डूंगरपुर. तृतीय वेतन
श्रृंखला अध्यापक भर्ती 2018 लेवल टू अंतिम चरण में चल रही है। सब कुछ
ठीक-ठाक रहा, तो विज्ञान-गणित के अलावा शेष समस्त विषयों में चयनित
अभ्यर्थियों को जल्द ही आने वाले कुछ ही दिन में पदस्थापन आदेश जारी कर दिए
जाएंगे।
भर्ती प्रक्रिया में दस्तावेज सत्यापन प्रक्रिया में कई विषयों
में कई अभ्यर्थी अपात्र रहे हैं तथा कई गैर हाजिर रहे हैं। ऐसे में चयन से
वंचित रहे अभ्यर्थी अब प्रतीक्षा सूची की बाट जोह रहे हैं। यदि प्रतीक्षा
सूची जारी होती है, तो कई अन्य बेरोजगार अभ्यर्थियों को नियुक्ति का अवसर
मिल पाएगा।
यह है विषयवार रिक्त रहे पदों की स्थिति
अध्यापक भर्ती 2018 के लेवल टू में डूंगरपुर जिले में सामाजिक विज्ञान के 51 पद सृजित किए गए थे। इसमें से 19 ही अभ्यर्थी मिले है। उर्दू में स्वीकृत चार पदों में से तीन, संस्कृत में 17 में से केवल 10 ही अभ्यर्थी मिले हैं। हिन्दी में 116 मेें से आठ पद खाली रह गए हैं। अंग्रेजी विषय के 288 पदों में से २६८ ही मिले हैं। विज्ञान और गणित में आठ अभ्यर्थी नहीं मिले हैं। यहां 258 पद स्वीकृत किए थे।
अध्यापक भर्ती 2018 के लेवल टू में डूंगरपुर जिले में सामाजिक विज्ञान के 51 पद सृजित किए गए थे। इसमें से 19 ही अभ्यर्थी मिले है। उर्दू में स्वीकृत चार पदों में से तीन, संस्कृत में 17 में से केवल 10 ही अभ्यर्थी मिले हैं। हिन्दी में 116 मेें से आठ पद खाली रह गए हैं। अंग्रेजी विषय के 288 पदों में से २६८ ही मिले हैं। विज्ञान और गणित में आठ अभ्यर्थी नहीं मिले हैं। यहां 258 पद स्वीकृत किए थे।
कट ऑफ भी रही अधिक
जनजाति उपयोजना क्षेत्र में विज्ञान-गणित को छोड़ शेष समस्त सामान्य विषयों की कट ऑफ काफी ऊंची रही है। ऐसे में कई अभ्यर्थी चयन से वंचित रह गए हैं। संस्कृत, सामाजिक ज्ञान एवं हिन्दी में अपेक्षाकृत पद भी अधिक सृजित नहीं हुए हैं। ऐसे में अभ्यर्थियों की सरकार से आस है कि सरकार आचार संहिता से पूर्व प्रतीक्षा सूची मय नए पद सृजित कर अभ्यर्थियों को राहत दे।
जनजाति उपयोजना क्षेत्र में विज्ञान-गणित को छोड़ शेष समस्त सामान्य विषयों की कट ऑफ काफी ऊंची रही है। ऐसे में कई अभ्यर्थी चयन से वंचित रह गए हैं। संस्कृत, सामाजिक ज्ञान एवं हिन्दी में अपेक्षाकृत पद भी अधिक सृजित नहीं हुए हैं। ऐसे में अभ्यर्थियों की सरकार से आस है कि सरकार आचार संहिता से पूर्व प्रतीक्षा सूची मय नए पद सृजित कर अभ्यर्थियों को राहत दे।
अभी और खाली होंगे पद
कई अभ्यर्थियों का शिक्षक भर्ती 2016 रि-शफल में चयन हो गया था। लेकिन, पदस्थापन आदेश जारी नहीं होने से उन्होंने 2018 की लेवल टू की भर्ती में भी हिस्सा लिया तथा कॉउसलिंग तक पहुंचे। अब 2016 शिक्षक भर्ती के पदस्थापन जारी हो गए हैं। ऐेसे में 2018 की भर्ती में बमुश्किल ही इक्का-दुक्का अभ्यर्थी नई जगह नियुक्ति ग्रहण करें। वहीं, शिक्षक भर्ती 2016 द्वितीय वेतन श्रृंखला का परिणाम भी वर्षों से फाइलों में दबा हुआ था। लेकिन, हाल ही में मण्डल आवंटन के साथ ही गुरुवार को संभाग स्तर पर उनकी स्कूल आवंटन परामर्श शिविर हो गया है और आस जगा रहे है कि आने वाले एक-दो दिन में ही उनके नियुक्ति आदेश भी जारी हो जाएंगे। ऐेसे में द्वितीय वेतन श्रृंखला में चयनित होने वाले अभ्यर्थी भी शिक्षक भर्ती तृतीय वेतन श्रृंखला 2018 एवं 2016 रि-शफल से नियुक्ति लेने वाले त्याग-पत्र देने तय हैं। समस्त गणितों को देखा जाए, तो प्रारम्भिक में रिक्त पदों की भरमार रहनी तय है।
