रक्तिम तिवारी/अजमेर।
राज्य में विधि शिक्षा वेंटीलेटर पर है। 15 लॉ कॉलेजों में विधि शिक्षा के महज 40 व्याख्याता कार्यरत हैं। इनमें से करीब 5-6 व्याख्याता 'रसूखात के चलते विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेज शिक्षा निदेशालय में पदस्थापित हैं। कई कॉलेज तो ऐसे हैं जहां एक ही व्याख्याता विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं। बदहाल विधि शिक्षा को लेकर अदालतों, ना बीसीआई ना राज्य सरकार गंभीर नजर आ रही हैं।
राज्य में वर्ष 2005-06 में 15 लॉ कॉलेज स्थापित हुए। इनमें अजमेर , भीलवाड़ा, सीकर, नागौर, सिरोही, बूंदी, कोटा , झालावाड़ और अन्य कॉलेज शामिल हैं। शुरुआत में लॉ कॉलेजों में विधि शिक्षकों की स्थिति ठीक रही, लेकिन लगातार सेेवानिवृत्तियों के चलते बीते छह-सात साल में हालात बिल्कुल बिगड़ गए हैं। राज्य में विधि शिक्षा की सांसें फूलने लगी हैं।विधि शिक्षा में महज 40 व्याख्यातापूरे राज्य (कॉलेज शिक्षा) में विधि शिक्षा में महज 40 व्याख्याता कार्यरत हैं। जबकि राज्य में 15 लॉ कॉलेज संचालित हैं।
इनमें से 5-6 व्याख्याता अपने सियासी रसूखात के चलते विश्वविद्यालयों और कॉलेज शिक्षा निदेशालय में पदस्थापित हैं। उनसे मंत्रालयिक और प्रशासनिक कामकाज कराया जा रहा है। सत्र 2017-18 में मौजूदा वक्त लॉ कॉलेजों में महज 32 से 34 व्याख्याता ही कार्यरत हैं। इनमें से दो-तीन व्याख्याता आगामी महीने में सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
इन कॉलेजों में हाल खराब
सिरोही, बूंदी, नागौर, झालावाड़ लॉ कॉलेज में तो महज एक शिक्षक कार्यरत है। वही शिक्षक प्राचार्य और वही विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं। अजमेर के लॉ कॉलेज में तीन स्थाई व्याख्याता हैं। यहां के प्राचार्य डॉ. डी. के. सिंह ढाई महीने से सिरोही में डेप्यूटेशन पर हैं। यही हाल अन्य लॉ कॉलेजों का है।
अटकी हुई नए शिक्षकों की भर्ती
लॉ कॉलेजों के लिए नए 86 विधि शिक्षकों की भर्ती राजस्थान लोक सेवा आयोग में अटकी हई है। आयोग इनकी लिखित परीक्षा करा चुका है। साक्षात्कार की तिथियां अब तक तय नहीं हुई है। इसका खामियाजा सभी लॉ कॉलेज को भुगतना पड़ रहा है। पर्याप्त शिक्षक नहीं होने के कारण ही बार कौंसिल ऑफ इंडिया से इन्हें स्थाई सम्बद्धता नहीं मिल पाई है। साथ ही प्रतिवर्ष प्रथम वर्ष में प्रवेश विलम्ब से हो रहे हैं।
तीन साल की सम्बद्धता पर नहीं फैसला
बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने सभी विश्वविद्यालयों को लॉ कॉलेज को तीन साल की एकमुश्त सम्बद्धता देने को कहा है। यह मामला विश्वविद्यालयेां और सरकार के बीच अटका हुआ है। विश्वविद्यालय अपनी छोडऩे को तैयार नहीं है। हालांकि महर्षि दयानंद सरस्वती और कुछ विश्वविद्यालयों ने सरकार को पत्र भेजा है। आठ महीने से प्रस्ताव पर कोई फैसला नहीं हुआ है।
ये लॉ कॉलेजों की परेशानियां.......
