जयपुर. गुर्जरों को नौकरियों में अलग से आरक्षण का फायदा दिलाने के लिए राज्य सरकार ने भर्तियों से जुड़ी विज्ञप्तियों पर अघोषित रोक लगाकर शेष जातियों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है।
ऐसा होने से 40 हजार नौकरियों पर असर पड़ा है। ये मामला मंगलवार को तब सामने आया जब संस्कृत से जुड़ी एक भर्ती विज्ञापित हुई और गुर्जर नेताओं ने बैठक में ये मुद्दा राज्य सरकार के मंत्रियों के समक्ष उठाते हुए खरी-खोटी सुनाई। उधर सरकार के मंत्री बैठक में ये ही कहते रहे कि अब ऐसा नहीं होने दिया जाएगा।
दरअसल 17 अगस्त को राज्य सरकार के तीन मंत्री राजेंद्र राठौड़, हेमसिंह भड़ाना और अरूण चतुर्वेदी और इनके स्टाफ ने इस बात पर सहमति दी थी कि गुर्जरों को जब तक अलग से आरक्षण का फायदा नहीं दिला देते तब तक भर्तियां विज्ञापित नहीं करेंगे। इसी दिन सहमति बनी थी कि गुर्जरों के लिए ओबीसी आरक्षण 21 से बढ़कर 26 प्रतिशत किया जाएगा। साथ ही गुर्जर सहित 5 जातियों को फायदा दिलाने के लिए भर्तियों पर अघोषित रोक रखी जाएगी। यानी की जिन भर्तियों की वित्तीय स्वीकृतियां जारी हो चुकी है उनकी भर्ती से जुड़ी विज्ञप्तियां जारी नहीं हो सकेगी। ऐसा होने से 40 हजार नौकरियों की विज्ञप्तियों पर असर पड़ रहा है।
मंत्रियों के आश्वासन पर हुआ था समझौता : संघर्ष समिति
गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रवक्ता हिम्मत सिंह का कहना है कि 17 अगस्त को राज्य सरकार के तीन मंत्री राजेंद्र राठौड़, अरूण चतुर्वेदी और हेमसिंह भड़ाना ने आश्वासन दिया था कि जब तक गुर्जरों को अलग से आरक्षण का फायदा नहीं दिला देते तब तक भर्तियों की विज्ञप्तियां रोककर रखी जाएगी। ये बात सीएम से भी हुई थी । तभी गुर्जर माने थे। उम्मीद है कि सरकार अपनी बात से नहीं मुकरेगी। अगर ऐसा हुआ तो आंदोलन करने में पीछे नहीं हटेंगे।
इस सरकार में 3 बार गुर्जरों के कारण भर्तियां प्रभावित
- सितंबर 2015 में एसबीसी विधेयक पारित हुआ था और अक्टूबर 2015 में नोटिफिकेशन आया, इस दौरान दो महीने तक भर्तियों की विज्ञप्तियां रोकी गई।
- दिसंबर 2016 को हाईकोर्ट ने एसबीसी खत्म किया था और मई 2017 तक भर्तियां रुकी रही। हालांकि सुप्रीमकोर्ट के दिशा-निर्देश के बाद भर्तियों की रफ्तार बढ़ी।
- 17 अगस्त को ओबीसी के नए विधेयक लाने पर गुर्जर नेताओं और सरकार के बीच सहमति बनी लेकिन गुर्जरों ने भर्तियां रोककर काम कराया।
गौरतलब है कि जाट रिजर्वेशन के दौरान 1998 में भी नई भर्तियों की विज्ञप्ति पर अघोषित रोक लगी थी।
ये है 40 हजार भर्तियां
आरएएस, वाणिज्यिक कर विभाग, उद्योग, आबकारी, कृषि उपज मंडी में कनिष्ठ अभियंता, राजस्थान पुलिस, राजस्व विभाग, बिजली कंपनियां, द्वितीय ग्रेड शिक्षक भर्ती, बिजली कंपनियां, विभिन्न विभागों में लिपिक भर्ती और आरपीएससी की सबसे बड़ी आरएएस परीक्षा की विज्ञप्ति आनी बाकी है।
आगे...अक्टूबर तक इंतजार
अन्य वर्गों के अभ्यर्थियों को इंतजार है कि उन्हें मौका मिलेगा। इस सरकार के पास भर्तियों के लिए सिर्फ एक-सवा साल बचा है। फिर चुनाव आचार संहिता भर्तियों पर असर डालेगी। बहरहाल अगले माह में ओबीसी आरक्षण विधेयक और नोटिफिकेशन जारी होने की उम्मीद है। ऐसा होने के बाद ही 40 हजार भर्तियों की राह खुलेगी।
