जयपुर: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 24 दिसम्बर 2019 को
31 हजार पदों पर अध्यापक पात्रता परीक्षा आयोजन की घोषणा की. साथ ही रीट
परीक्षा के आयोजन के लिए 2 सितम्बर के आयोजन के भी निर्देश दिए. घोषणा को
करीब 7 महीने का समय बीतने को है लेकिन अभी तक भी न तो भर्ती का पैटर्न जारी हो पाया है और न ही भर्ती की विज्ञप्ति.
वहीं, अब इस रीट शिक्षक भर्ती में शिक्षा मंत्री के बयान के बाद एक नया विवाद शुरू हो गया. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने पिछले दिनों अजमेर में नियमों में संशोधित करते हुए लेवल प्रथम में बीएड डिग्री धारियों को शामिल करने की बात कही, जिसके बाद अब प्रदेश के करीब तीन लाख से ज्यादा बीएसटीसी डिग्रीधारी विरोध में उतर चुके हैं.
2 जून 2012 को आयोजित आरटेट (अध्यापक पात्रता परीक्षा) में सबसे पहले ये मुद्दा सामने आया था, जिसमें परीक्षा से महज 5 दिन पहले हाईकोर्ट ने बीएसटीसी डिग्रीधारियों को पक्ष में फैसला देते हुए लेवल प्रथम में सिर्फ बीएसटीसी डिग्री धारियों को ही योग्य माना था. साथ ही बीएड डिग्री धारियों को लेवल प्रथम से बाहर करने के आदेश दिए थे. उसके बाद लगातार 6 सालों तक लेवल प्रथम में बीएसडीसी डिग्रीधारियों को ही जगह दी गई, लेकिन एसीईटी की ओर से 28 जून 2018 को एक अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि लेवल प्रथम में बीएड धारियों को भी शामिल करने पर विचार किया जाएगा और नियुक्ति के दो वर्ष के भीतर 6 महीने का ब्रिज कोर्स आवश्यक रूप से पूरा करवाया जाए लेकिन साथ ही अधिसूचना में अनिवार्य रूप से बीएड धारियों को शामिल करना कहीं भी स्पष्ट नहीं किया गया.
क्या है राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ का कहना
राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ प्रवक्ता उपेन यादव ने कहा कि रीट शिक्षक भर्ती का ऐलान किए करीब 7 महीने का समय बीत चुका है लेकिन उसके बाद भी आज तक पैटर्न और भर्ती विज्ञप्ति जारी नहीं हुई है लेकिन शिक्षा मंत्री द्वारा दिए गए इस बयान के बाद भर्ती प्रक्रिया विवादों में अटक सकती है. इसके साथ ही बीएसटीसी डिग्री धारी एक बार फिर से कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं, जिससे ये भर्ती फिर से लम्बे समय तक अटकने की संभावना बन सकती है. इसलिए सरकार को चाहिए की बीएसटीसी और बीएड डिग्री धारियों को राहत देते हुए बेरोजगार हित में फैसला ले.
बीएड डिग्री धारियों को बाहर करना चाहिए
वहीं 12वीं पास स्तर पर बीएसटीसी करने वाले अभ्यर्थी भी अब परेशानी से जूझ रहे हैं. बीएसटीसी डिग्री धारियों का कहना है कि बीएसटीसी करने वाले अभ्यर्थियों के पास सिर्फ लेवल प्रथम का ही एक रास्ता है, जिसमें नौकरी लग सकते हैं. ऐसे में अगर लेवल प्रथम में बीएड डिग्री धारियों को शामिल किया जाता है तो बीएसटीसी डिग्री धारियों की संभावना कम हो जाएगी. इसलिए सरकार को बेरोजगार हित में फैसले लेते हुए लेवल प्रथम से बीएड डिग्री धारियों को बाहर करना चाहिए.
