800 से ज्यादा जिन प्रेरकों ने पिछले छह साल में जिले के गांव-ढाणियों में 4.13 लाख बुजुर्गों और अशिक्षित लोगों को अक्षर ज्ञान व साक्षर बनाने का कार्य किया उनके मानदेय के करीब 2.35 करोड़ रुपए अब भी सरकार में बकाया चल रहे हैं।
जबकि चौंकाने वाली बात यह है कि जिले के लाखों लोगों को साक्षर बनाने में भूमिका निभाने वाले इन प्रेरकों का अनुबंध भी सरकार पांच माह पहले खत्म कर चुकी है। वो अब बेरोजगार घूम रहे हैंै। बकाया मानदेय के भुगतान की मांग को लेकर यह बेरोजगार प्रेरक सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने को मजबूर है।
प्रेरकों का कहना है कि सरकार ने एक तरफ पांच माह पहले उनका अनुबंध ही खत्म कर दिया। दूसरी तरफ मानदेय का बकाया करीब 2.35 करोड़ अभी तक सरकार द्वारा भुगतान भी नहीं किया हैं। बकाया मानदेय के भुगतान को लेकर प्रेरक कई बार अधिकारियों से मांग भी कर चुके है। वहीं उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इधर, अधिकारियों का कहना है कि बकाया भुगतान सरकारी स्तर से होना है। ऐसे में वो इस मामले में कुछ भी नहीं कर सकते हैं। दरअसल, केंद्र सरकार की तरफ से नागौर जिले के करीब 800 प्रेरकों का अनुबंध पहले दिसंबर-2017 में खत्म किया था। उसके बाद अनुबंध 13 मार्च से 31 मार्च-2018 तक बढ़ाया था। लेकिन फिर अनुबंध की अवधि प्रेरकों द्वारा बार-बार मांग के बावजूद नहीं बढ़ाई गई। अब प्रेरक संघ ने सरकार को घेरने की चेतावनी दी है।
जिले में 408 पुरुष तो 390 महिला प्रेरक
सेवाओं के बाद 5 माह पूर्व अनुबंध समाप्त
जिम्मेदारी बड़ी
साक्षर करने से लेकर 10 कार्य इनके जिम्मे थे
असाक्षर लोगों को साक्षर करने के अलावा ग्राम पंचायत से जुड़े राजकीय कार्य, भामाशाह नामांकन, आधार कार्ड, राशन कार्ड, सीडिंग-फीडिंग, शौचालय निर्माण, प्रधानमंत्री आवास निर्माण योजना और केन्द्र एवं राज्य की महत्वपूर्ण योजनाओं का प्रचार-प्रसार कर लोगों को जागरूक करते थे।
हालात ऐसे
लोक शिक्षा केंद्रों पर लगे ताले: साक्षरता प्रेरकों का अनुबंध 31 मार्च को समाप्त होने के साथ ही जिले के लोक शिक्षा केन्द्रों पर ताले लगे हुए है। जबकि केन्द्र व राज्य सरकार ने गांव-ढाणियों में प्रेरकों द्वारा बुजुर्गों और अशिक्षित लोगों को अक्षर ज्ञान व साक्षर करने के लिए भारत सरकार ने 2012 में साक्षर भारत मिशन अभियान शुरु किया था।
बकाया:2.48 करोड़
जिलेभर के कुल मूल प्रेरक का बकाया मानदेय 2 करोड़ 34 लाख 63684 राशि बकाया हैं। इसी प्रकार महात्मा गांधी पुस्तकालय- वाचनालय व कंप्यूटर ऑपरेटर मानदेय के 14 लाख रुपए लंबे समय से बकाया चल रहा हैं।
जिले अनुबंध खत्म किए जाने वाले मूल कुल प्रेरकों की संख्या वर्तमान में जारी आंकड़ों के अनुसार 798 है। जिसमें से 408 पुरुष व 390 महिला है। ब्लॉकवार प्रेरकों में डेगाना-66, डीडवाना से 107, जायल से 79, कुचामन से 93, लाडनूं से 50, मकराना से 57, मेड़ता से 58, मूंडवा से 64, नागौर से 91, परबतसर से 60 व रियांबड़ी से 79 पुरुष व महिला प्रेरक शामिल हैं।
मानदेय छोटा
प्रेरकों को महज 2 हजार निर्धारित था
साक्षर भारत मिशन के तहत प्रेरकों को महज 2000 रु मानदेय ही एवं राज्य सरकार की संचालित महात्मा गांधी सार्वजनिक पुस्तकालय एवं वाचनालय के रुप में 500 रु अल्प मानदेय मिलता था जिसमें केन्द्र से 75 व राज्य से 25 प्रतिशत मानदेय दिया जाता था। - अल्प मानदेय में अत्यधिक व्यस्तता में भविष्य की अधिक मानदेय की आशा में तो इनकी आशाओं पर तुषारापात कर दिया है। अल्प मानदेय में पारिवारिक क्षुधा ने इनकी कमर तोड़ दी और भविष्य की आशाओं का महल ध्वस्त हो गया।
भुगतान अटकने का बड़ा कारण :
साक्षरता विभाग के जानकारों की माने तो प्रेरकों के सालों से मानदेय की राशि बकाया चल रही है। इसके पीछे बड़ा कारण सरकार द्वारा जारी बजट का सरपंच द्वारा समय पर प्रेरकों को भुगतान नहीं किया जाना रहा हैं। अब पहली बार सरकार बकाया मानदेय सहित अन्य बकाया बजट सीधे ऑनलाइन खातों में भुगतान करने की तैयारी की है।
5 साल का सफर
साक्षरता तस्वीर : पुरुष 1.21 तो महिला 2.92 लाख साक्षर
साक्षरता एवं सतत् शिक्षा विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार जिले में साक्षर भारत मिशन के तहत मार्च-2012 से अगस्त 2017 तक आयोजित 13 परीक्षाओं में 1.21 लाख पुरुष तो 2.92 लाख महिलाएं को साक्षर किया गया है। जिले में कुल- 4 लाख 13 हजार 793 लोग कुल साक्षर है। 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की कुल साक्षरता दर वर्तमान में 77.49 प्रतिशत दर्ज की गई है।
37 लाख का भुगतान हुआ है
प्रेरकों व पुस्तकालय व वाचनालय का बकाया चल रहे कुल बजट में से सरकार ने अभी 37 लाख से ज्यादा का भुगतान किया है। बजट विकास अधिकारियों के खातों में डाला गया है। शीघ्र ही प्रेरकों को भुगतान किया जाएगा। रामनिवास रॉयल, सहायक परियोजना अधिकारी।
वादा पूरा नहीं किया, हम सरकार को घेरेंगे
सरकार ने एक तरफ प्रेरकों का अल्प मानदेय के करोड़ों रुपए का बकाया भुगतान अभी तक नहीं चुकाया है। दूसरी तरफ से सुराज संकल्प चुनावी घोषणा-पत्र में प्रेरकों से वादानुसार पुस्तकालय सहायक पद पर नियमित करने की घोषणा सरकार ने की थी। वादा पूरा नहीं करने पर हमें गौरव यात्रा के दौरान सरकार को घेरेंगे। मनोहर सिंह राठौड़, प्रदेश उपाध्यक्ष प्रेरक संघ।
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Sunday 9 September 2018
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जिन 800 प्रेरकों ने 4.13 लाख लोगों को साक्षर बनाया सरकार ने उनके मानदेय के नहीं चुकाए Rs.2.35 करोड़
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