधपुरसंभाग मुख्यालय में एेसा ही एक अनोखासरकारी स्कूल है, जो व्यवस्था और शैक्षणिक माहौल बनाने में विशिष्टताके चलते निजी स्कूलों को भी मात देता है।
यह है राजकीय विशिष्ट पूर्व उच्च प्राथमिक विद्यालय शास्त्रीनगर, जिसकी स्थापना वर्ष 1957 में हुई। शहर के इस पॉश इलाके में कई प्रतिष्ठित निजी स्कूल होने के बावजूद इस विद्यालय में नामांकन के लिए होड़ लगी रहती है। यहां दूर-दूर के मोहल्ले से अभिभावक अपने बच्चों के नामांकन के लिए आते हैं। जहां कई सरकारी स्कूलों में नामांकन नहीं हैं, वहीं यहां बच्चों के बढ़ते नामांकन के चलते कक्षाएं ए और बी दो सेक्शन में बंटी हुई हैं। जबयह स्कूल खुला था, उस समय सांसद के बच्चे तक पढऩे के लिए कतार में थे। आजभी इस विद्यालय का स्टैण्डर्ड बरकरार है।सप्ताह की दो ड्रेसइस स्कूल में बच्चों के लिए 26 कक्षा-कक्ष बने हुए है। बच्चों की सप्ताह की दो ड्रेस हैं। इनमें मुख्यड्रेस लाइट ब्ल्यू शर्ट और पैंट-स्कर्ट नेवी ब्ल्यू है। दूसरी ड्रेस कंप्लीट व्हाइट है। भीतरी शहर के नवचौकिया स्थित राजकीय माध्यमिक विद्यालय कोतवाली के साथ यहां अतिरिक्त कार्य देखने वाले प्रधानाध्यापक दिनेश दाधीच बताते हैं कि विद्यालय की साफ-सफाई के लिए चार चतुृर्थ श्रेणी कर्मचारी नियुक्त हैं। स्कूल का स्टैण्डर्ड होने से यहां बच्चे दूर-दूर से शिक्षा ग्रहण करने आते है। स्कूल अनोखा और सुविधाओं से युक्त होने के कारण अभिभावकों को आकर्षित भी करता है।नर्सरी से प्रेप तक अंग्रेजी माध्यमयहां नर्सरी से प्रेप तक बच्चे इंग्लिश मीडियम की पढ़ाई करते हैं। उसके बाद कक्षा एक से 8वीं तक की कक्षाएं हिन्दी माध्यम में संचालित होती हैं। विद्यार्थी अंग्रेजी माध्यम के निजी स्कूलों की तरह टाई लगाकर स्कूल आते हैं। कक्षा 8वीं के स्कूल में विद्यार्थियों का नामांकन450 हैं। यहां की लाइब्रेरी में 4500 पुस्तकें हैं। विशेष बात यह है कि यहां शाला प्रधान के पद पर माध्यमिक स्कूल स्तर के प्रधानाध्यापक को प्रभार दिया जाता है, जबकि अन्य उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सेकंड ग्रेड शिक्षक ही प्रधानाध्यापक होते हैं।ALSO READ- जोधपुर में महिला कांस्टेबल ने की आधी रात में होमगार्ड की धुनाई... होमगार्ड ने यूंबयां किया दर्दकंप्यूटर व मार्शल आर्ट भी सीख रहे बच्चेयहां बाकायदा निजी स्कूलों की तरह कंप्यूटर लैब है। पारंगत शिक्षक बच्चों को थ्योरी व प्रैक्टिकल शिक्षा देते हैं। बच्चों को यहां मार्शल आर्ट भी सिखाया जाता है। स्कूल में स्टाफ की बात करें तो 5 सेकंड ग्रेड, 8 थर्ड ग्रेड व एक राजपत्रित अधिकारी प्रधानाध्यापक हैं। बच्चे भी टाट-पट्टी या जमीन की बजाय फर्नीचर पर बैठते हैं।12 ऑटो से आते हैं बच्चेलाचू मेमोरियल कॉलेज के पास स्थित इसविद्यालय में दूर के बच्चों को लाने और ले जाने के लिए ऑटो-रिक्शा की व्यवस्था है। यहां विद्यार्थियों केलिए 12 ऑटो-रिक्शा है, जिनसे अभिभावकअपने बच्चों को भेजते है। कुछ बच्चे निकट के होने से पैदल या माता-पिता के साथ आते हैं। इस तरह का नजारा सरकारी स्कूलों में कम ही देखने को मिलता है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
