आरयू में असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर पदों के लिए
आवेदनों की स्क्रूटनी शुरू हो चुकी है। जिसके बाद जल्द ही आगे की प्रक्रिया
शुरू की जाएगी। जिसकी चयन समिति के लिए विवि में प्रोफेसर की कमी बाधक
साबित हो सकती है।
विवि शिक्षक संघ के अनुसार चयन समिति के कंपोजीशन के अनुसार इसमें संबंधित विभाग का प्रोफेसर विभागाध्यक्ष या वरिष्ठतम प्रोफेसर शामिल होते हैं, लेकिन विवि के 34 में से 11 विभागों में ही प्रोफेसर विभागाध्यक्ष हैं और 4 डीन प्रोफेसर नहीं हैं। जबकि एसोसिएट प्रोफेसर्स को विभागाध्यक्ष पद सौंपा हुआ है जो चयन समिति में शामिल ही नहीं हो सकते। ऐसे में विवि चयन समिति में संबंधित विभाग के प्रोफेसर विभागाध्यक्ष या वरिष्ठ प्रोफेसर के बिना ही शिक्षकों की भर्ती करने को मजबूर हैं। यदि शिक्षक भर्ती प्रक्रिया लेट हुई तो तो करीब 3 प्रोफेसर और रिटायरमेंट के नजदीक हैं।
^शिक्षक चयन समिति में प्रोफेसर विभागाध्यक्ष होना अनिवार्य है। विवि अधिनियम में सेलेक्शन कमेटी का कंपोजीशन दिया हुआ है, उसी के आधार पर सेलेक्शन कमेटी में विभाग का प्रतिनिधित्व होना अनिवार्य है। शिक्षक भर्तियों से पहले सीएस प्रक्रिया के तहत एसोसिएट को प्रोफेसर प्रमोट किया जाए तो समस्या का समाधान हो सकता है। -डाॅ.विनोद शर्मा महासचिव, रा.यू टीचर्स एसो.
^शिक्षक भर्ती के लिए चयन समिति में प्रोफेसर विभागाध्यक्ष शामिल होता है। लेकिन यदि प्रोफेसर विभागाध्यक्ष नहीं हैं तो कोरम पूरा होना चाहिए। शिक्षक भर्ती चयन समिति में संबंधित प्रोफेसर विभागाध्यक्ष शामिल होता है तो निश्चित रूप से बेहतर है। -डाॅ.राजीव सक्सेना (पूर्व सिंडिकेट सदस्य)
^यदिप्रोफेसर विभागाध्यक्ष या वरिष्ठ प्रोफेसर नहीं होंगे तो अधिनियम के अनुसार चयन समिति का कोरम पूरा होना अनिवार्य है। विश्वविद्यालय के अधिनियम के अनुसार ही शिक्षक भर्ती प्रक्रिया जल्द पूरी की जाएगी। -प्रो.आरके कोठारी (कुलपति, राजस्थान विवि)
विवि शिक्षक संघ के अनुसार चयन समिति के कंपोजीशन के अनुसार इसमें संबंधित विभाग का प्रोफेसर विभागाध्यक्ष या वरिष्ठतम प्रोफेसर शामिल होते हैं, लेकिन विवि के 34 में से 11 विभागों में ही प्रोफेसर विभागाध्यक्ष हैं और 4 डीन प्रोफेसर नहीं हैं। जबकि एसोसिएट प्रोफेसर्स को विभागाध्यक्ष पद सौंपा हुआ है जो चयन समिति में शामिल ही नहीं हो सकते। ऐसे में विवि चयन समिति में संबंधित विभाग के प्रोफेसर विभागाध्यक्ष या वरिष्ठ प्रोफेसर के बिना ही शिक्षकों की भर्ती करने को मजबूर हैं। यदि शिक्षक भर्ती प्रक्रिया लेट हुई तो तो करीब 3 प्रोफेसर और रिटायरमेंट के नजदीक हैं।
^शिक्षक चयन समिति में प्रोफेसर विभागाध्यक्ष होना अनिवार्य है। विवि अधिनियम में सेलेक्शन कमेटी का कंपोजीशन दिया हुआ है, उसी के आधार पर सेलेक्शन कमेटी में विभाग का प्रतिनिधित्व होना अनिवार्य है। शिक्षक भर्तियों से पहले सीएस प्रक्रिया के तहत एसोसिएट को प्रोफेसर प्रमोट किया जाए तो समस्या का समाधान हो सकता है। -डाॅ.विनोद शर्मा महासचिव, रा.यू टीचर्स एसो.
^शिक्षक भर्ती के लिए चयन समिति में प्रोफेसर विभागाध्यक्ष शामिल होता है। लेकिन यदि प्रोफेसर विभागाध्यक्ष नहीं हैं तो कोरम पूरा होना चाहिए। शिक्षक भर्ती चयन समिति में संबंधित प्रोफेसर विभागाध्यक्ष शामिल होता है तो निश्चित रूप से बेहतर है। -डाॅ.राजीव सक्सेना (पूर्व सिंडिकेट सदस्य)
^यदिप्रोफेसर विभागाध्यक्ष या वरिष्ठ प्रोफेसर नहीं होंगे तो अधिनियम के अनुसार चयन समिति का कोरम पूरा होना अनिवार्य है। विश्वविद्यालय के अधिनियम के अनुसार ही शिक्षक भर्ती प्रक्रिया जल्द पूरी की जाएगी। -प्रो.आरके कोठारी (कुलपति, राजस्थान विवि)
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