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के बयान के बाद अब पूरे प्रदेश में विरोध तेज हो गया है हालांकि एनसीईटी की अधिसूचना में भी कहीं स्पष्ट नहीं है कि लेवल प्रथम मे बीएड डिग्री धारियों को शामिल किया जाए तो वहीं एनसीईटी के आदेश पर अंतिम फैसला भी राज्य सरकार को करना है.
वहीं, अब इस रीट शिक्षक भर्ती में शिक्षा मंत्री के बयान के बाद एक नया विवाद शुरू हो गया. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने पिछले दिनों अजमेर में नियमों में संशोधित करते हुए लेवल प्रथम में बीएड डिग्री धारियों को शामिल करने की बात कही, जिसके बाद अब प्रदेश के करीब तीन लाख से ज्यादा बीएसटीसी डिग्रीधारी विरोध में उतर चुके हैं.
2 जून 2012 को आयोजित आरटेट (अध्यापक पात्रता परीक्षा) में सबसे पहले ये मुद्दा सामने आया था, जिसमें परीक्षा से महज 5 दिन पहले हाईकोर्ट ने बीएसटीसी डिग्रीधारियों को पक्ष में फैसला देते हुए लेवल प्रथम में सिर्फ बीएसटीसी डिग्री धारियों को ही योग्य माना था. साथ ही बीएड डिग्री धारियों को लेवल प्रथम से बाहर करने के आदेश दिए थे. उसके बाद लगातार 6 सालों तक लेवल प्रथम में बीएसडीसी डिग्रीधारियों को ही जगह दी गई, लेकिन एसीईटी की ओर से 28 जून 2018 को एक अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि लेवल प्रथम में बीएड धारियों को भी शामिल करने पर विचार किया जाएगा और नियुक्ति के दो वर्ष के भीतर 6 महीने का ब्रिज कोर्स आवश्यक रूप से पूरा करवाया जाए लेकिन साथ ही अधिसूचना में अनिवार्य रूप से बीएड धारियों को शामिल करना कहीं भी स्पष्ट नहीं किया गया.
क्या है राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ का कहना
राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ प्रवक्ता उपेन यादव ने कहा कि रीट शिक्षक भर्ती का ऐलान किए करीब 7 महीने का समय बीत चुका है लेकिन उसके बाद भी आज तक पैटर्न और भर्ती विज्ञप्ति जारी नहीं हुई है लेकिन शिक्षा मंत्री द्वारा दिए गए इस बयान के बाद भर्ती प्रक्रिया विवादों में अटक सकती है. इसके साथ ही बीएसटीसी डिग्री धारी एक बार फिर से कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं, जिससे ये भर्ती फिर से लम्बे समय तक अटकने की संभावना बन सकती है. इसलिए सरकार को चाहिए की बीएसटीसी और बीएड डिग्री धारियों को राहत देते हुए बेरोजगार हित में फैसला ले.
बीएड डिग्री धारियों को बाहर करना चाहिए
वहीं 12वीं पास स्तर पर बीएसटीसी करने वाले अभ्यर्थी भी अब परेशानी से जूझ रहे हैं. बीएसटीसी डिग्री धारियों का कहना है कि बीएसटीसी करने वाले अभ्यर्थियों के पास सिर्फ लेवल प्रथम का ही एक रास्ता है, जिसमें नौकरी लग सकते हैं. ऐसे में अगर लेवल प्रथम में बीएड डिग्री धारियों को शामिल किया जाता है तो बीएसटीसी डिग्री धारियों की संभावना कम हो जाएगी. इसलिए सरकार को बेरोजगार हित में फैसले लेते हुए लेवल प्रथम से बीएड डिग्री धारियों को बाहर करना चाहिए.
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के बयान के बाद अब पूरे प्रदेश में विरोध तेज हो गया है हालांकि एनसीईटी की अधिसूचना में भी कहीं स्पष्ट नहीं है कि लेवल प्रथम मे बीएड डिग्री धारियों को शामिल किया जाए तो वहीं एनसीईटी के आदेश पर अंतिम फैसला भी राज्य सरकार को करना है.
No comments:
Post a Comment