-बीते 13 साल से बीसीआई से नहीं मिली स्थाई सम्बद्धता
-प्रतिवर्ष प्रथम वर्ष के दाखिलों में होता है विलम्ब
-पर्याप्त शिक्षक नहीं होने से कॉलेजों में घट रहे विद्यार्थी
-वरिष्ठ वकीलों की लेनी पड़ती है सेवाएं
-विधि शिक्षा का पृथक कैडर नहीं होने से स्थाई प्राचार्य नहीं
सभी लॉ कॉलेज की कमियों से सरकार और बीसीआई वाकिफ है। नए शिक्षकों की भर्ती और अन्य मामले उच्च स्तरीय हैं। सरकार ही इनका समाधान कर सकती है।
डॉ. आर. एन. चौधरी, व्याख्याता लॉ कॉलेज
राज्य में विधि शिक्षा वेंटीलेटर पर है। 15 लॉ कॉलेजों में विधि शिक्षा के महज 40 व्याख्याता कार्यरत हैं। इनमें से करीब 5-6 व्याख्याता 'रसूखात के चलते विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेज शिक्षा निदेशालय में पदस्थापित हैं। कई कॉलेज तो ऐसे हैं जहां एक ही व्याख्याता विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं। बदहाल विधि शिक्षा को लेकर अदालतों, ना बीसीआई ना राज्य सरकार गंभीर नजर आ रही हैं।
राज्य में वर्ष 2005-06 में 15 लॉ कॉलेज स्थापित हुए। इनमें अजमेर , भीलवाड़ा, सीकर, नागौर, सिरोही, बूंदी, कोटा , झालावाड़ और अन्य कॉलेज शामिल हैं। शुरुआत में लॉ कॉलेजों में विधि शिक्षकों की स्थिति ठीक रही, लेकिन लगातार सेेवानिवृत्तियों के चलते बीते छह-सात साल में हालात बिल्कुल बिगड़ गए हैं। राज्य में विधि शिक्षा की सांसें फूलने लगी हैं।विधि शिक्षा में महज 40 व्याख्यातापूरे राज्य (कॉलेज शिक्षा) में विधि शिक्षा में महज 40 व्याख्याता कार्यरत हैं। जबकि राज्य में 15 लॉ कॉलेज संचालित हैं।
इनमें से 5-6 व्याख्याता अपने सियासी रसूखात के चलते विश्वविद्यालयों और कॉलेज शिक्षा निदेशालय में पदस्थापित हैं। उनसे मंत्रालयिक और प्रशासनिक कामकाज कराया जा रहा है। सत्र 2017-18 में मौजूदा वक्त लॉ कॉलेजों में महज 32 से 34 व्याख्याता ही कार्यरत हैं। इनमें से दो-तीन व्याख्याता आगामी महीने में सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
इन कॉलेजों में हाल खराब
सिरोही, बूंदी, नागौर, झालावाड़ लॉ कॉलेज में तो महज एक शिक्षक कार्यरत है। वही शिक्षक प्राचार्य और वही विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं। अजमेर के लॉ कॉलेज में तीन स्थाई व्याख्याता हैं। यहां के प्राचार्य डॉ. डी. के. सिंह ढाई महीने से सिरोही में डेप्यूटेशन पर हैं। यही हाल अन्य लॉ कॉलेजों का है।
अटकी हुई नए शिक्षकों की भर्ती
लॉ कॉलेजों के लिए नए 86 विधि शिक्षकों की भर्ती राजस्थान लोक सेवा आयोग में अटकी हई है। आयोग इनकी लिखित परीक्षा करा चुका है। साक्षात्कार की तिथियां अब तक तय नहीं हुई है। इसका खामियाजा सभी लॉ कॉलेज को भुगतना पड़ रहा है। पर्याप्त शिक्षक नहीं होने के कारण ही बार कौंसिल ऑफ इंडिया से इन्हें स्थाई सम्बद्धता नहीं मिल पाई है। साथ ही प्रतिवर्ष प्रथम वर्ष में प्रवेश विलम्ब से हो रहे हैं।
तीन साल की सम्बद्धता पर नहीं फैसला
बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने सभी विश्वविद्यालयों को लॉ कॉलेज को तीन साल की एकमुश्त सम्बद्धता देने को कहा है। यह मामला विश्वविद्यालयेां और सरकार के बीच अटका हुआ है। विश्वविद्यालय अपनी छोडऩे को तैयार नहीं है। हालांकि महर्षि दयानंद सरस्वती और कुछ विश्वविद्यालयों ने सरकार को पत्र भेजा है। आठ महीने से प्रस्ताव पर कोई फैसला नहीं हुआ है।
ये लॉ कॉलेजों की परेशानियां.......
-बीते 13 साल से बीसीआई से नहीं मिली स्थाई सम्बद्धता
-प्रतिवर्ष प्रथम वर्ष के दाखिलों में होता है विलम्ब
-पर्याप्त शिक्षक नहीं होने से कॉलेजों में घट रहे विद्यार्थी
-वरिष्ठ वकीलों की लेनी पड़ती है सेवाएं
-विधि शिक्षा का पृथक कैडर नहीं होने से स्थाई प्राचार्य नहीं
सभी लॉ कॉलेज की कमियों से सरकार और बीसीआई वाकिफ है। नए शिक्षकों की भर्ती और अन्य मामले उच्च स्तरीय हैं। सरकार ही इनका समाधान कर सकती है।
डॉ. आर. एन. चौधरी, व्याख्याता लॉ कॉलेज
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