अजमेर।अगले साल बीएड करने वाले स्टूडेंट्स के लिए अच्छी कबर है। प्री. टीचर
एज्यूकेशन टेस्ट-2018 को लेकर महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय
तैयारियों में जुट गया है। उच्च शिक्षा विभाग ने पीटीईटी संबंधित आदेश
तैयार कर लिया है। इसे जल्द विश्वविद्यालय को भिजवाया जाएगा।
सत्र 2017-18 के लिए प्री. टीचर एज्यूकेशन टेस्ट का आयोजन मदस विश्वविद्यालय ने कराया था इसमें दो वर्षीय बीएड और चार वर्षीय बीए-बीएससी बीएड कोर्स शामिल हैं। बीते अगस्त में सरकार ने पीटीईटी की जिम्मेदारी बांसवाड़ा की गोविंदगुरु जनजातीय यूनिवर्सिटी को सौंपी, लेकिन पर्याप्त शिक्षक, कर्मचारी और संसाधन उपलब्ध नहीं होने से यूनिवर्सिटी ने परीक्षा कराने में असमर्थता जताई।
लिहाजा उच्च शिक्षा विभाग ने पुन: मदस विश्वविद्यायय को जिम्मेदारी दी है। उच्च और तकनीकी शिक्षा सचिव राजहंस उपाध्याय के फाइल पर हस्ताक्षर करते ही विश्वविद्यालय को आदेश भेजे जाएंगे।
मिल सकती है बीएसटीसी परीक्षा
2017-18 की प्रवेश परीक्षा कोटा विश्वविद्यालय ने कराई थी। सरकार पीटीईटी सहित बीएसटीसी की परीक्षा भी मदस विश्वविद्यालय को सौंप सकती है। इसके पीछे तर्क है कि बीएड और बीएसटीसी संस्थान में प्रवेश कार्य एक संस्था द्वारा बेहतर ढंग से होगा। फिलहाल इसका निर्णय प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग को करना है। विभाग चाहे तो कोटा विश्वविद्यालय को बीएसटीसी परीक्षा कराने की जिम्मेदारी यथावत सौंप सकता है।
पहली भी कराई है यह परीक्षाएं
एमडीएस यूनिवर्सिटी ने पूर्व में भी प्री. बीएड और बीएसटीसी प्रवेश पूर्व परीक्षाएं कराई है। यूनिवर्सिटी ने 1995-96, 1998-99 और इसके बाद 2004 से 2007 और 2015, 2017 में बीएड परीक्षा कराई। इसके अलावा 2007, 2015-16 में बीएसटीसी परीक्षा कराई है। यूनिवर्सिटी 2006-07 में राजस्थान प्री. मेडिकल टेस्ट भी करा चुकी है। इसके अलावा साल 2015 में प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए पीसीपीएमटी परीक्षा भी कराई है। प्रतियोगी परीक्षाओं के आयोजन के लिहाज से यूनिवर्सिटी को राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों से ज्यादा अनुभव है।
कई जगह रहे हैं विवाद
अन्य यूनिवर्सिटी के बीएड कराने पर कई बार विवाद हो चुके हैं। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर द्वारा 2002-03 में बीएड कराने पर विवाद हुए। इसके बाद 2016 में कोटा विश्वविद्यालय द्वारा बीएड परीक्षा कराने के बाद दाखिलों में विलम्ब हुए। इसके चलते सरकार की काफी किरकिरी हुई थी।
सत्र 2017-18 के लिए प्री. टीचर एज्यूकेशन टेस्ट का आयोजन मदस विश्वविद्यालय ने कराया था इसमें दो वर्षीय बीएड और चार वर्षीय बीए-बीएससी बीएड कोर्स शामिल हैं। बीते अगस्त में सरकार ने पीटीईटी की जिम्मेदारी बांसवाड़ा की गोविंदगुरु जनजातीय यूनिवर्सिटी को सौंपी, लेकिन पर्याप्त शिक्षक, कर्मचारी और संसाधन उपलब्ध नहीं होने से यूनिवर्सिटी ने परीक्षा कराने में असमर्थता जताई।
लिहाजा उच्च शिक्षा विभाग ने पुन: मदस विश्वविद्यायय को जिम्मेदारी दी है। उच्च और तकनीकी शिक्षा सचिव राजहंस उपाध्याय के फाइल पर हस्ताक्षर करते ही विश्वविद्यालय को आदेश भेजे जाएंगे।
मिल सकती है बीएसटीसी परीक्षा
2017-18 की प्रवेश परीक्षा कोटा विश्वविद्यालय ने कराई थी। सरकार पीटीईटी सहित बीएसटीसी की परीक्षा भी मदस विश्वविद्यालय को सौंप सकती है। इसके पीछे तर्क है कि बीएड और बीएसटीसी संस्थान में प्रवेश कार्य एक संस्था द्वारा बेहतर ढंग से होगा। फिलहाल इसका निर्णय प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग को करना है। विभाग चाहे तो कोटा विश्वविद्यालय को बीएसटीसी परीक्षा कराने की जिम्मेदारी यथावत सौंप सकता है।
पहली भी कराई है यह परीक्षाएं
एमडीएस यूनिवर्सिटी ने पूर्व में भी प्री. बीएड और बीएसटीसी प्रवेश पूर्व परीक्षाएं कराई है। यूनिवर्सिटी ने 1995-96, 1998-99 और इसके बाद 2004 से 2007 और 2015, 2017 में बीएड परीक्षा कराई। इसके अलावा 2007, 2015-16 में बीएसटीसी परीक्षा कराई है। यूनिवर्सिटी 2006-07 में राजस्थान प्री. मेडिकल टेस्ट भी करा चुकी है। इसके अलावा साल 2015 में प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए पीसीपीएमटी परीक्षा भी कराई है। प्रतियोगी परीक्षाओं के आयोजन के लिहाज से यूनिवर्सिटी को राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों से ज्यादा अनुभव है।
कई जगह रहे हैं विवाद
अन्य यूनिवर्सिटी के बीएड कराने पर कई बार विवाद हो चुके हैं। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर द्वारा 2002-03 में बीएड कराने पर विवाद हुए। इसके बाद 2016 में कोटा विश्वविद्यालय द्वारा बीएड परीक्षा कराने के बाद दाखिलों में विलम्ब हुए। इसके चलते सरकार की काफी किरकिरी हुई थी।
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