शिक्षाविभाग एक तरफ जहां बच्चों को कला से जुड़े विषयों में आगे बढ़ाने की बात कहता है तो वहीं दूसरी आेर माध्यमिक स्तर के विद्यालयों में इन विषयों को पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं है। खानापूर्ति के लिए विभाग की आेर से कक्षा छह से दसवीं तक की अंकतालिका में विद्यार्थियों को कला शिक्षा विषय पर नंबर ग्रेडिंग तो दे दिए जाते हैं,लेकिन हकीकत में इसकी अलग से कोई कक्षा नहीं लगती।
कक्षाएं लगाएं भी कैसे,विभाग ने कला शिक्षा से जुड़े विषयों के शिक्षक ही नहीं लगा रखे।
नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एण्ड ट्रेनिंग(एनसीईआरटी)ने विद्यार्थियों को शिक्षित स्वरोजकार के लिए आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकारी स्कूलों में कक्षा छह से लेकर दसवीं तक अनिवार्य विषय के रूप में कला शिक्षा,चित्रकला संगीत विषय शुरू किए थे,लेकिन संस्था की यह मंशा कागजों में ही सिमट कर रह गई। राज्य माध्यमिक शिक्षा बोर्ड भी इसी परीक्षा के आधार पर अंकतालिका में कला शिक्षा विषय की ग्रेडिंग करता है और विद्यार्थियों से इसकी फीस भी वसूलता है लेकिन कला शिक्षा का पाठ्यक्रम थोड़ा बहुत पढ़ाया जाता है वो भी एेसे शिक्षकों से,जिनका इस विषय से कोई लेना देना नहीं है।
राज्य के लगभग पांच हजार सरकारी स्कूलों में से किसी में भी कला शिक्षा विषय की निर्धारित योग्यता वाले शिक्षक नहीं है। दसवीं बोर्ड की अंकतालिका में बकायदा कला शिक्षा विषय की ग्रेडिंग दी जाती है लेकिन वास्तविकता यह है कि बोर्ड इस विषय की लिखित परीक्षा ही आयोजित नहीं करता। समान परीक्षा योजना के तहत आयोजित नहीं करता। समान परीक्षा योजना के तहत आयोजित की जाने वाली अर्द्धवार्षिक परीक्षा तथा स्कूल स्तर पर प्रथम परख,द्वितीय परख तथा तृतीय परख में मिले अंकों के आधार पर स्कूल विद्यार्थियों की ग्रेडिंग कर बोर्ड को प्रेषित करता है। इसी आधार पर बोर्ड की आेर से अंकतालिकाआें में ग्रेडिंग दी जाती है।
निर्धारितयोग्यता:राजस्थान अधीनस्थ शिक्षा सेवा नियम 1971 के तहत स्नातक(चित्रकला/संगीत)
1992 में समाप्त किए गए थे पद
तत्कालीननिदेशक प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग ने चार नवंबर 1992 में कक्षा दसवीं तक चित्रकला संगीत विषय को एच्छिक विषय नहीं मानते हुए एसटीसी में कला शिक्षा पाठ्यक्रम समायोजित करते हुए द्वितीय तथा तृतीय श्रेणी के पद समाप्त कर दिए गए थे। वहीं दूसरी आेर 1992 में से कक्षा एक से 10 तक चित्रकला संगीत विषय अनिवार्य विषय कला शिक्षा में शामिल करते हुए कक्षा 1 से 10 तक अनिवार्य विषय के रूप में विद्यालयों में पढ़ाने हेतु लागू कर दिया गया। इस विषय के लिए बकायदा शिक्षा नियमों के तहत कला शिक्षकों की योग्यता भी निर्धारित है। कला शिक्षा विषय के लिए शिक्षा नियमों के तहत शिक्षकों की एसटीसी योग्यता कहीं भी निर्धारित नहीं की गई। वहीं दूसरी आेर एसटीसी मे सारे विषय ही शामिल है,इसमें कला शिक्षा के साथ-साथ शारीरिक एवं स्वास्थ्य शिक्षा शामिल है। फिर पीटीआई की भर्ती योग्यतानुसार भर्ती की जाती है और इसी तरह अन्य विषयों की भी विषय योग्यता अनुसार भर्ती की जाती है,फिर कला शिक्षा विषय की निर्धारित योग्यता के तहत भर्ती नहीं की जाती।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
