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Wednesday 4 July 2018

राजस्थान: तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती- 2017 मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2017 (लेवल दो) मामले में राज्य सरकार को राहत देते हुए भर्ती और नियुक्ति प्रक्रिया जारी रखने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ के 30 अप्रैल 2018 के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2017 (लेवल दो) में उन अभ्यर्थियों को ही पात्र माना था, जिन्होंने स्नातक के साथ बीएड व रीट भी उन विषयों के साथ पास किया हो, जिस विषय के शिक्षक पद के लिए उन्होंने आवेदन किया था।


- न्यायाधीश मदन बी.लोकुर व दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की एसएलपी पर सोमवार को दिया। राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दलील दी गई की हाईकोर्ट के आदेश के कारण शिक्षकों के हजारों पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया अटकी हुई है। इसलिए हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई जाए ताकि शिक्षकों के पदों पर नियुक्ति की जा सके।
- हाईकोर्ट ने मनीष मोहन बोहरा की अपील पर दिए आदेश में राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह शिक्षक पद पर नियुक्ति देते समय उन अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं दे जिनके पास रीट, स्नातक व बीएड में संबंधित विषय नहीं रहा हो।
- हाईकोर्ट ने कहा था कि बीएड शिक्षक बनने की अनिवार्य पात्रता है और बीएड में संबंधित विषय वही हो सकता है जो स्नातक में पढ़ा गया हो। यदि बीएड में वह विषय नहीं पढ़ा गया है तो शिक्षक उस विषय का विशेषज्ञ नहीं बन सकता। ऐसे में रीट में भी वही विषय होना चाहिए।
जानें क्या था मामला
- राज्य सरकार ने अंग्रेजी विषय के 4800 पदों पर 2017 में भर्ती निकाली थी। इन में से 3500 पदों पर राज्य सरकार ने नियुक्ति दे दी। इससे पहले राज्य सरकार ने 2016 की तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में रीट में वह विषय मांगा था जिसके लिए उन्होंने आवेदन किया था। लेकिन स्नातक व बीएड में उसे अनिवार्य नहीं माना था। यह मामला हाईकोर्ट पहुंचने पर अदालत ने स्नातक व बीएड में भी वह विषय होना माना, लेकिन इस दौरान राज्य सरकार ने 29 अगस्त 2017 को स्नातक व रीट में संंबंधित विषय मान लिया लेकिन बीएड में वह संबंधित विषय नहीं रखा। जिस पर प्रार्थी ने हाईकोर्ट में कहा कि स्नातक व रीट में अंग्रेजी विषय है लेकिन बीएड में नहीं है। जबकि लेवल दो में विषय का विशेषज्ञ होना जरूरी है आैर शिक्षक पद के लिए बीएड अनिवार्य है और उसमें संबंधित विषय को नहीं मान रहे। इस पर अदालत ने कहा कि बीएड शिक्षक बनने की अनिवार्य पात्रता है और बीएड में वही विषय हो सकता है जो स्नातक में पढ़ा गया हो।

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