कार्यालय संवाददाता. हिंडौन सिटी करौली जिले में कार्यरत तृतीय श्रेणी शिक्षकों के सेटअप परिवर्तन के
मामले में हाईकोर्ट ने निर्देश जारी कर नजदीकी रिक्त स्थान पर पदस्थापन को
कंसीडर करने के निर्देश दिए हैं।
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय राहिर में कार्यरत तृतीय श्रेणी अध्यापक लेवल-1 जल सिंह माली की ओर से इस संबंध में अधिवक्ता विजय पाठक ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी।
एडवोकेट विजय पाठक ने बताया कि पिछले वर्ष करौली जिले में शिक्षा विभाग में सेटअप परिवर्तन किया गया था। जिसमें तृतीय श्रेणी अध्यापकों के लेवल के हिसाब से नजदीकी विद्यालयों में पदस्थापन किया जाना था,लेकिन काउंसलिंग के समय अनेकों रिक्त स्थानों को सूची में नहीं दर्शाया गया था। जबकि वास्तव में नजदीकी स्थानों पर रिक्त पद थे। राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने विभिन्न परिपत्रों में भी वरिष्ठता के हिसाब से रिक्त स्थानों पर पदस्थापन के आदेश दिए गए थे याचिकाकर्ता द्वारा विभाग को निकटतम रिक्त स्थानों के बारे में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किए गए थे,लेकिन विभाग द्वारा याची के प्रार्थना पत्र को 25 नवंबर 2016 को अस्वीकार कर दिया गया। जबकि शिक्षा विभाग द्वारा समस्त जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे कि सभी रिक्त स्थानों पर अधिशेष अध्यापकों के पदस्थापन कर दिया जाए। उच्च न्यायालय ने भी रूप लता मीणा के मामले में विभिन्न दिशा निर्देश जिला शिक्षा अधिकारियों को दिए थे,लेकिन पारदर्शिता पूर्ण कार्यवाही नहीं की गई।
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय राहिर में कार्यरत तृतीय श्रेणी अध्यापक लेवल-1 जल सिंह माली की ओर से इस संबंध में अधिवक्ता विजय पाठक ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी।
एडवोकेट विजय पाठक ने बताया कि पिछले वर्ष करौली जिले में शिक्षा विभाग में सेटअप परिवर्तन किया गया था। जिसमें तृतीय श्रेणी अध्यापकों के लेवल के हिसाब से नजदीकी विद्यालयों में पदस्थापन किया जाना था,लेकिन काउंसलिंग के समय अनेकों रिक्त स्थानों को सूची में नहीं दर्शाया गया था। जबकि वास्तव में नजदीकी स्थानों पर रिक्त पद थे। राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने विभिन्न परिपत्रों में भी वरिष्ठता के हिसाब से रिक्त स्थानों पर पदस्थापन के आदेश दिए गए थे याचिकाकर्ता द्वारा विभाग को निकटतम रिक्त स्थानों के बारे में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किए गए थे,लेकिन विभाग द्वारा याची के प्रार्थना पत्र को 25 नवंबर 2016 को अस्वीकार कर दिया गया। जबकि शिक्षा विभाग द्वारा समस्त जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे कि सभी रिक्त स्थानों पर अधिशेष अध्यापकों के पदस्थापन कर दिया जाए। उच्च न्यायालय ने भी रूप लता मीणा के मामले में विभिन्न दिशा निर्देश जिला शिक्षा अधिकारियों को दिए थे,लेकिन पारदर्शिता पूर्ण कार्यवाही नहीं की गई।
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