34 नवनियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर्स के खिलाफ अंतिम फैसला 40 दिन तक लागू नहीं करें : कोर्ट
जयनारायणव्यास विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती-2013 में हुई अनियमितताओं की जांच के तहत राज्य सरकार ने 26 असिस्टेंट प्रोफेसर्स को अयोग्य माना था। इसकी जांच के लिए राजभवन के निर्देशानुसार विवि प्रशासन ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी।
इस कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में 26 की बजाय 36 असिस्टेंट प्रोफेसर्स को अयोग्य माना है। ऐसे में इन शिक्षकों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। कुलपति प्रो. आरपी सिंह ने कहा कि इस मामले में कमेटी की रिपोर्ट चुकी है और नियमानुसार इनका जवाब भी मांगा जा चुका है। हाईकोर्ट का आदेश पढ़ने के बाद अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार की ओर से शिक्षक भर्ती की तथ्यात्मक रिपोर्ट के साथ कुलपति प्रो. सिंह को जयपुर बुलाया गया था। कुलपति गत 11 जनवरी को जयपुर गए थे। इस रिपोर्ट में असिस्टेंट प्रोफेसर्स पद पर नियुक्त 26 जनों के खिलाफ तथ्य रखे गए थे। इस मामले का सरकार की ओर से विधिक परीक्षण करवाया गया। इसके बाद उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजहंस उपाध्याय ने राज्यपाल सचिवालय को पत्र भेजा। पत्र में लिखा गया कि विधि विभाग की राय के अनुसार यूजीसी द्वारा निर्धारित योग्यता धारित नहीं होने वाले 26 असिस्टेंट प्रोफेसर्स को सेवा से पृथक करने की कार्रवाई उचित होगी। राज्य सरकार के इस पत्र के आधार पर राजभवन की विशेषाधिकारी (उच्च शिक्षा) कीर्ति शर्मा ने नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश दे दिए। आदेश आने के बाद जेएनवीयू कुलपति प्रो. सिंह ने सिंडीकेट सदस्य प्रो. औतारलाल मीणा के संयोजन में जांच कमेटी गठित की। कमेटी ने तथ्यात्मक अध्ययन कर कुलपति को रिपोर्ट सुपुर्द की और 25 जनवरी 2012 तक 36 असिस्टेंट प्रोफेसर्स की योग्यता पर सवाल उठाया। रिपोर्ट आने के बाद विश्वविद्यालय ने अपात्र माने जाने वाले शिक्षकों से जवाब भी मांगा। इसी बीच राजस्थान हाईकोर्ट ने इन शिक्षकों के टर्मिनेशन पर स्थगन के आदेश दे दिए थे। मंगलवार को हाईकोर्ट ने ये याचिकाएं निस्तारित कर विवि के अंतिम आदेश के 40 दिन तक क्रियान्वित नहीं करने के आदेश दिए हैं, लेकिन कमेटी की रिपोर्ट से कार्रवाई की तलवार तो लटक ही गई है।
^राज्य सरकार के निर्देशानुसार हमारी कमेटी को असिस्टेंट प्राेफेसर के पदों पर नियुक्त सभी शिक्षकों के डॉक्यूमेंट चैक करने के निर्देश दिए गए थे। डॉक्यूमेंट चैक किए तो 36 लोग यूजीसी के नियमानुसार 25 जनवरी 2013 तक अपात्र थे और कुछ के डॉक्यूमेंट पूरे नहीं थे। हमने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। कार्रवाई करने का अधिकार तो विश्वविद्यालय को है। -औतारलालमीणा, जांचकमेटी के संयोजक
जयनारायणव्यास विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती-2013 में हुई अनियमितताओं की जांच के तहत राज्य सरकार ने 26 असिस्टेंट प्रोफेसर्स को अयोग्य माना था। इसकी जांच के लिए राजभवन के निर्देशानुसार विवि प्रशासन ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी।
इस कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में 26 की बजाय 36 असिस्टेंट प्रोफेसर्स को अयोग्य माना है। ऐसे में इन शिक्षकों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। कुलपति प्रो. आरपी सिंह ने कहा कि इस मामले में कमेटी की रिपोर्ट चुकी है और नियमानुसार इनका जवाब भी मांगा जा चुका है। हाईकोर्ट का आदेश पढ़ने के बाद अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार की ओर से शिक्षक भर्ती की तथ्यात्मक रिपोर्ट के साथ कुलपति प्रो. सिंह को जयपुर बुलाया गया था। कुलपति गत 11 जनवरी को जयपुर गए थे। इस रिपोर्ट में असिस्टेंट प्रोफेसर्स पद पर नियुक्त 26 जनों के खिलाफ तथ्य रखे गए थे। इस मामले का सरकार की ओर से विधिक परीक्षण करवाया गया। इसके बाद उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजहंस उपाध्याय ने राज्यपाल सचिवालय को पत्र भेजा। पत्र में लिखा गया कि विधि विभाग की राय के अनुसार यूजीसी द्वारा निर्धारित योग्यता धारित नहीं होने वाले 26 असिस्टेंट प्रोफेसर्स को सेवा से पृथक करने की कार्रवाई उचित होगी। राज्य सरकार के इस पत्र के आधार पर राजभवन की विशेषाधिकारी (उच्च शिक्षा) कीर्ति शर्मा ने नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश दे दिए। आदेश आने के बाद जेएनवीयू कुलपति प्रो. सिंह ने सिंडीकेट सदस्य प्रो. औतारलाल मीणा के संयोजन में जांच कमेटी गठित की। कमेटी ने तथ्यात्मक अध्ययन कर कुलपति को रिपोर्ट सुपुर्द की और 25 जनवरी 2012 तक 36 असिस्टेंट प्रोफेसर्स की योग्यता पर सवाल उठाया। रिपोर्ट आने के बाद विश्वविद्यालय ने अपात्र माने जाने वाले शिक्षकों से जवाब भी मांगा। इसी बीच राजस्थान हाईकोर्ट ने इन शिक्षकों के टर्मिनेशन पर स्थगन के आदेश दे दिए थे। मंगलवार को हाईकोर्ट ने ये याचिकाएं निस्तारित कर विवि के अंतिम आदेश के 40 दिन तक क्रियान्वित नहीं करने के आदेश दिए हैं, लेकिन कमेटी की रिपोर्ट से कार्रवाई की तलवार तो लटक ही गई है।
^राज्य सरकार के निर्देशानुसार हमारी कमेटी को असिस्टेंट प्राेफेसर के पदों पर नियुक्त सभी शिक्षकों के डॉक्यूमेंट चैक करने के निर्देश दिए गए थे। डॉक्यूमेंट चैक किए तो 36 लोग यूजीसी के नियमानुसार 25 जनवरी 2013 तक अपात्र थे और कुछ के डॉक्यूमेंट पूरे नहीं थे। हमने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। कार्रवाई करने का अधिकार तो विश्वविद्यालय को है। -औतारलालमीणा, जांचकमेटी के संयोजक
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