उदयपुर .
राजस्थान शिक्षक एवं पंचायतीराज कर्मचारी संघ का प्रदेश स्तरीय शिक्षक
शैक्षिक दो दिवसीय सम्मेलन बीएन संस्थान परिसर में शनिवार से शुरू हुआ।
लेकिन कार्यक्रम में अतिथि के तौर पर बुलाए गए राज्य सरकार का एक भी मंत्री
सहमति के बाद भी नहीं पहुंचा।
प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष शेरसिंह चौहान ने कहा कि सम्मेलन में आने वाले अतिथियों को लेकर करीब महीने भर पहले से प्रदेश के मंत्रियों से स्वीकृति ली गई, उन्होंने भी अतिथि बनने की हामी भरी थी। लेकिन एन वक्त पर शुक्रवार को मंत्रियों ने अन्य कार्यों में व्यवस्तता का हवाला देते हुए सम्मेलन में आने से इनकार कर दिया। इनमें राज्य सरकार के तीन प्रमुख मंत्री शामिल हैं। साथ ही उदयपुर सांसद भी कार्यक्रम में नहीं आए।
मंत्रियों ने किया शिक्षकों का अपमान
चौहान ने कहा कि सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के चलते कोई भी कार्यक्रम में नहीं आया। मंत्रियों को डर था कि शिक्षकों की मांगों के आगे वें क्या बोलेंगे। हमारा संगठन किसी भी राजनैतिक पार्टी से नहीं आता है। जो भी सरकार कर्मचारियों के हितों को मारेगी, हम उसका विरोध करेंगे। मंत्रियों का नहीं आना शिक्षकों का अपमान है। हम भगवान एकलिंगनाथ को मुख्य अतिथि मानकर सम्मेलन शुरू कर रहे हैं। प्रदेश के कर्मचारी एकजूट है। मंत्रियों को आगे से नहीं बुलाएंगे। समस्याओं पर चर्चा करना चाहते थे प्रदेश अध्यक्ष मूलचंद गुर्जर ने क हा कि सरकार विभिन्न योजनाओं के दावे करती है, लेकिन उन काम को हम पुरा करते है। आज इन मंत्रियों को हमारे साथ होना चाहिए था। लेकिन यह बौखलाकर डर गए हैं। हमारा संगठन कर्मचारी हितों के लि बना है, वंदन-अभिनंदन के लिए नहीं। हम मंत्रियों के साथ शिक्षकों व कर्मचारियों की समस्याओं पर चर्चा करना चाहते थे। सरकार ने वेतन आयोग सहित विभिन्न मांगों को लेकर कर्मचारियों को नुकसान पहुंचाया है। पहली बार किसी वेतन आयोग में मानेदय कम हुआ है।
हम चुप नहीं बैठेंगे
शिक्षक सम्मेलन में प्रदेश भर के करीब 5 हजार से ज्यादा शिक्षक हिस्सा ले रहे हैं। सम्मेलन में शिक्षा के क्षेत्र में आ रही कमियों को दूर करने, विद्यार्थियों के अनुपात में शिक्षकों व भौतिक संसाधनों की कमी, सरकार द्वारा सरकारी विद्यालयों को निजी क्षेत्र में देने के निर्णय को वापस लेने, आठवीं कक्षा तक विद्यार्थियों को फेल नहीं करने के नियम में संशोधन करने, शिक्षा के स्तर मे गुणात्मक सुधार लाने और शिक्षकों, शिक्षाकर्मियों, पैराटीचर्स व प्रबोधकों आदि की विभिन्न समस्याओं के समाधान के प्रस्ताव बनाए जाएंगे। साथ ही शिक्षकों की 22 सुत्रीय एवं पंचायतीराज कर्मचारियों की छह सुत्रीय मांगों पर चर्चा होगी।
प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष शेरसिंह चौहान ने कहा कि सम्मेलन में आने वाले अतिथियों को लेकर करीब महीने भर पहले से प्रदेश के मंत्रियों से स्वीकृति ली गई, उन्होंने भी अतिथि बनने की हामी भरी थी। लेकिन एन वक्त पर शुक्रवार को मंत्रियों ने अन्य कार्यों में व्यवस्तता का हवाला देते हुए सम्मेलन में आने से इनकार कर दिया। इनमें राज्य सरकार के तीन प्रमुख मंत्री शामिल हैं। साथ ही उदयपुर सांसद भी कार्यक्रम में नहीं आए।
मंत्रियों ने किया शिक्षकों का अपमान
चौहान ने कहा कि सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के चलते कोई भी कार्यक्रम में नहीं आया। मंत्रियों को डर था कि शिक्षकों की मांगों के आगे वें क्या बोलेंगे। हमारा संगठन किसी भी राजनैतिक पार्टी से नहीं आता है। जो भी सरकार कर्मचारियों के हितों को मारेगी, हम उसका विरोध करेंगे। मंत्रियों का नहीं आना शिक्षकों का अपमान है। हम भगवान एकलिंगनाथ को मुख्य अतिथि मानकर सम्मेलन शुरू कर रहे हैं। प्रदेश के कर्मचारी एकजूट है। मंत्रियों को आगे से नहीं बुलाएंगे। समस्याओं पर चर्चा करना चाहते थे प्रदेश अध्यक्ष मूलचंद गुर्जर ने क हा कि सरकार विभिन्न योजनाओं के दावे करती है, लेकिन उन काम को हम पुरा करते है। आज इन मंत्रियों को हमारे साथ होना चाहिए था। लेकिन यह बौखलाकर डर गए हैं। हमारा संगठन कर्मचारी हितों के लि बना है, वंदन-अभिनंदन के लिए नहीं। हम मंत्रियों के साथ शिक्षकों व कर्मचारियों की समस्याओं पर चर्चा करना चाहते थे। सरकार ने वेतन आयोग सहित विभिन्न मांगों को लेकर कर्मचारियों को नुकसान पहुंचाया है। पहली बार किसी वेतन आयोग में मानेदय कम हुआ है।
हम चुप नहीं बैठेंगे
शिक्षक सम्मेलन में प्रदेश भर के करीब 5 हजार से ज्यादा शिक्षक हिस्सा ले रहे हैं। सम्मेलन में शिक्षा के क्षेत्र में आ रही कमियों को दूर करने, विद्यार्थियों के अनुपात में शिक्षकों व भौतिक संसाधनों की कमी, सरकार द्वारा सरकारी विद्यालयों को निजी क्षेत्र में देने के निर्णय को वापस लेने, आठवीं कक्षा तक विद्यार्थियों को फेल नहीं करने के नियम में संशोधन करने, शिक्षा के स्तर मे गुणात्मक सुधार लाने और शिक्षकों, शिक्षाकर्मियों, पैराटीचर्स व प्रबोधकों आदि की विभिन्न समस्याओं के समाधान के प्रस्ताव बनाए जाएंगे। साथ ही शिक्षकों की 22 सुत्रीय एवं पंचायतीराज कर्मचारियों की छह सुत्रीय मांगों पर चर्चा होगी।
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