शिक्षकभर्ती - 2012 में जिला परिषद प्रारंभिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों
ने 5 साल में तीन बार संशोधित परिणाम जारी होने की आड़ में मनमानी से
नियुक्तियां देने के मामले में वंचित अभ्यर्थियों ने शुक्रवार को पंचायतराज
मंत्री राजेंद्र राठौड़ के समक्ष अपने साथ हुए अन्याय की जानकारी दी।
इस पर पंचायत राज मंत्री ने कलेक्टर जिला परिषद के सीईओ से तीन दिन में जांच कर रिपोर्ट देने के आदेश दिए हैं। मंत्री के सामने अपनी व्यथा सुनाते वक्त कई अभ्यार्थियों के आंसू भी छलक आए। गौरतलब है कि 9 फरवरी को मुकेश टेलर की रिट के बाद हाईकोर्ट के आदेशों के तहत नियुक्ति देने आदेशों के बाद भी जिला परिषद शिक्षा विभाग वंचित अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं दे रहा है। आरोप है कि उनसे कम अंक होने के बावजूद वर्तमान में सरकारी सेवा में शिक्षक पद पर कार्यरत हैं, जबकि अधिक अंक वाले अभ्यर्थी नियुक्ति को लेकर भटक रहे हैं। इतना ही नहीं, आरटेट में फेल होने के बाद भी अभ्यर्थी कार्यरत है।
दैनिक भास्कर ने उठाया था पूरा मामला
2012 में हुई शिक्षक भर्ती के बाद दैनिक भास्कर के आरटीआई के मिले आकंड़ों को लेकर पूरे मामले का उजागर किया था। जिला परिषद शिक्षा विभाग की और से मनमाने तरीके से की गई मनमर्जी चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए पूरी नियम ही बदल कर रख दिए थे। इसको लेकर दैनिक भास्कर ने सिलसिले वार पूरे मामले के सभी पहलुओं को उजागर किया था। इसके बाद वंचित अभ्यर्थियों ने कलेक्ट्रेट के बाहर धरना देकर जांच की मांग की थी।
कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी का गठन तीन दिन में रिपोर्ट
पूरेमामले के बाद कलेक्टर की अध्यक्षता में पूरे मामले में कमेटी गठित करने के निर्देश दिए। साथ ही पूरे मामले में सभी पक्षों से पूछताछ करके तीन दिन में पूरी रिपोर्ट मांगी है। इसमें कमेटी में सीईओ शिक्षा विभाग के अधिकारियों को शामिल किया गया है।
हाईकोर्ट के आदेश माने और ही सरकार के
इसमामले में अधिकारियों कर्मचारियों ने हाईकोर्ट सरकार के आदेश भी दरकिनार कर दिए। अधिकारियों ने कमजोर अभ्यर्थी देख उसी को मेरिट में आने के बावजूद चक्कर कटवाए और सिर्फ मौखिक आदेशों से ही नौकरी से वंचित कर दिया। चौंकाने वाली बात तो यह है कि आंकड़ों से लेकर पदों को भी गलत बता कर मनमाने ढंग से अभ्यर्थियों को नियुक्ति तक दे दी।
शिक्षक भर्ती
पाली. शिक्षक भर्ती में जांच की मांग करते अभ्यर्थी।
इस पर पंचायत राज मंत्री ने कलेक्टर जिला परिषद के सीईओ से तीन दिन में जांच कर रिपोर्ट देने के आदेश दिए हैं। मंत्री के सामने अपनी व्यथा सुनाते वक्त कई अभ्यार्थियों के आंसू भी छलक आए। गौरतलब है कि 9 फरवरी को मुकेश टेलर की रिट के बाद हाईकोर्ट के आदेशों के तहत नियुक्ति देने आदेशों के बाद भी जिला परिषद शिक्षा विभाग वंचित अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं दे रहा है। आरोप है कि उनसे कम अंक होने के बावजूद वर्तमान में सरकारी सेवा में शिक्षक पद पर कार्यरत हैं, जबकि अधिक अंक वाले अभ्यर्थी नियुक्ति को लेकर भटक रहे हैं। इतना ही नहीं, आरटेट में फेल होने के बाद भी अभ्यर्थी कार्यरत है।
दैनिक भास्कर ने उठाया था पूरा मामला
2012 में हुई शिक्षक भर्ती के बाद दैनिक भास्कर के आरटीआई के मिले आकंड़ों को लेकर पूरे मामले का उजागर किया था। जिला परिषद शिक्षा विभाग की और से मनमाने तरीके से की गई मनमर्जी चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए पूरी नियम ही बदल कर रख दिए थे। इसको लेकर दैनिक भास्कर ने सिलसिले वार पूरे मामले के सभी पहलुओं को उजागर किया था। इसके बाद वंचित अभ्यर्थियों ने कलेक्ट्रेट के बाहर धरना देकर जांच की मांग की थी।
कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी का गठन तीन दिन में रिपोर्ट
पूरेमामले के बाद कलेक्टर की अध्यक्षता में पूरे मामले में कमेटी गठित करने के निर्देश दिए। साथ ही पूरे मामले में सभी पक्षों से पूछताछ करके तीन दिन में पूरी रिपोर्ट मांगी है। इसमें कमेटी में सीईओ शिक्षा विभाग के अधिकारियों को शामिल किया गया है।
हाईकोर्ट के आदेश माने और ही सरकार के
इसमामले में अधिकारियों कर्मचारियों ने हाईकोर्ट सरकार के आदेश भी दरकिनार कर दिए। अधिकारियों ने कमजोर अभ्यर्थी देख उसी को मेरिट में आने के बावजूद चक्कर कटवाए और सिर्फ मौखिक आदेशों से ही नौकरी से वंचित कर दिया। चौंकाने वाली बात तो यह है कि आंकड़ों से लेकर पदों को भी गलत बता कर मनमाने ढंग से अभ्यर्थियों को नियुक्ति तक दे दी।
शिक्षक भर्ती
पाली. शिक्षक भर्ती में जांच की मांग करते अभ्यर्थी।
No comments:
Post a Comment