ऐसा होने से 40 हजार नौकरियों पर असर पड़ा है। ये मामला मंगलवार को तब सामने आया जब संस्कृत से जुड़ी एक भर्ती विज्ञापित हुई और गुर्जर नेताओं ने बैठक में ये मुद्दा राज्य सरकार के मंत्रियों के समक्ष उठाते हुए खरी-खोटी सुनाई। उधर सरकार के मंत्री बैठक में ये ही कहते रहे कि अब ऐसा नहीं होने दिया जाएगा।
दरअसल 17 अगस्त को राज्य सरकार के तीन मंत्री राजेंद्र राठौड़, हेमसिंह भड़ाना और अरूण चतुर्वेदी और इनके स्टाफ ने इस बात पर सहमति दी थी कि गुर्जरों को जब तक अलग से आरक्षण का फायदा नहीं दिला देते तब तक भर्तियां विज्ञापित नहीं करेंगे। इसी दिन सहमति बनी थी कि गुर्जरों के लिए ओबीसी आरक्षण 21 से बढ़कर 26 प्रतिशत किया जाएगा। साथ ही गुर्जर सहित 5 जातियों को फायदा दिलाने के लिए भर्तियों पर अघोषित रोक रखी जाएगी। यानी की जिन भर्तियों की वित्तीय स्वीकृतियां जारी हो चुकी है उनकी भर्ती से जुड़ी विज्ञप्तियां जारी नहीं हो सकेगी। ऐसा होने से 40 हजार नौकरियों की विज्ञप्तियों पर असर पड़ रहा है।
मंत्रियों के आश्वासन पर हुआ था समझौता : संघर्ष समिति
गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रवक्ता हिम्मत सिंह का कहना है कि 17 अगस्त को राज्य सरकार के तीन मंत्री राजेंद्र राठौड़, अरूण चतुर्वेदी और हेमसिंह भड़ाना ने आश्वासन दिया था कि जब तक गुर्जरों को अलग से आरक्षण का फायदा नहीं दिला देते तब तक भर्तियों की विज्ञप्तियां रोककर रखी जाएगी। ये बात सीएम से भी हुई थी । तभी गुर्जर माने थे। उम्मीद है कि सरकार अपनी बात से नहीं मुकरेगी। अगर ऐसा हुआ तो आंदोलन करने में पीछे नहीं हटेंगे।
इस सरकार में 3 बार गुर्जरों के कारण भर्तियां प्रभावित
- सितंबर 2015 में एसबीसी विधेयक पारित हुआ था और अक्टूबर 2015 में नोटिफिकेशन आया, इस दौरान दो महीने तक भर्तियों की विज्ञप्तियां रोकी गई।
- दिसंबर 2016 को हाईकोर्ट ने एसबीसी खत्म किया था और मई 2017 तक भर्तियां रुकी रही। हालांकि सुप्रीमकोर्ट के दिशा-निर्देश के बाद भर्तियों की रफ्तार बढ़ी।
- 17 अगस्त को ओबीसी के नए विधेयक लाने पर गुर्जर नेताओं और सरकार के बीच सहमति बनी लेकिन गुर्जरों ने भर्तियां रोककर काम कराया।
गौरतलब है कि जाट रिजर्वेशन के दौरान 1998 में भी नई भर्तियों की विज्ञप्ति पर अघोषित रोक लगी थी।
ये है 40 हजार भर्तियां
आरएएस, वाणिज्यिक कर विभाग, उद्योग, आबकारी, कृषि उपज मंडी में कनिष्ठ अभियंता, राजस्थान पुलिस, राजस्व विभाग, बिजली कंपनियां, द्वितीय ग्रेड शिक्षक भर्ती, बिजली कंपनियां, विभिन्न विभागों में लिपिक भर्ती और आरपीएससी की सबसे बड़ी आरएएस परीक्षा की विज्ञप्ति आनी बाकी है।
आगे...अक्टूबर तक इंतजार
अन्य वर्गों के अभ्यर्थियों को इंतजार है कि उन्हें मौका मिलेगा। इस सरकार के पास भर्तियों के लिए सिर्फ एक-सवा साल बचा है। फिर चुनाव आचार संहिता भर्तियों पर असर डालेगी। बहरहाल अगले माह में ओबीसी आरक्षण विधेयक और नोटिफिकेशन जारी होने की उम्मीद है। ऐसा होने के बाद ही 40 हजार भर्तियों की राह खुलेगी।
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