राज्य में खिलाड़ियों को प्रमोट करने के लिए नई पॉलिसी, कैबिनेट मंजूरी बाकी
ओलिंपिक,कॉमनवेल्थ, एशियाड के पदक विजेताओं और वर्ल्ड चैम्पियन टीम में शामिल रहे प्रदेश के खिलाड़ी को डीएसपी या उसके समकक्ष राज्य सेवा के किसी पर पद पर सीधे नियुक्ति दी जाएगी।
इस संबंध में खेल एवं कार्मिक विभाग ने नई पॉलिसी तैयार की है, जिसे आरपीएससी और वित्त विभाग ने ग्रीन सिग्नल दे दिया है। परीक्षण कराने के लिए जल्द ही विधि विभाग के पास फाइल भेजी जाएगी, जिसके बाद कैबिनेट में प्रस्ताव जाएगा। वहां से प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद कार्मिक विभाग नियम बनाएगा। फिर नीति को लागू कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि तत्कालीन मुख्य सचिव सीएस राजन ने 30 सितंबर 2016 को राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक पाने वाले खिलाड़ियों को नौकरी देने के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव खेल जेसी मोहंती की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी, जिसमें प्रमुख सचिव संजय दीक्षित और सचिव कार्मिक शामिल थे।
कमेटी को तय करना था कि पदक विजेता खिलाड़ियों को गृह, वन, पर्यटन, शिक्षा, ग्रामीण विकास और आबकारी विभाग में किस स्तर के खेल के लिए किस तरह की नौकरी दी जाए। कमेटी ने तय कर दिया है कि ओलंपिक, एशिया कॉमनवेल्थ में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक पाने वाले खिलाड़ियों को डीएसपी या उसके समकक्ष रैंक की नौकरी दी जाए। शेष| पेज 2
इसीतरह से क्रिकेट या किसी अन्य खेल में विश्व चैम्पियन बनने वाली टीम में अगर कोई राज्य का खिलाड़ी है, तो उसे भी डीएसपी या उसके समकक्ष नौकरी दी जाएगी।
राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक पाने वाले राज्य के खिलाड़ी को अधीनस्थ सेवा में और रजत कांस्य पदक पाने वालों को अन्य सेवाओं में नौकरी दी जाएगी।
अतिरिक्त मुख्य सचिव खेल जेसी मोहंती के अनुसार कमेटी ने विभिन्न राज्यों की नीति का अध्ययन करने के बाद यह पॉलिसी तैयार की है। प्रस्ताव को कार्मिक विभाग के पास भेज दिया गया है। कार्मिक विभाग के सचिव भास्कर ए.सावंत ने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट को आरपीएससी और वित्त विभाग ने ग्रीन सिग्नल दे दिया है। जल्द ही परीक्षण के लिए फाइल विधि विभाग के पास भेजी जाएगी।
हरियाणा-पंजाब की तर्ज पर कवायद
कमेटीने जो पॉलिसी तैयार की है, उसमें 80 फीसदी से अधिक हिस्सा हरियाणा से लिया गया है। जबकि 25 फीसदी पॉलिसी दूसरे राज्यों से ली गई है। हरियाणा, पंजाब में काफी पहले से ही अंतरराष्ट्रीय पदक पाने वालों को डीएसपी बनाया जाता है। राज्य सरकार भी इसी को ध्यान में रखकर यह पॉलिसी ला रही है।
ओलिंपिक,कॉमनवेल्थ, एशियाड के पदक विजेताओं और वर्ल्ड चैम्पियन टीम में शामिल रहे प्रदेश के खिलाड़ी को डीएसपी या उसके समकक्ष राज्य सेवा के किसी पर पद पर सीधे नियुक्ति दी जाएगी।
इस संबंध में खेल एवं कार्मिक विभाग ने नई पॉलिसी तैयार की है, जिसे आरपीएससी और वित्त विभाग ने ग्रीन सिग्नल दे दिया है। परीक्षण कराने के लिए जल्द ही विधि विभाग के पास फाइल भेजी जाएगी, जिसके बाद कैबिनेट में प्रस्ताव जाएगा। वहां से प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद कार्मिक विभाग नियम बनाएगा। फिर नीति को लागू कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि तत्कालीन मुख्य सचिव सीएस राजन ने 30 सितंबर 2016 को राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक पाने वाले खिलाड़ियों को नौकरी देने के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव खेल जेसी मोहंती की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी, जिसमें प्रमुख सचिव संजय दीक्षित और सचिव कार्मिक शामिल थे।
कमेटी को तय करना था कि पदक विजेता खिलाड़ियों को गृह, वन, पर्यटन, शिक्षा, ग्रामीण विकास और आबकारी विभाग में किस स्तर के खेल के लिए किस तरह की नौकरी दी जाए। कमेटी ने तय कर दिया है कि ओलंपिक, एशिया कॉमनवेल्थ में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक पाने वाले खिलाड़ियों को डीएसपी या उसके समकक्ष रैंक की नौकरी दी जाए। शेष| पेज 2
इसीतरह से क्रिकेट या किसी अन्य खेल में विश्व चैम्पियन बनने वाली टीम में अगर कोई राज्य का खिलाड़ी है, तो उसे भी डीएसपी या उसके समकक्ष नौकरी दी जाएगी।
राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक पाने वाले राज्य के खिलाड़ी को अधीनस्थ सेवा में और रजत कांस्य पदक पाने वालों को अन्य सेवाओं में नौकरी दी जाएगी।
अतिरिक्त मुख्य सचिव खेल जेसी मोहंती के अनुसार कमेटी ने विभिन्न राज्यों की नीति का अध्ययन करने के बाद यह पॉलिसी तैयार की है। प्रस्ताव को कार्मिक विभाग के पास भेज दिया गया है। कार्मिक विभाग के सचिव भास्कर ए.सावंत ने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट को आरपीएससी और वित्त विभाग ने ग्रीन सिग्नल दे दिया है। जल्द ही परीक्षण के लिए फाइल विधि विभाग के पास भेजी जाएगी।
हरियाणा-पंजाब की तर्ज पर कवायद
कमेटीने जो पॉलिसी तैयार की है, उसमें 80 फीसदी से अधिक हिस्सा हरियाणा से लिया गया है। जबकि 25 फीसदी पॉलिसी दूसरे राज्यों से ली गई है। हरियाणा, पंजाब में काफी पहले से ही अंतरराष्ट्रीय पदक पाने वालों को डीएसपी बनाया जाता है। राज्य सरकार भी इसी को ध्यान में रखकर यह पॉलिसी ला रही है।
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