सर्वशिक्षा अभियान में सीआरसीएफ का पद 2010 में समाप्त कर दिया गया था।
क्योंकि विभाग को शिकायतें मिल रही थी कि एक साथ दो-दो शिक्षक
प्रतिनियुक्ति लगाकर बैठ जाते हैं। इसके बाद इनके कार्य को उच्च प्राथमिक
विद्यालय के एचएम को नोडल के रूप में दे दिया गया।
अब यही काम प्रधानाचार्यों को दे दिया गया है। पहले एक सीआरसीएफ के पास करीब 30-40 स्कूल होते थे। अब पीईईओ के पास एक पंचायत के सात-आठ स्कूल होंगे।
भास्कर संवाददाता | नागौर
सरकारने शिक्षा विभाग के गजट अधिकारी के रूप में कार्यरत उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्यों को तृतीय श्रेणी शिक्षकों के स्तर का काम करने का आदेश जारी किया है। जहां विभाग ने दो महीने पहले प्रधानाचार्यों को पंचायत प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी (पीईईओ) बनाया था। अब इसके साथ उनको संकुल संदर्भ केंद्र प्रभारी (सीआरसीएफ) बना दिया है। इसके तहत उन्हें शैक्षणिक गुणवत्ता देखना, विद्यालय पर्यवेक्षण करना, शैक्षिक प्रबंध करना, विद्यालय विकास योजना बनाना, वित्तीय प्रबंधन करना, विभागीय कार्यक्रम देखना, पोर्टल और अन्य विभागीय सूचनाएं तैयार करना, नवाचार, ब्लॉक शिक्षा निष्पादन समिति की बैठक में जाना आदि काम करने होंगे। उल्लेखनीय है कि सर्व शिक्षा अभियान में सीआरसीएफ का पद 2010 में ही समाप्त कर दिया गया। इस पद पर विभाग के आदेशानुसार शिक्षक तृतीय श्रेणी को ही लगाया जाता था। इस आदेश के बाद प्रधानाचार्यों में तरह-तरह के व्यंग्य किए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर कई शिक्षकों ने लिखा है कि विद्यालय स्तर के सबसे ऊंचे पद को विभाग ने सबसे निचले पद पर खड़ा कर दिया है। विभाग ने प्रारंभिक और माध्यमिक विभाग के स्कूलों की पंचायत स्तर पर मॉनिटरिंग करने के लिए करीब 10 हजार प्रधानाचार्यों को पीईईआे बनाया था। इसे लेकर प्रधानाचार्यों का कहना है कि आदेश व्यंग्यात्मक है। लेकिन सरकार के आदेश की पालना करनी पड़ती है। माध्यमिक शिक्षा के कार्य पूरे नहीं हो रहे थे, अब प्राथमिक विभाग का काम भी दे दिया है।
^सीआरसीएफपद पर तृतीय श्रेणी शिक्षक लगते थे। जिनके पद समाप्त कर दिए गए हैं। प्रधानाचार्य गजटेड अधिकारी होते हैं। अगर प्रधानाचार्यों की ऐसी बातें सामने आर्इ है तो उच्चाधिकारियों से बात करेंगे। -सीताराम गर्ग, शिक्षा उपनिदेशक
अब यही काम प्रधानाचार्यों को दे दिया गया है। पहले एक सीआरसीएफ के पास करीब 30-40 स्कूल होते थे। अब पीईईओ के पास एक पंचायत के सात-आठ स्कूल होंगे।
भास्कर संवाददाता | नागौर
सरकारने शिक्षा विभाग के गजट अधिकारी के रूप में कार्यरत उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्यों को तृतीय श्रेणी शिक्षकों के स्तर का काम करने का आदेश जारी किया है। जहां विभाग ने दो महीने पहले प्रधानाचार्यों को पंचायत प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी (पीईईओ) बनाया था। अब इसके साथ उनको संकुल संदर्भ केंद्र प्रभारी (सीआरसीएफ) बना दिया है। इसके तहत उन्हें शैक्षणिक गुणवत्ता देखना, विद्यालय पर्यवेक्षण करना, शैक्षिक प्रबंध करना, विद्यालय विकास योजना बनाना, वित्तीय प्रबंधन करना, विभागीय कार्यक्रम देखना, पोर्टल और अन्य विभागीय सूचनाएं तैयार करना, नवाचार, ब्लॉक शिक्षा निष्पादन समिति की बैठक में जाना आदि काम करने होंगे। उल्लेखनीय है कि सर्व शिक्षा अभियान में सीआरसीएफ का पद 2010 में ही समाप्त कर दिया गया। इस पद पर विभाग के आदेशानुसार शिक्षक तृतीय श्रेणी को ही लगाया जाता था। इस आदेश के बाद प्रधानाचार्यों में तरह-तरह के व्यंग्य किए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर कई शिक्षकों ने लिखा है कि विद्यालय स्तर के सबसे ऊंचे पद को विभाग ने सबसे निचले पद पर खड़ा कर दिया है। विभाग ने प्रारंभिक और माध्यमिक विभाग के स्कूलों की पंचायत स्तर पर मॉनिटरिंग करने के लिए करीब 10 हजार प्रधानाचार्यों को पीईईआे बनाया था। इसे लेकर प्रधानाचार्यों का कहना है कि आदेश व्यंग्यात्मक है। लेकिन सरकार के आदेश की पालना करनी पड़ती है। माध्यमिक शिक्षा के कार्य पूरे नहीं हो रहे थे, अब प्राथमिक विभाग का काम भी दे दिया है।
^सीआरसीएफपद पर तृतीय श्रेणी शिक्षक लगते थे। जिनके पद समाप्त कर दिए गए हैं। प्रधानाचार्य गजटेड अधिकारी होते हैं। अगर प्रधानाचार्यों की ऐसी बातें सामने आर्इ है तो उच्चाधिकारियों से बात करेंगे। -सीताराम गर्ग, शिक्षा उपनिदेशक
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