प्रदेशभर में स्थायीकरण के अभाव में हजारों शिक्षकों को मामूली वेतन पर नौकरी करनी पड़ रही है। वर्ष 2012 के चयनित शिक्षकों पर आर्थिक संकट तो मंडरा ही रहा है बल्कि कई शिक्षक प्रथम व द्वितीय श्रेणी भर्ती के साथ अन्य भर्तियों में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। कुछ तो तृतीय श्रेणी की नौकरी से तौबा कर चुके हैं। वर्तमान में सरकार इन शिक्षकों के करीब साढ़े 9 अरब रुपए पर कुंडली मार कर बैठी है।
वर्ष 2012 में प्रदेश में चयनित 39 हजार 339 शिक्षक पंचायतीराज विभाग की लापरवाही का हर्जाना भुगत रहे हैं। दो वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बावजूद स्थायीकरण नहीं किए जाने से उन्हें फिक्स वेतन पर नौकरी करनी पड़ रही है।
पंचायतीराज विभाग के अधीन हुई थी भर्ती
वर्ष 2012 में शिक्षकों की भर्ती पंचायतीराज विभाग के अधीन हुई थी। सेवा नियमों के मुताबिक नियुक्ति तिथि से लेकर दो वर्ष तक की अवधि प्रोबेशन पीरियड होता है। लेकिन प्रोबेशन पीरियड को पूरा हुए 18 महीने (डेढ़ वर्ष) से ज्यादा हो चुके हैं लेकिन इन शिक्षक-शिक्षिकाओं को स्थाई नहीं किया गया है।
यह है एरियर की गणित
एक शिक्षक के 18 महीने के लगभग 2 लाख 45 हजार रुपए के आधार पर 39139 शिक्षकों का 9 अरब 58 करोड़ 90 लाख 55 हजार के लगभग एरियर सरकार के पास हैं। यही नहीं एक शिक्षक को 3387 रुपए बोनस के हिसाब से 13 करोड़ 25 लाख 63 हजार 793 की राशि बचा ली गई है।
मात्र 10 प्रतिशत की वृद्धि
स्थायीकरण व नियमितकरण के आदेश जारी नहीं होने से शिक्षकों के बोनस का एरियर भी नहीं बनता है। सितम्बर 2012 में इनकी नियुक्ति के समय 8990 रुपए फिक्स मिलते थे जो एक वर्ष बाद 10 प्रतिशत बढोतरी पर 11 हजार 100 रुपए फिर एक वर्ष के बाद 13 हजार 200 रुपए हर माह तनख्वाह के रूप में मिल रहे हैं। जबकि 2 वर्ष पूरे होते ही राज्य सेवा नियम 28 के के तहत स्थायीकरण कर दिया जाता है तो मूल वेतन पे-ग्रेड, मकान किराया, महंगाई भत्ता जोड़कर नियमित वेतन मिलता है।
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