कई अभ्यर्थियों का शिक्षक भर्ती 2016 रि-शफल में चयन हो गया था। लेकिन, पदस्थापन आदेश जारी नहीं होने से उन्होंने 2018 की लेवल टू की भर्ती में भी हिस्सा लिया तथा कॉउसलिंग तक पहुंचे। अब 2016 शिक्षक भर्ती के पदस्थापन जारी हो गए हैं। ऐेसे में 2018 की भर्ती में बमुश्किल ही इक्का-दुक्का अभ्यर्थी नई जगह नियुक्ति ग्रहण करें। वहीं, शिक्षक भर्ती 2016 द्वितीय वेतन श्रृंखला का परिणाम भी वर्षों से फाइलों में दबा हुआ था। लेकिन, हाल ही में मण्डल आवंटन के साथ ही गुरुवार को संभाग स्तर पर उनकी स्कूल आवंटन परामर्श शिविर हो गया है और आस जगा रहे है कि आने वाले एक-दो दिन में ही उनके नियुक्ति आदेश भी जारी हो जाएंगे। ऐेसे में द्वितीय वेतन श्रृंखला में चयनित होने वाले अभ्यर्थी भी शिक्षक भर्ती तृतीय वेतन श्रृंखला 2018 एवं 2016 रि-शफल से नियुक्ति लेने वाले त्याग-पत्र देने तय हैं। समस्त गणितों को देखा जाए, तो प्रारम्भिक में रिक्त पदों की भरमार रहनी तय है।
सामान्य विषय के अभ्यर्थी निराश
गत 10 वर्षों के दरम्यान हुई तृतीय वेतन श्रृंखला शिक्षक भर्ती 2013, 2016 और इस बार 201८ से खासकर सामान्य विषय के अभ्यर्थियों को निराशा ही हाथ लगी है। इन 10 वर्षों के दरम्यान लेवल टू में अपेक्षाकृत हर बार पद कम ही आवंटित किए हैं। खासकर संस्कृत, सामाजिक विज्ञान एवं हिन्दी विषय के पद नहीं के बराबर स्वीकृत किए हैं। अभ्यर्थियों के मुताबिक 2016 की भर्ती में संस्कृत-हिन्दी के पद ही नहीं दिए थे। ऐसे में 2013 के बाद पांच वर्ष के बाद हुई इस भर्ती से अच्छे पद सृजित होने की उम्मीद थी।
गत 10 वर्षों के दरम्यान हुई तृतीय वेतन श्रृंखला शिक्षक भर्ती 2013, 2016 और इस बार 201८ से खासकर सामान्य विषय के अभ्यर्थियों को निराशा ही हाथ लगी है। इन 10 वर्षों के दरम्यान लेवल टू में अपेक्षाकृत हर बार पद कम ही आवंटित किए हैं। खासकर संस्कृत, सामाजिक विज्ञान एवं हिन्दी विषय के पद नहीं के बराबर स्वीकृत किए हैं। अभ्यर्थियों के मुताबिक 2016 की भर्ती में संस्कृत-हिन्दी के पद ही नहीं दिए थे। ऐसे में 2013 के बाद पांच वर्ष के बाद हुई इस भर्ती से अच्छे पद सृजित होने की उम्मीद थी।
प्रथम लेवल में भी खाली रहे थे पद
शिक्षक भर्ती 201८ में प्रथम लेवल में भी कमोबेश यहीं स्थितियां रही थी। यहां सृजित कुल १३२० पदों के मुकाबले महज 1१३२ अभ्यर्थी ही रीट पास हो सके थे। इसमें भी दस्तावेज सत्यापन में १०९६ आए और इनमें पात्र 1081 ही पाए गए। ऐसे में प्रथम लेवल में २३९ पद रिक्त गए थे।
शिक्षक भर्ती 201८ में प्रथम लेवल में भी कमोबेश यहीं स्थितियां रही थी। यहां सृजित कुल १३२० पदों के मुकाबले महज 1१३२ अभ्यर्थी ही रीट पास हो सके थे। इसमें भी दस्तावेज सत्यापन में १०९६ आए और इनमें पात्र 1081 ही पाए गए। ऐसे में प्रथम लेवल में २३९ पद रिक्त गए थे।
'नामांकन के हिसाब से पद करें सृजित
शिक्षक संघ सियाराम के प्रदेश उपाध्यक्ष सुभाष भट्ट ने कहा कि पूर्व नामांकन के हिसाब से सरकार ने स्टॉफिंग पैटर्न लागू किया था। इस फॉमूर्ले के आधार कई विद्यालयों में नामांकन कम होने पर सरकार ने पदों एवं स्कूलों पर कैंची चलाई थी। एकीकरण-समानीकरण के नाम पर अकेले डूंगरपुर में ही साढ़े तीन सौ से अधिक स्कूलों पर ताले लटकाते हुए डेढ़ से दो हजार शिक्षकों के पद कम कर दिए थे। लेकिन, गत तीन वर्षों में सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ा है। ऐसे में नामांकन के हिसाब से पद सृजित कर भरने जरूरी है।
शिक्षक संघ सियाराम के प्रदेश उपाध्यक्ष सुभाष भट्ट ने कहा कि पूर्व नामांकन के हिसाब से सरकार ने स्टॉफिंग पैटर्न लागू किया था। इस फॉमूर्ले के आधार कई विद्यालयों में नामांकन कम होने पर सरकार ने पदों एवं स्कूलों पर कैंची चलाई थी। एकीकरण-समानीकरण के नाम पर अकेले डूंगरपुर में ही साढ़े तीन सौ से अधिक स्कूलों पर ताले लटकाते हुए डेढ़ से दो हजार शिक्षकों के पद कम कर दिए थे। लेकिन, गत तीन वर्षों में सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ा है। ऐसे में नामांकन के हिसाब से पद सृजित कर भरने जरूरी है।
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