जिले में इस
बार 19 स्कूलों का दसवीं बोर्ड परीक्षा का परिणाम 30 प्रतिशत से भी कम रहा
है। दो स्कूलों ने 10 प्रतिशत से कम रिजल्ट दिया है तो 20 प्रतिशत के अंदर
परिणाम देने वाले जिले में 3 स्कूल हैं। 14 स्कूलों ने 30 प्रतिशत के अंदर
परिणाम दिया है। 19 स्कूलों का परिणाम 30 प्रतिशत से भी कम रहा है।
शिक्षकों के 60 फीसदी पद खाली है। ऐसे में परिणाम गड़बड़ा गया है। जिले में इस बार 10 हजार 161 छात्रों ने राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं परीक्षा दी। इनमें से 6456 छात्र ही पास हुए, जबकि 3705 यानी 36 प्रतिशत बच्चे फेल हो गए। पूरे राज्य में 2 लाख 53 हजार 433 छात्र फेल हुए हैं। प्रतापगढ़ जिले में दसवीं का परीक्षा परिणाम गत साल से 4 फीसदी गिरा है। परीक्षा परिणाम में जिला राज्य में 32वें स्थान पर रहा है। मौजूदा शिक्षा अधिकारियों से लेकर पूर्व शिक्षा अधिकारियों का कहना है कि परिणाम गिरने का सबसे बड़ा कारण शिक्षकों की कमी और दूर-दराज के स्कूलों में शिक्षकों की रुचि नहीं होना है। अधिकारी भी खुद यही मान रहे हैं। ज्यादातर शिक्षक ऐसे इलाकों में नियुक्ति नहीं चाहते, अगर कोई नियुक्त दी जाती है तो वह तबादला कराने की जुगत में लग जाता है। इससे सबसे बड़ा नुकसान बच्चों को ही हो रहा है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में अन्य जिलों की तुलना में भौगोलिक आधार पर प्रतापगढ़ जिले में पहाड़ी और दूर-दराज के स्कूलों में ज्यादातर शिक्षक ड्यूटी देना पसंद नहीं करते हैं। जिले के पीपलखूंट, धरियावद, अरनोद उपखंड ब्लॉक में शिक्षकों के पद खाली रहते हैं। 40 फीसदी शिक्षक ही कार्यरत है। ऐसे परिणाम प्रभावित हो रहे हैं।
गैर शैक्षणिक कार्य से मुक्ति मिले तो सुधरे परिणाम
परीक्षापरिणाम कम रहने का मुख्य कारण पर्याप्त स्टॉफ नहीं होना है। शिक्षकों से कई गैर शैक्षिक कार्य कराए जाते हैं। स्कूलों में कनिष्ठ, वरिष्ठ लिपिकों के पद रिक्त होने से शिक्षकों को ही सारी सूचनाएं तैयार कर विभाग को देनी होती है। शिक्षक इन कामों को करने में इतना व्यस्त हो जाता है कि पढ़ाई करवाने का समय ही नहीं बचता है। परिणाम सुधारने के लिए शिक्षकों को एनसीआरटी के प्रशिक्षित शिक्षकों से स्थानीय स्तर पर विशेष ट्रेनिंग होनी चाहिए। ग्रीष्मकाल में अतिरिक्त कक्षाओं का मानदेय मिले। दूर दराज के इलाकों में स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता हो तो परिणाम बेहतर हो सकते हैं। -सत्यनाराण भट्ट,पूर्व संभागीय मंत्री राजस्थान शिक्षक संघ एकीकृत
शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कम परिणाम वाले स्कूलों की सूची बनाना शुरू कर दिया है। कम परिणाम वाले स्कूलों के प्रधानाध्यापकों पर कार्रवाई की जाएगी। डीईओ कैलाशचंद्र जोशी का कहना है कि कम परिणाम वाले स्कूलों में अगले सत्र से बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम सुधारने के लिए कार्ययोजना बनाई जाएगी। शिक्षकों को परिणाम सुधारने के लिए प्रशिक्षण देंगे। उल्लेखनीय है कि इस साल दसवीं का परीक्षा परिणाम पिछले साल से 4.90 प्रतिशत कम रहा है। परिणाम कम रहने का बड़ा कारण शिक्षकों की कमी को माना जा रहा है।
इन स्कूलों का परीक्षा परिणाम 30 प्रतिशत से कम रहा
एडीईओडॉ. शांतिलाल शर्मा ने बताया कि जिले के 19 स्कूलों का परिणाम 30 प्रतिशत से कम रहा है। राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल नलवा का परिणाम 3.03 प्रतिशत रहा। राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल नागदी का परिणाम 8.33 प्रतिशत ही रहा। राउमावि पिल्लू का 27.03, राउमावि प्रतापगढ़ का 19.12, राउमावि सिद्धपुरा का 28.12 प्रतिशत, राउमावि धोलापानी का 29.79, राउमावि जोलर का 25 प्रतिशत, राउमावि साखथली थाना का 25. 53, राउमावि नौगांव का 17.24, राउमावि पीथलवाड़ी का 25, राउमावि बिलडिया का 13.04, राउमावि सिंहाड का 29.51, राउमावि आड का 22.64 प्रतिशत, राउमावि मानपुर का 25 प्रतिशत, राउमावि भाण्डला का 23.08, राउमावि मोरखनिया का 22.73 प्रतिशत रहा।
सत्र 10वीं 12वीं कला 12वीं विज्ञान वाणिज्य
2010-1151.27 92.0 84.40 75.59
2011-12 45.93 75.35 84.18 60
2012-13 42.01 79.74 66.28 83.33
