अलवर. प्रदेश में प्राइवेट
स्कूलों में मनमानी फीस के साथ स्कूल के नाम से नोट बुक छपवाने और जूतो व
जुराबों में भी स्कूल का नाम छापे जाते हैं। प्राइवेट स्कूल शिक्षण सामग्री
एक ही दुकान को इन शिक्षण सामग्री खरीदने के लिए अधिकृत किया जाता है जिस
खरीद की रसीद तक नहीं दी जाती हैं।
शिक्षा विभाग की ओर से अलवर जिले के प्राइवेट स्कूलों की जांच की गई तो यह सामने आया कि प्राइवेट स्कूल वालों ने शिक्षण सामग्री विक्रय में अपनी मनमर्जी चला रखी है।
एक प्राइवेट स्कूल ने 15 रुपए में मिलने वाले पेंसिल का रेट 90 रुपए, 20 रुपए की नोटबुक 130 रुपए तथा 40 पेज की एक किताब 610 रुपए तक की चला रखी है। शिक्षा विभाग की टीमों ने जब प्राइवेट स्कूलों की जांच की तो इन स्कूल संचालकों ने शिक्षण सामग्री खरीदने के लिए किसी एक दुकान के निर्धारित नहीं करने की बात कही।
इस पर कक्षाओं में जाकर जब जांच की गई तो बच्चों की नोटबुक, जूते और जुराब पर ही स्कूल का नाम लिखा हुआ था, जिससे यह साबित हो गया कि ये प्राइवेट स्कूल एक ही दुकान से सामान खरीदने के लिए मजबूर करते हैं। यही नहीं किताबों पर पुस्तक विक्रेता दुकानों के स्टीकर भी लगे हुए मिले हैं।
इस मामले में शिक्षा विभाग की ओर से कई स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। इन स्कूलों को जवाब देना होगा कि वे विद्यार्थियों को एक ही दुकान से शिक्षण सामग्री खरीदने के लिए क्यों मजबूर कर रहे है? क्यों ना आपके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
प्राइवेट स्कूलों में हो रही अनियमितताओं को लेकर जिला अभिभावक संघ के जिलाध्यक्ष कमलेश सिंघल ने कई बार शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों को शिकायत की, लेकिन जांच होने के बाद ऐसे स्कूलों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई। इसके चलते प्राइवेट स्कूल संचालक नियमों की परवाह नहीं कर रहे हैं। इस मामले में शिक्षा विभाग को बिना दवाब के कार्रवाई करनी चाहिए।
इधर, सामाजिक कार्यकर्ता गौरव शर्मा का कहना है कि शिक्षा विभाग को अनियमिताएं करने वाले स्कूलों के खिलाफ जांच के बाद भी कार्रवाई नहीं की तो आंदोलन तेज किया जाएगा। इस मामले में न्यायालय में वाद दायर किया जाएगा।
शिक्षा विभाग कर रहा रिपोर्ट तैयार
जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक, माध्यमिक प्रथम और द्वितीय कार्यालय प्राइवेट स्कूलों की गई जांच की रिपोर्ट तैयार कर रहा है, जिसके आधार पर ऐसे स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में रिपोर्ट जिला प्रशासन को भी सौंपी जाएगी।
शिक्षा विभाग की ओर से अलवर जिले के प्राइवेट स्कूलों की जांच की गई तो यह सामने आया कि प्राइवेट स्कूल वालों ने शिक्षण सामग्री विक्रय में अपनी मनमर्जी चला रखी है।
एक प्राइवेट स्कूल ने 15 रुपए में मिलने वाले पेंसिल का रेट 90 रुपए, 20 रुपए की नोटबुक 130 रुपए तथा 40 पेज की एक किताब 610 रुपए तक की चला रखी है। शिक्षा विभाग की टीमों ने जब प्राइवेट स्कूलों की जांच की तो इन स्कूल संचालकों ने शिक्षण सामग्री खरीदने के लिए किसी एक दुकान के निर्धारित नहीं करने की बात कही।
इस पर कक्षाओं में जाकर जब जांच की गई तो बच्चों की नोटबुक, जूते और जुराब पर ही स्कूल का नाम लिखा हुआ था, जिससे यह साबित हो गया कि ये प्राइवेट स्कूल एक ही दुकान से सामान खरीदने के लिए मजबूर करते हैं। यही नहीं किताबों पर पुस्तक विक्रेता दुकानों के स्टीकर भी लगे हुए मिले हैं।
इस मामले में शिक्षा विभाग की ओर से कई स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। इन स्कूलों को जवाब देना होगा कि वे विद्यार्थियों को एक ही दुकान से शिक्षण सामग्री खरीदने के लिए क्यों मजबूर कर रहे है? क्यों ना आपके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
प्राइवेट स्कूलों में हो रही अनियमितताओं को लेकर जिला अभिभावक संघ के जिलाध्यक्ष कमलेश सिंघल ने कई बार शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों को शिकायत की, लेकिन जांच होने के बाद ऐसे स्कूलों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई। इसके चलते प्राइवेट स्कूल संचालक नियमों की परवाह नहीं कर रहे हैं। इस मामले में शिक्षा विभाग को बिना दवाब के कार्रवाई करनी चाहिए।
इधर, सामाजिक कार्यकर्ता गौरव शर्मा का कहना है कि शिक्षा विभाग को अनियमिताएं करने वाले स्कूलों के खिलाफ जांच के बाद भी कार्रवाई नहीं की तो आंदोलन तेज किया जाएगा। इस मामले में न्यायालय में वाद दायर किया जाएगा।
शिक्षा विभाग कर रहा रिपोर्ट तैयार
जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक, माध्यमिक प्रथम और द्वितीय कार्यालय प्राइवेट स्कूलों की गई जांच की रिपोर्ट तैयार कर रहा है, जिसके आधार पर ऐसे स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में रिपोर्ट जिला प्रशासन को भी सौंपी जाएगी।
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