कक्षाएं लगाएं भी कैसे,विभाग ने कला शिक्षा से जुड़े विषयों के शिक्षक ही नहीं लगा रखे।
नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एण्ड ट्रेनिंग(एनसीईआरटी)ने विद्यार्थियों को शिक्षित स्वरोजकार के लिए आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकारी स्कूलों में कक्षा छह से लेकर दसवीं तक अनिवार्य विषय के रूप में कला शिक्षा,चित्रकला संगीत विषय शुरू किए थे,लेकिन संस्था की यह मंशा कागजों में ही सिमट कर रह गई। राज्य माध्यमिक शिक्षा बोर्ड भी इसी परीक्षा के आधार पर अंकतालिका में कला शिक्षा विषय की ग्रेडिंग करता है और विद्यार्थियों से इसकी फीस भी वसूलता है लेकिन कला शिक्षा का पाठ्यक्रम थोड़ा बहुत पढ़ाया जाता है वो भी एेसे शिक्षकों से,जिनका इस विषय से कोई लेना देना नहीं है।
राज्य के लगभग पांच हजार सरकारी स्कूलों में से किसी में भी कला शिक्षा विषय की निर्धारित योग्यता वाले शिक्षक नहीं है। दसवीं बोर्ड की अंकतालिका में बकायदा कला शिक्षा विषय की ग्रेडिंग दी जाती है लेकिन वास्तविकता यह है कि बोर्ड इस विषय की लिखित परीक्षा ही आयोजित नहीं करता। समान परीक्षा योजना के तहत आयोजित नहीं करता। समान परीक्षा योजना के तहत आयोजित की जाने वाली अर्द्धवार्षिक परीक्षा तथा स्कूल स्तर पर प्रथम परख,द्वितीय परख तथा तृतीय परख में मिले अंकों के आधार पर स्कूल विद्यार्थियों की ग्रेडिंग कर बोर्ड को प्रेषित करता है। इसी आधार पर बोर्ड की आेर से अंकतालिकाआें में ग्रेडिंग दी जाती है।
निर्धारितयोग्यता:राजस्थान अधीनस्थ शिक्षा सेवा नियम 1971 के तहत स्नातक(चित्रकला/संगीत)
1992 में समाप्त किए गए थे पद
तत्कालीननिदेशक प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग ने चार नवंबर 1992 में कक्षा दसवीं तक चित्रकला संगीत विषय को एच्छिक विषय नहीं मानते हुए एसटीसी में कला शिक्षा पाठ्यक्रम समायोजित करते हुए द्वितीय तथा तृतीय श्रेणी के पद समाप्त कर दिए गए थे। वहीं दूसरी आेर 1992 में से कक्षा एक से 10 तक चित्रकला संगीत विषय अनिवार्य विषय कला शिक्षा में शामिल करते हुए कक्षा 1 से 10 तक अनिवार्य विषय के रूप में विद्यालयों में पढ़ाने हेतु लागू कर दिया गया। इस विषय के लिए बकायदा शिक्षा नियमों के तहत कला शिक्षकों की योग्यता भी निर्धारित है। कला शिक्षा विषय के लिए शिक्षा नियमों के तहत शिक्षकों की एसटीसी योग्यता कहीं भी निर्धारित नहीं की गई। वहीं दूसरी आेर एसटीसी मे सारे विषय ही शामिल है,इसमें कला शिक्षा के साथ-साथ शारीरिक एवं स्वास्थ्य शिक्षा शामिल है। फिर पीटीआई की भर्ती योग्यतानुसार भर्ती की जाती है और इसी तरह अन्य विषयों की भी विषय योग्यता अनुसार भर्ती की जाती है,फिर कला शिक्षा विषय की निर्धारित योग्यता के तहत भर्ती नहीं की जाती।
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