जोधपुर . अब
बिना स्कूल जाए भी आपका बच्चा नियमित अध्ययन कर सकता है। बस जेब में रुपए
होने चाहिए। शहर में ऐसी कई निजी स्कूलें चल रही हैं, जहां शिक्षा के नाम
पर इस तरह का व्यापार चल रहा है। शिक्षा के नाम पर इन निजी स्कूलों ने सारे
नियम ताक पर रख दिए हैं। शहर के कुछ निजी स्कूलों में आप अपने बच्चे को
बिना विद्यालय भेजे नियमित अध्ययन करवा सकते हैं। इसके लिए ३० से ४० हजार
रुपए का खर्चा आएगा।
वहीं कई निजी स्कूल उच्च प्राथमिक (कक्षा आठवीं तक) होने के बावजूद
कक्षा ९ व १० की पढ़ाई करवा रहे हैं। उसमें नाम ट्यूशन का दिया जा रहा है।
यहां भी विद्यार्थी का दूसरी स्कूल में नाम दर्ज करवा कर और बिना स्कूल
भेजे पढ़ाई करवाई जाती है। पाठकों की शिकायत पर राजस्थान पत्रिका टीम ने
बुधवार को सूंथला क्षेत्र के कुछ विद्यालयों में स्टिंग किया, जहां जमकर
फर्जीवाड़ा नजर आया। इन सभी फर्जीवाड़ा करने वाले विद्यालयों में दाखिले के
लिए अगले सेशन के लिए बात हुई, जो दो-तीन महीने में शुरू होने वाला है।
स्टिंग- १ : यूं तो तीस-चालीस हजार लेते हैं
पांचवां पुलिया सूथला क्षेत्र की नामी उच्च माध्यमिक स्कूल में एक सीट
पर मौजूद एक बुजुर्ग से बातचीत हुई, जो स्कूल के प्रिंसिपल हो सकते हैं,
जहां उन्होंने विद्यार्थी स्कूल नहीं आने के बावजूद रेगुलर प्रवेश दिलाने
पर हामी भरी।
बातचीत के कुछ अंश
पत्रिका- मेरी एक बच्ची है। बारहवीं विज्ञान वर्ग में दाखिला करवाना है। आपके यहां क्या-क्या सब्जेक्ट हैं?
बुजुर्ग- हमारे यहां सभी सब्जेक्ट है।
पत्रिका- मैं चाहता हूं, वह स्कूल न आए। रैगुलर दाखिला करवा देंगे। मैं उसे ट्यूशन पर डालूंगा?
बुजुर्ग- दबी जुबां में उत्तर दिया हो जाएगा।
पत्रिका- कितने रुपए लग जाएंगे?
बुजुर्ग- कल आओ, सचिव साहब से बातचीत कर लेना। हो जाएगा, लेकिन जोखिम पूरा आपका है।
पत्रिका- आप तो काम करवा दे, मुंह मांगा दाम दे दूंगा।
बुजुर्ग- प्रेक्टिकल के लिए आना पडेग़ा।
पत्रिका- कोई बात नहींं, हम आ जाएंगे, लेकिन सत्रांक अच्छे भेजना?
बुजुर्ग- बिल्कुल, प्रेक्टिकल के लिए आना पड़ेगा।
पत्रिका- कितने रुपए लग जाएंगे?
बुजुर्ग- तीस से चालीस हजार रुपए बाहर वालों से लेते हैं, आपके लिए १० से १५ हजार रुपए कम हो जाएंगे।
स्टिंग- २ : दो-तीन स्कूल हैं, तय कर लेंगे
इसी कड़ी में राजस्थान पत्रिका टीम गजानंद कॉलोनी मेन रोड सूथला स्थित
एक राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल पहुंचा, जहां पत्रिका ने अनजान अभिभावक बन
कर कई राज खुलवाए।
जानिए स्कूल संचालक के भाई ने क्या-क्या कहा ?
पत्रिका- बच्ची के पांव में फ्रेक्चर है। आठवीं पास है। उसे अगले साल नवीं कक्षा में एडमिशन चाहिए?
स्कूल संचालक का भाई- ये हम अगले सेशन में कर पाएंगे। हम नवीं में लेते
है, हमारा स्कूल आठवीं तक है। वैसे अगले सेशन में क्रमोन्नत कर सकते है।
सवाल : वैसे प्रतापनगर वाली मीरा बाई ने अपने बच्चों को यहीं पढ़ाया था। वह ६० प्रतिशत अंक लाई।
जवाब : हम यहां कोचिंग करवा देंगे। वहां स्कूल जाने की उसे बिल्कुल जरूरत नहीं पड़ेगी।
सवाल : फीस कितनी होगी?
जवाब : फीस दस हजार रुपए होगी। वैसे हमारे दो-तीन स्कूल हैं, कहीं पर भी दाखिला करवा देंगे।
सवाल : डबल माथापच्ची की जरूरत तो नहीं रहेगी, आपके यहां ट्यूशन आओ, फिर स्कूल भी जाओ। आपका कार्ड भी देना?
जवाब : नहीं, कोई माथापच्ची नहीं होगी। स्कूल संचालक के भाई ने कार्ड भी दिया।
संदेह के दायरे में शिक्षा विभाग
शहर में अनगिनत स्कूल इस तरह शिक्षण करवा कर सीधे तौर पर सरकार के
साथ धोखा कर रहे हैं। जबकि इस बारे में शिक्षा विभाग के अफसरों और
कर्मचारियों को जानकारी है, लेकिन वे अनजान बने हुए हैं। एेसे में साफ तौर
पर मिलीभगत का अंदेशा जताया जा रहा है। जबकि इन स्कूलों को बकायदा मान्यता
देने और स्कूल की कक्षाएं बढ़ाने की क्रमोन्नति के लिए अधिकारी निरीक्षण
करने जाते हैं। कई स्कूल एेसे हैं, जो बिना सूचित किए स्थान तक परिवर्तन कर
रहे हैं। बहरहाल शिक्षा विभाग के अफसर आंखें मूंदे हुए हैं।
इनका कहना है
मैं बांसवाड़ा जा रहा हूं। इस मामले को दिखवाएंगे। ये सभी गलत काम हैं।
- धर्मेंद्रकुमार जोशी, डीईओ प्रारंभिक प्रथम, जोधपुर
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