बांसवाड़ा. शिक्षा विभाग में पीईईओ का पद सृजित होने और समग्र शिक्षा
अभियान के गठन होने के बाद एक ही पद पर कार्यरत अधिकारी को दो विभागों के
अधिकारियों के आदेश की पालना करनी पड़ रही है। जी हां, ग्रामीण इलाकों में
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य का पद है।
ग्राम पंचायत मुख्यालय पर कार्यरत संस्थाप्रधान के पास पीईईओ का भी चार्ज है। ऐसे में बतौर संस्थाप्रधान इन्हें डीईओ माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधीन कार्य करना पड़ता है, लेकिन बतौर पीईईओ वह प्रारंभिक शिक्षा विभाग के अधीन होते हैं। ऐसे में दोनों डीईओ और दोनों ही निदेशक के अधीन रहकर कार्य करना होता है। दूसरी ओर, राज्य सरकार ने पीईईओ की स्थिति स्पष्ट कर दी है। सरकार के नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया है कि पीईईओ के अधीन क्षेत्र की तमाम माध्यमिक, उच्च प्राथमिक और प्राथमिक विद्यालय, जो प्रारंभिक के अधीन है, वह आते हैं।भविष्य में प्रारंभिक शिक्षा विभाग खत्म होने की सुगबुगाहट दूसरी ओर, निकट प्रारंभिक शिक्षा विभाग में इस बात की सुगबुगाहट है कि विभाग को सरकार खत्म करने जा रही है। जिन जिलों में प्रारंभिक शिक्षा विभाग में डीईओ के पद खाली हुए थे, उनमें से सरकार ने कुछ पर ही पदस्थापन किया है। शेष रिक्त हैं। जबकि माध्यमिक शिक्षा विभाग के पद भरे गए है। ऐसे में चर्चा का दौर है कि प्रारंभिक को खत्म कर दिया जाएगा। इसके पीछे तर्क यह भी दिए जा रहे हैं कि सभी ब्लॉक में डीईओ के स्तर के सीबीईईओ को लगाया है तो ग्राम पंचायत स्तर पर एडीईओ स्तर के पीईईओ लगा दिए हैं। ऐसे में प्रारंभिक शिक्षा विभाग का काम काफी हद तक कर दिया गया है। ऐसे ही टीएडी में भी...ऐसे ही एक अन्य मामला भी सामने आया है। टीएडी में कार्यरत वरिष्ठ उपजिला शिक्षा अधिकारी रेखा रोत को लेकर है। रेखा रोत टीएडी में एडीईओ के पद पर है, वहीं आवासीय विद्यालय हरेंगजी का खेड़ा की प्रधानाचार्य के पद पर भी कार्यरत है। शिक्षा विभाग माध्यमिक ने भी उन्हें राजकीय बालिका उमावि नवागांव की प्रधानाचार्य का भी चार्ज दे रखा है। ऐसे में एक ही व्यक्ति तीन तीन जगह पर कैसे काम करेगा और किस तरह से काम होगा, इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है। इनका कहना है..मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी बांसवाड़ा एंजेलिका पलात का कहना है कि यह सही है कि पीईईओ के पास कार्यभार बढ़ गया है। पीईईओ के अधीन तमाम विद्यालय आते हैं, चाहे वह प्रारंभिक के हो या फिर माध्यमिक के हो। ऐसे में प्रारंभिक के आदेश की भी पालना करनी है। प्रधानाचार्य के तौर पर वह माध्यमिक के अधीन है, तब माध्यमिक के आदेश की पालना करनी होती है।
ग्राम पंचायत मुख्यालय पर कार्यरत संस्थाप्रधान के पास पीईईओ का भी चार्ज है। ऐसे में बतौर संस्थाप्रधान इन्हें डीईओ माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधीन कार्य करना पड़ता है, लेकिन बतौर पीईईओ वह प्रारंभिक शिक्षा विभाग के अधीन होते हैं। ऐसे में दोनों डीईओ और दोनों ही निदेशक के अधीन रहकर कार्य करना होता है। दूसरी ओर, राज्य सरकार ने पीईईओ की स्थिति स्पष्ट कर दी है। सरकार के नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया है कि पीईईओ के अधीन क्षेत्र की तमाम माध्यमिक, उच्च प्राथमिक और प्राथमिक विद्यालय, जो प्रारंभिक के अधीन है, वह आते हैं।भविष्य में प्रारंभिक शिक्षा विभाग खत्म होने की सुगबुगाहट दूसरी ओर, निकट प्रारंभिक शिक्षा विभाग में इस बात की सुगबुगाहट है कि विभाग को सरकार खत्म करने जा रही है। जिन जिलों में प्रारंभिक शिक्षा विभाग में डीईओ के पद खाली हुए थे, उनमें से सरकार ने कुछ पर ही पदस्थापन किया है। शेष रिक्त हैं। जबकि माध्यमिक शिक्षा विभाग के पद भरे गए है। ऐसे में चर्चा का दौर है कि प्रारंभिक को खत्म कर दिया जाएगा। इसके पीछे तर्क यह भी दिए जा रहे हैं कि सभी ब्लॉक में डीईओ के स्तर के सीबीईईओ को लगाया है तो ग्राम पंचायत स्तर पर एडीईओ स्तर के पीईईओ लगा दिए हैं। ऐसे में प्रारंभिक शिक्षा विभाग का काम काफी हद तक कर दिया गया है। ऐसे ही टीएडी में भी...ऐसे ही एक अन्य मामला भी सामने आया है। टीएडी में कार्यरत वरिष्ठ उपजिला शिक्षा अधिकारी रेखा रोत को लेकर है। रेखा रोत टीएडी में एडीईओ के पद पर है, वहीं आवासीय विद्यालय हरेंगजी का खेड़ा की प्रधानाचार्य के पद पर भी कार्यरत है। शिक्षा विभाग माध्यमिक ने भी उन्हें राजकीय बालिका उमावि नवागांव की प्रधानाचार्य का भी चार्ज दे रखा है। ऐसे में एक ही व्यक्ति तीन तीन जगह पर कैसे काम करेगा और किस तरह से काम होगा, इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है। इनका कहना है..मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी बांसवाड़ा एंजेलिका पलात का कहना है कि यह सही है कि पीईईओ के पास कार्यभार बढ़ गया है। पीईईओ के अधीन तमाम विद्यालय आते हैं, चाहे वह प्रारंभिक के हो या फिर माध्यमिक के हो। ऐसे में प्रारंभिक के आदेश की भी पालना करनी है। प्रधानाचार्य के तौर पर वह माध्यमिक के अधीन है, तब माध्यमिक के आदेश की पालना करनी होती है।
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