जयपुर. भ्रष्टाचार निरोधक
ब्यूरो (एसीबी) द्वारा राजस्थान विश्वविद्यालय में 40 हजार लेते पकड़े गए
टीचर महीपाल सिंह यादव और चौकीदार हरिमोहन ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए
हैं। दोनों का कहना कि राजस्थान विश्वविद्यालय के हर विभाग में शोधार्थियों
से वसूली होती है।
कहीं कम तो कहीं पर ज्यादा रुपए लिए जाते हैं। इतना ही नहीं शोधार्थियों से घरेलू काम भी किराए जाते हैैं। गुरुवार को एसीबी से कई पीडि़त छात्रों ने स पर्क किया है, जो अलग-अलग विभाग से हैं। एसीबी ने छात्रों की शिकायत पर छानबीन शुरू कर दी है। गुरुवार शाम एसीबी ने महीपाल और हरिमोहन को कोर्ट में पेश किया। जहां से कोर्ट ने दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया।
गौरतलब है कि एसीबी ने शोधार्थी इंद्र कुमार मीणा की शिकायत पर बुधवार को संस्कृत विभाग के शिक्षक डॉ. महीपाल सिंह यादव को 40 हजार रुपए के साथ गिरफतार किया था। उन्होंने एसीबी को देखकर रिश्वत की रकम बाथरूम के गटर में फेंक दिया था। पूछताछ और छानबीन के बाद एसीबी ने विभाग के चौकीदार हरिमोहन को गिर तार किया।
एसीबी की पूछताछ में डॉ. महीपाल और चौकीदार हरिमोहन ने खुलासा किया है कि थीसिस के नाम पर खुलेआम खेल चलता है। शोधार्थियों की लिखी थीसिस को हर बार नकार दी जाती है। उसे कबाड़ में पटक दिया जाता है। फिर दूसरे शिक्षक या रिटायर्ड शिक्षक से थीसिस लिखवाने की सलाह दी जाती है। शिक्षक का नंबर और रेट बताई जाती है। इसी इसलिए कोई भी शिक्षक अपने शोधार्थियों को गाइड नहीं करता है। उन्हें तो अपनी कमाई याद रहती है। बीते साल प्रो.गोयल के ट्रेप होने से कुछ लेनदेन रुका था, फिर खुलेआम होने लगा।
चार बार खाली हाथ लौटी थी एसीबी
एसीबी ने पांचवे प्रयास में डॉ महीपाल सिंह को ट्रेप कर सकी। इससे पहले चार बार एसीबी जब भी उसे पकडऩे गई, वो नशे में धुत मिला। उस समय उसने लेनदेन नहीं किया। इतना ही नहीं पिछले दिनों डॉ महीपाल ने शराब के नशे में एक छात्र की गाड़ी में टक्कर मार दी थी। इसके साथ ही महीपाल के चेहरे पर पकड़े जाने की कोई सिकन नहीं थी। वह स ाी के सामने ााना ााने लगा।
कहीं कम तो कहीं पर ज्यादा रुपए लिए जाते हैं। इतना ही नहीं शोधार्थियों से घरेलू काम भी किराए जाते हैैं। गुरुवार को एसीबी से कई पीडि़त छात्रों ने स पर्क किया है, जो अलग-अलग विभाग से हैं। एसीबी ने छात्रों की शिकायत पर छानबीन शुरू कर दी है। गुरुवार शाम एसीबी ने महीपाल और हरिमोहन को कोर्ट में पेश किया। जहां से कोर्ट ने दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया।
गौरतलब है कि एसीबी ने शोधार्थी इंद्र कुमार मीणा की शिकायत पर बुधवार को संस्कृत विभाग के शिक्षक डॉ. महीपाल सिंह यादव को 40 हजार रुपए के साथ गिरफतार किया था। उन्होंने एसीबी को देखकर रिश्वत की रकम बाथरूम के गटर में फेंक दिया था। पूछताछ और छानबीन के बाद एसीबी ने विभाग के चौकीदार हरिमोहन को गिर तार किया।
एसीबी की पूछताछ में डॉ. महीपाल और चौकीदार हरिमोहन ने खुलासा किया है कि थीसिस के नाम पर खुलेआम खेल चलता है। शोधार्थियों की लिखी थीसिस को हर बार नकार दी जाती है। उसे कबाड़ में पटक दिया जाता है। फिर दूसरे शिक्षक या रिटायर्ड शिक्षक से थीसिस लिखवाने की सलाह दी जाती है। शिक्षक का नंबर और रेट बताई जाती है। इसी इसलिए कोई भी शिक्षक अपने शोधार्थियों को गाइड नहीं करता है। उन्हें तो अपनी कमाई याद रहती है। बीते साल प्रो.गोयल के ट्रेप होने से कुछ लेनदेन रुका था, फिर खुलेआम होने लगा।
चार बार खाली हाथ लौटी थी एसीबी
एसीबी ने पांचवे प्रयास में डॉ महीपाल सिंह को ट्रेप कर सकी। इससे पहले चार बार एसीबी जब भी उसे पकडऩे गई, वो नशे में धुत मिला। उस समय उसने लेनदेन नहीं किया। इतना ही नहीं पिछले दिनों डॉ महीपाल ने शराब के नशे में एक छात्र की गाड़ी में टक्कर मार दी थी। इसके साथ ही महीपाल के चेहरे पर पकड़े जाने की कोई सिकन नहीं थी। वह स ाी के सामने ााना ााने लगा।
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