2013-14 48.69 67.82 44.42 83.33
2014-15 64.18 86.62 60.39 57.35
2015-16 63.54 79.52 85.52 87.91
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
शिक्षकों के 60 फीसदी पद खाली है। ऐसे में परिणाम गड़बड़ा गया है। जिले में इस बार 10 हजार 161 छात्रों ने राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं परीक्षा दी। इनमें से 6456 छात्र ही पास हुए, जबकि 3705 यानी 36 प्रतिशत बच्चे फेल हो गए। पूरे राज्य में 2 लाख 53 हजार 433 छात्र फेल हुए हैं। प्रतापगढ़ जिले में दसवीं का परीक्षा परिणाम गत साल से 4 फीसदी गिरा है। परीक्षा परिणाम में जिला राज्य में 32वें स्थान पर रहा है। मौजूदा शिक्षा अधिकारियों से लेकर पूर्व शिक्षा अधिकारियों का कहना है कि परिणाम गिरने का सबसे बड़ा कारण शिक्षकों की कमी और दूर-दराज के स्कूलों में शिक्षकों की रुचि नहीं होना है। अधिकारी भी खुद यही मान रहे हैं। ज्यादातर शिक्षक ऐसे इलाकों में नियुक्ति नहीं चाहते, अगर कोई नियुक्त दी जाती है तो वह तबादला कराने की जुगत में लग जाता है। इससे सबसे बड़ा नुकसान बच्चों को ही हो रहा है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में अन्य जिलों की तुलना में भौगोलिक आधार पर प्रतापगढ़ जिले में पहाड़ी और दूर-दराज के स्कूलों में ज्यादातर शिक्षक ड्यूटी देना पसंद नहीं करते हैं। जिले के पीपलखूंट, धरियावद, अरनोद उपखंड ब्लॉक में शिक्षकों के पद खाली रहते हैं। 40 फीसदी शिक्षक ही कार्यरत है। ऐसे परिणाम प्रभावित हो रहे हैं।
गैर शैक्षणिक कार्य से मुक्ति मिले तो सुधरे परिणाम
परीक्षापरिणाम कम रहने का मुख्य कारण पर्याप्त स्टॉफ नहीं होना है। शिक्षकों से कई गैर शैक्षिक कार्य कराए जाते हैं। स्कूलों में कनिष्ठ, वरिष्ठ लिपिकों के पद रिक्त होने से शिक्षकों को ही सारी सूचनाएं तैयार कर विभाग को देनी होती है। शिक्षक इन कामों को करने में इतना व्यस्त हो जाता है कि पढ़ाई करवाने का समय ही नहीं बचता है। परिणाम सुधारने के लिए शिक्षकों को एनसीआरटी के प्रशिक्षित शिक्षकों से स्थानीय स्तर पर विशेष ट्रेनिंग होनी चाहिए। ग्रीष्मकाल में अतिरिक्त कक्षाओं का मानदेय मिले। दूर दराज के इलाकों में स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता हो तो परिणाम बेहतर हो सकते हैं। -सत्यनाराण भट्ट,पूर्व संभागीय मंत्री राजस्थान शिक्षक संघ एकीकृत
शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कम परिणाम वाले स्कूलों की सूची बनाना शुरू कर दिया है। कम परिणाम वाले स्कूलों के प्रधानाध्यापकों पर कार्रवाई की जाएगी। डीईओ कैलाशचंद्र जोशी का कहना है कि कम परिणाम वाले स्कूलों में अगले सत्र से बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम सुधारने के लिए कार्ययोजना बनाई जाएगी। शिक्षकों को परिणाम सुधारने के लिए प्रशिक्षण देंगे। उल्लेखनीय है कि इस साल दसवीं का परीक्षा परिणाम पिछले साल से 4.90 प्रतिशत कम रहा है। परिणाम कम रहने का बड़ा कारण शिक्षकों की कमी को माना जा रहा है।
इन स्कूलों का परीक्षा परिणाम 30 प्रतिशत से कम रहा
एडीईओडॉ. शांतिलाल शर्मा ने बताया कि जिले के 19 स्कूलों का परिणाम 30 प्रतिशत से कम रहा है। राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल नलवा का परिणाम 3.03 प्रतिशत रहा। राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल नागदी का परिणाम 8.33 प्रतिशत ही रहा। राउमावि पिल्लू का 27.03, राउमावि प्रतापगढ़ का 19.12, राउमावि सिद्धपुरा का 28.12 प्रतिशत, राउमावि धोलापानी का 29.79, राउमावि जोलर का 25 प्रतिशत, राउमावि साखथली थाना का 25. 53, राउमावि नौगांव का 17.24, राउमावि पीथलवाड़ी का 25, राउमावि बिलडिया का 13.04, राउमावि सिंहाड का 29.51, राउमावि आड का 22.64 प्रतिशत, राउमावि मानपुर का 25 प्रतिशत, राउमावि भाण्डला का 23.08, राउमावि मोरखनिया का 22.73 प्रतिशत रहा।
सत्र 10वीं 12वीं कला 12वीं विज्ञान वाणिज्य
2010-1151.27 92.0 84.40 75.59
2011-12 45.93 75.35 84.18 60
2012-13 42.01 79.74 66.28 83.33
2013-14 48.69 67.82 44.42 83.33
2014-15 64.18 86.62 60.39 57.35
2015-16 63.54 79.52 85.52 87.91
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