इसे नियमों की जटिलता कहें या शिक्षकों की पढ़ाई के प्रति लापरवाही। चाहे जो
भी हो, प्रारंभिक शिक्षा में सवा दो लाख शिक्षक होने के बावजूद विभाग को
इस साल सम्मान के लिए पर्याप्त शिक्षक नहीं मिले हैं। शिक्षक दिवस पर 5
सितंबर को प्रारंभिक शिक्षा के 26 शिक्षकों को सम्मानित किया जाना है,
लेकिन विभाग के पास केवल 19 शिक्षकों ने आवेदन किया है।
आवेदन करने वाले ये शिक्षक भी केवल 8 जिलों से हैं। राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के 25 जिले ऐसे हैं जहां प्रारंभिक शिक्षा में एक भी शिक्षक सम्मान के मापदंडों पर खरा नहीं उतरा है। संस्कृत शिक्षा की हालत भी खराब है। यहां भी 10 शिक्षकों को सम्मान दिया जाना है, लेकिन 5 ने ही आवेदन जमा कराया। माध्यमिक शिक्षा ने जरूर विभाग को राहत प्रदान की है। इसके लिए 68 शिक्षकों ने आवेदन किया है।
प्रदेश में वर्तमान में प्रारंभिक शिक्षा में 2.25 लाख शिक्षक कार्यरत हैं। 43645 प्राथमिक और 21220 शिक्षक उच्च प्राथमिक स्कूलों में पढ़ाते हैं। इन स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा तक करीब 30 लाख विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। शिक्षक, स्कूल और विद्यार्थियों की इतनी बड़ी संख्या के बावजूद प्रारंभिक शिक्षा में विभाग को जो 19 प्रस्ताव मिले हैं, उनमें अजमेर के 4, भीलवाड़ा के 3, टोंक के 2, नागौर के 4, जैसलमेर के 1, चित्तौडगढ के 1, डूंगरपुर के 2 और भरतपुर के 2 शिक्षकों ने ही सम्मान के लिए प्रस्ताव जमा कराए हैं। शिक्षक सम्मान के लिए तय संख्या के मुकाबले पहले ही विभाग के पास 7 आवेदन कम आए हैं। जो आवेदन आए हैं, जरूरी नहीं की सभी का चयन हो जाए। ऐसी स्थिति में सम्मान के योग्य शिक्षकों की संख्या और कम हो सकती है। राजस्थान पुरस्कृत शिक्षक फोरम के महासचिव रामेश्वर प्रसाद शर्मा का कहना है कि मूल्यांकन प्रक्रिया में विभाग ने जो मापदंड तय कर रखे हैं वे अव्यवहारिक है। इसका सबसे अधिक नुकसान प्रारंभिक शिक्षा और संस्कृत शिक्षा के शिक्षकों को होता है। इससे केवल राज्य स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी शिक्षक सम्मान की दौड़ से बाहर हो जाते हैं।
सरकार को इन मापदंडों पर पुनर्विचार करना चाहिए।
पांच साल कीवार्षिक कार्य मूल्यांकन रिपोर्ट (एसीआर) भी उत्कृष्ट होना जरूरी है। माध्यमिक शिक्षा में स्कूलों की संख्या कम होने के कारण यह रिकॉर्ड संधारण में परेशानी नहीं होती। जबकि प्रारंभिक शिक्षा में स्कूल और स्टाफ की संख्या अधिक होने के कारण रिकॉर्ड अव्यवस्थित रहता है। इसका खामियाजा शिक्षकों को भुगतना पड़ता है।
सम्मान केतय मापदंडों में शैक्षिक योग्यता को भी देखा जाता है। प्रारंभिक शिक्षा के शिक्षकों की योग्यता 12वीं बीएसटीसी और बीएड स्नातक शामिल है। जबकि माध्यमिक शिक्षा के शिक्षकों की योग्यता बीएड, स्नातक के साथ साथ स्नातकोत्तर भी है। योग्यता कम होने के कारण प्रारंभिक शिक्षा के शिक्षक पिछड़ जाते हैं।
पांच साल तकलगातार अगर किसी शिक्षक की कक्षा 5 और 8 में कुल बच्चों के 80% बच्चे ग्रेड से पास हो तभी शिक्षक सम्मान के लिए आवेदन कर पाएगा। ग्रेड 85% से अधिक अंक आने पर मिलती है। यानी आवेदन के लिए इन कक्षाओं के 80% बच्चों द्वारा 85% या अधिक अंक प्राप्त करना जरूरी है।