यह है राजकीय विशिष्ट पूर्व उच्च प्राथमिक विद्यालय शास्त्रीनगर, जिसकी स्थापना वर्ष 1957 में हुई। शहर के इस पॉश इलाके में कई प्रतिष्ठित निजी स्कूल होने के बावजूद इस विद्यालय में नामांकन के लिए होड़ लगी रहती है। यहां दूर-दूर के मोहल्ले से अभिभावक अपने बच्चों के नामांकन के लिए आते हैं। जहां कई सरकारी स्कूलों में नामांकन नहीं हैं, वहीं यहां बच्चों के बढ़ते नामांकन के चलते कक्षाएं ए और बी दो सेक्शन में बंटी हुई हैं। जबयह स्कूल खुला था, उस समय सांसद के बच्चे तक पढऩे के लिए कतार में थे। आजभी इस विद्यालय का स्टैण्डर्ड बरकरार है।सप्ताह की दो ड्रेसइस स्कूल में बच्चों के लिए 26 कक्षा-कक्ष बने हुए है। बच्चों की सप्ताह की दो ड्रेस हैं। इनमें मुख्यड्रेस लाइट ब्ल्यू शर्ट और पैंट-स्कर्ट नेवी ब्ल्यू है। दूसरी ड्रेस कंप्लीट व्हाइट है। भीतरी शहर के नवचौकिया स्थित राजकीय माध्यमिक विद्यालय कोतवाली के साथ यहां अतिरिक्त कार्य देखने वाले प्रधानाध्यापक दिनेश दाधीच बताते हैं कि विद्यालय की साफ-सफाई के लिए चार चतुृर्थ श्रेणी कर्मचारी नियुक्त हैं। स्कूल का स्टैण्डर्ड होने से यहां बच्चे दूर-दूर से शिक्षा ग्रहण करने आते है। स्कूल अनोखा और सुविधाओं से युक्त होने के कारण अभिभावकों को आकर्षित भी करता है।नर्सरी से प्रेप तक अंग्रेजी माध्यमयहां नर्सरी से प्रेप तक बच्चे इंग्लिश मीडियम की पढ़ाई करते हैं। उसके बाद कक्षा एक से 8वीं तक की कक्षाएं हिन्दी माध्यम में संचालित होती हैं। विद्यार्थी अंग्रेजी माध्यम के निजी स्कूलों की तरह टाई लगाकर स्कूल आते हैं। कक्षा 8वीं के स्कूल में विद्यार्थियों का नामांकन450 हैं। यहां की लाइब्रेरी में 4500 पुस्तकें हैं। विशेष बात यह है कि यहां शाला प्रधान के पद पर माध्यमिक स्कूल स्तर के प्रधानाध्यापक को प्रभार दिया जाता है, जबकि अन्य उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सेकंड ग्रेड शिक्षक ही प्रधानाध्यापक होते हैं।ALSO READ- जोधपुर में महिला कांस्टेबल ने की आधी रात में होमगार्ड की धुनाई... होमगार्ड ने यूंबयां किया दर्दकंप्यूटर व मार्शल आर्ट भी सीख रहे बच्चेयहां बाकायदा निजी स्कूलों की तरह कंप्यूटर लैब है। पारंगत शिक्षक बच्चों को थ्योरी व प्रैक्टिकल शिक्षा देते हैं। बच्चों को यहां मार्शल आर्ट भी सिखाया जाता है। स्कूल में स्टाफ की बात करें तो 5 सेकंड ग्रेड, 8 थर्ड ग्रेड व एक राजपत्रित अधिकारी प्रधानाध्यापक हैं। बच्चे भी टाट-पट्टी या जमीन की बजाय फर्नीचर पर बैठते हैं।12 ऑटो से आते हैं बच्चेलाचू मेमोरियल कॉलेज के पास स्थित इसविद्यालय में दूर के बच्चों को लाने और ले जाने के लिए ऑटो-रिक्शा की व्यवस्था है। यहां विद्यार्थियों केलिए 12 ऑटो-रिक्शा है, जिनसे अभिभावकअपने बच्चों को भेजते है। कुछ बच्चे निकट के होने से पैदल या माता-पिता के साथ आते हैं। इस तरह का नजारा सरकारी स्कूलों में कम ही देखने को मिलता है।
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