जयपुर, जोधपुर, पाली, सिरोही, जालौर, बाड़मेर, उदयपुर, प्रतापगढ़, दौसा, राजसमंद, जयपुर, अलवर, सीकर, कोटा, बारां, बूंदी, झालावाड़, करौली, धौलपुर, सवाईमाधोपुर, चूरू, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, बीकानेर, झुंझुनूं।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
आवेदन करने वाले ये शिक्षक भी केवल 8 जिलों से हैं। राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के 25 जिले ऐसे हैं जहां प्रारंभिक शिक्षा में एक भी शिक्षक सम्मान के मापदंडों पर खरा नहीं उतरा है। संस्कृत शिक्षा की हालत भी खराब है। यहां भी 10 शिक्षकों को सम्मान दिया जाना है, लेकिन 5 ने ही आवेदन जमा कराया। माध्यमिक शिक्षा ने जरूर विभाग को राहत प्रदान की है। इसके लिए 68 शिक्षकों ने आवेदन किया है।
प्रदेश में वर्तमान में प्रारंभिक शिक्षा में 2.25 लाख शिक्षक कार्यरत हैं। 43645 प्राथमिक और 21220 शिक्षक उच्च प्राथमिक स्कूलों में पढ़ाते हैं। इन स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा तक करीब 30 लाख विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। शिक्षक, स्कूल और विद्यार्थियों की इतनी बड़ी संख्या के बावजूद प्रारंभिक शिक्षा में विभाग को जो 19 प्रस्ताव मिले हैं, उनमें अजमेर के 4, भीलवाड़ा के 3, टोंक के 2, नागौर के 4, जैसलमेर के 1, चित्तौडगढ के 1, डूंगरपुर के 2 और भरतपुर के 2 शिक्षकों ने ही सम्मान के लिए प्रस्ताव जमा कराए हैं। शिक्षक सम्मान के लिए तय संख्या के मुकाबले पहले ही विभाग के पास 7 आवेदन कम आए हैं। जो आवेदन आए हैं, जरूरी नहीं की सभी का चयन हो जाए। ऐसी स्थिति में सम्मान के योग्य शिक्षकों की संख्या और कम हो सकती है। राजस्थान पुरस्कृत शिक्षक फोरम के महासचिव रामेश्वर प्रसाद शर्मा का कहना है कि मूल्यांकन प्रक्रिया में विभाग ने जो मापदंड तय कर रखे हैं वे अव्यवहारिक है। इसका सबसे अधिक नुकसान प्रारंभिक शिक्षा और संस्कृत शिक्षा के शिक्षकों को होता है। इससे केवल राज्य स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी शिक्षक सम्मान की दौड़ से बाहर हो जाते हैं।
सरकार को इन मापदंडों पर पुनर्विचार करना चाहिए।
पांच साल कीवार्षिक कार्य मूल्यांकन रिपोर्ट (एसीआर) भी उत्कृष्ट होना जरूरी है। माध्यमिक शिक्षा में स्कूलों की संख्या कम होने के कारण यह रिकॉर्ड संधारण में परेशानी नहीं होती। जबकि प्रारंभिक शिक्षा में स्कूल और स्टाफ की संख्या अधिक होने के कारण रिकॉर्ड अव्यवस्थित रहता है। इसका खामियाजा शिक्षकों को भुगतना पड़ता है।
सम्मान केतय मापदंडों में शैक्षिक योग्यता को भी देखा जाता है। प्रारंभिक शिक्षा के शिक्षकों की योग्यता 12वीं बीएसटीसी और बीएड स्नातक शामिल है। जबकि माध्यमिक शिक्षा के शिक्षकों की योग्यता बीएड, स्नातक के साथ साथ स्नातकोत्तर भी है। योग्यता कम होने के कारण प्रारंभिक शिक्षा के शिक्षक पिछड़ जाते हैं।
पांच साल तकलगातार अगर किसी शिक्षक की कक्षा 5 और 8 में कुल बच्चों के 80% बच्चे ग्रेड से पास हो तभी शिक्षक सम्मान के लिए आवेदन कर पाएगा। ग्रेड 85% से अधिक अंक आने पर मिलती है। यानी आवेदन के लिए इन कक्षाओं के 80% बच्चों द्वारा 85% या अधिक अंक प्राप्त करना जरूरी है।
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